
AIDS In India: दुनियाभर में AIDS एक गंभीर समस्या है और भारत में आज भी लोगों में HIV और AIDS को लेकर कई गलतफहमियां है, जिसके कारण AIDS मरीज अक्सर खुलकर सामने नहीं आ पाते। सही जानकारी न होने के कारण न सिर्फ मरीज बल्कि उसका पूरा परिवार मेंटल प्रेशर में आ जाता है। यही डर अक्सर लोगों को बीमारी से भी ज्यादा नुकसान पहुंचाता है। अक्सर लोग HIV और AIDS को एक ही मान लेते, लेकिन मेडिकल साइंस में इसके मायने बिल्कुल अलग है। इसके अलावा, अगर भारत की बात की जाए, तो अक्सर लोग छोटी-छोटी गलतियों की वजह से HIV का शिकार हो जाते हैं। AIDS के सभी पहलुओं पर बात करने के लिए हमने कई डॉक्टर्स से बात की। डॉक्टर्स ने साफ कहा कि समय पर जांच और सही इलाज से HIV के साथ भी एक सामान्य, लंबा और स्वस्थ जीवन जिया जा सकता है। सबसे पहले जानते हैं कि HIV और AIDS में क्या फर्क है?
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HIV और AIDS में क्या अंतर है?
इस बारे में वीएनए अस्पताल के डायरेक्टर और यूरोलॉजी और सेक्सोलॉजी विभाग के हेड डॉ. विनीत मल्होत्रा (Dr. Vineet Malhotra, Head of Urology and Sexology, Director, VNA Hospital) ने कहा, “HIV (ह्यूमन इम्यूनो डेफिशिएंसी वायरस) एक वायरस है, जो शरीर की इम्यून सिस्टम पर अटैक करता है। HIV खासतौर पर CD4 कोशिकाओं को ज्यादा प्रभावित करता है और अगर HIV का समय पर इलाज न किया जाए, तो यह वायरस शरीर की इम्युनिटी को बिल्कुल कमजोर कर देता है। इसके बाद धीरे-धीरे HIV आखिरी स्टेज AIDS (एक्वायर्ड इम्यूनो डेफिशिएंसी सिंड्रोम) पर पहुंच जाता है। इस स्टेज में मरीज की इम्युनिटी इतनी ज्यादा कमजोर हो जाती है, कि उसे गंभीर इंफेक्शन या कैंसर होने का रिस्क बढ़ जाता है। इस बात का ध्यान रखें कि हर HIV पॉजिटिव व्यक्ति को AIDS हो, यह जरूरी नहीं है।अगर HIV का समय रहते इलाज शुरू कर दिया जाए, तो इसे AIDS तक पहुंचने से रोका जा सकता है।”

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भारत में HIV और AIDS के आंकड़े
दुनियाभर में HIV के मामले काफी चिंता का विषय बना हुआ है। अगर दुनिया के आंकड़ें देखे जाए, तो WHO के अनुसार, साल 2024 में चार करोड़ से ज्यादा लोग HIV से पीड़ित है और इसमें सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि करीब 14 लाख बच्चे HIV संक्रमित पाए गए हैं। इसी साल HIV से 6 लाख से ज्यादा मौत हुई थी। AIDS के प्रति जागरुकता बढ़ाने के बावजूद 13 लाख नए HIV इंफेक्शन मरीज आए हैं। अगर हम भारत की बात करें, तो NACO की रिपोर्ट के अनुसार, देश में साल 2023 में 25 लाख से ज्यादा लोगो HIV पॉजिटिव हैं। महाराष्ट्र में HIV के मामले सबसे ज्यादा देखने को मिले हैं और अंडमान और निकोबार द्वीप में सबसे कम HIV के मामले पाए गए हैं। दिलचस्प बात यह है कि महाराष्ट्र में कुल मरीज सबसे ज्यादा हैं, लेकिन साल 2023 में नए इंफेक्शन (ANI) पंजाब में सबसे ज्यादा पाए गए हैं।

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किन कारणों से HIV इंफेक्शन होने का रिस्क रहता है?
पीएसआरआई अस्पताल के इमरजेंसी विभाग के हेड डॉ. प्रशांत सिन्हा (Dr. Prashant Sinha, Head of Emergency, PSRI Hospital) के अनुसार, “सबसे जरूरी यह जानना है कि HIV कुछ खास परिस्थितियों में ही फैलता है। यह छूने, साथ बैठने या खाना शेयर करने से नहीं फैलता (aids se kaise bache)। इसलिए लोगों को इस तरह के मिथकों से दूर रहना चाहिए। भारत में खासतौर पर HIV होने के कुछ कारण ये है।”
- असुरक्षित यौन संबंध
- एक से ज्यादा यौन साथी
- इंफेक्शन वाली सुई या सिरिंज
- बिना जांच किया हुआ खून
- संक्रमित मां से बच्चे में इंफेक्शन
- टैटू या पियर्सिंग में खराब डिवाइस का इस्तेमाल
- सैलून में अस्वच्छ डिवाइस का इस्तेमाल
HIV के किन लक्षणों पर ध्यान रखना चाहिए?
माक्योर अस्पताल की स्त्रीरोग विशेषज्ञ डॉ. नीलम कुमारी इला (Dr. Neelam Kumari Ela, Gynaecologist, Maccure Hospital) ने कहा कि HIV के शुरुआत में वायरल फीवर जैसे लक्षण नजर आते हैं, जिसे लोग इग्नोर कर देते हैं। इसलिए अगर किसी को ये लक्षण काफी लंबे समय तक रहे, तो डॉक्टर से जांच कराना बहुत जरूरी होता है।”
- लंबे समय तक बुखार
- गले में खराश
- बहुत ज्यादा थकान
- वजन तेजी से गिरना
- बार-बार इंफेक्शन होना
- रात में बहुत पसीना आना
- लिम्फ नोड्स में सूजन होना

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क्या प्रेग्नेंसी में बच्चे को HIV हो सकता है?
क्लाउडनाइन हॉस्पिटल्स के स्त्रीरोग विशेषज्ञ विभाग की डायरेक्टर डॉ. सुनीता लांबा (Dr. Sunita Lamba, Director – Obstetrics & Gynecology, Cloudnine Hospitals) कहती हैं, “प्रेग्नेंसी में HIV को लेकर आज भी लोगों को कई तरह की गलतफहमियां है। लोग अक्सर मान लेते हैं कि अगर मां को HIV है, तो बच्चे को भी जरूर होगा, लेकिन ऐसा नहीं होता। अगर सही इलाज, रेगुलर चेकअप और सेफ डिलीवरी कराई जाए, तो बच्चे को HIV होने का रिस्क 1% से भी कम हो सकता है। दरअसल, मां से बच्चे में HIV होने की समय प्रेग्नेंसी, डिलीवरी और ब्रेस्टफीडिंग हो सकता है, लेकिन ART दवाइयों और इलाज से इस रिस्क को कम किया जा सकता है। इसलिए मैं हमेशा महिलाओं को प्रेग्नेंसी से पहले HIV टेस्ट कराना जरूरी है। इसके साथ मैं यह भी कहना चाहूंगी कि HIV अब मां बनने में रुकावट नहीं है।”
लोग AIDS की बात करने में क्यों हिचकते हैं?
पीएसआरआई अस्पताल के यूरोलॉजी विभाग के एसोसिएट डायरेक्टर डॉ. प्रशांत जैन (Dr. Prashant Jain, Associate Director, Urology, PSRI Hospital) कहते हैं, “भारत में आज भी AIDS को टैबू की तरह ही देखा जाता है। HIV को सिर्फ सेक्स से जोड़कर देखने के कारण ही लोग इस बारे में खुलकर बात करना पसंद नहीं करते। सरकार और विभिन्न एनजीओ के जरिए जागरूकता बढ़ाने के बावजूद लोग आज भी डरते हैं कि छूने से AIDS का इंफेक्शन फैल जाएगा, मरीज की जिंदगी खत्म है और वह कुछ नहीं कर सकता, बल्कि इसके उलट लोगों को मरीज का आत्मविश्वास बढ़ाना चाहिए, इलाज और सरकारी सुविधाओं की जानकारी देनी चाहिए, उन्हें समाज से अलग-थलग नहीं करना चाहिए और उनके साथ खुलकर बात करनी चाहिए।”
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AIDS का क्या इलाज क्या है?
डॉ. विनीत मल्होत्रा कहते हैं कि हालांकि AIDS का पूरी तरह इलाज अभी नहीं है, लेकिन HIV का असरदार इलाज मौजूद है। मरीज को ART (Antiretroviral Therapy) दवाइयां दी जाती है, ताकि वायरस को कंट्रोल किया जा सके। जिससे इम्यून सिस्टम बेहतर काम करता है। सही समय पर इलाज शुरू करने से मरीज लंबा और सेहतमंद जीवन जी सकता है और AIDS की स्टेज तक पहुंचने से बचा जा सकता है। समय पर दवाइयां लेने से इंफेक्शन का रिस्क भी कम हो जाता है।
निष्कर्ष
अब मेडिकल साइंस ने इतनी तरक्की कर ली है, HIV का इलाज समय पर हो सकता है। लोगों को बस HIV से बचाव के लिए इस्तेमाल की गई सिरींज, टैटू कराते समय सुई, सैलून में अनहाइजेनिक डिवाइस के इस्तेमाल से बचना चाहिए। इस तरह की छोटी-छोटी आदतों में बदलाव करके ही HIV से बचाव हो सकता है।
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FAQ
भारत में एड्स का पहला मरीज कौन था?
भारत में HIV इंफेक्शन का सबसे पहले पता 1986 में चेन्नई की महिला यौनकर्मियों में चला था।एड्स का सबसे अच्छा इलाज क्या है?
HIV का सबसे प्रभावी इलाज एंटीरेट्रोवाइरल थेरेपी (ART) है। यह कई दवाइयों का कॉम्बिनेशन है, जो शरीर में वायरस को कंट्रोल करता है। एंटीरेट्रोवाइरल दवाइयां वायरस के बढ़ने की दर को धीमा कर देती हैं।क्या सीबीसी टेस्ट से एचआईवी का पता चलता है?
नहीं, CBC टेस्ट सीधे HIV का पता नहीं लगाता है, लेकिन यह इम्यून सिस्टम में बदलाव जैसे कि सीडी 4+ टी-कोशिकाओं की संख्या में कमी या कोई भी असामान्यता देखकर डॉक्टर मरीज को HIV एंटीबॉडी या RNA टेस्ट जैसे जरूरी टेस्ट कराने की सलाह दे सकते हैं।
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Dec 18, 2025 18:48 IST
Published By : Aneesh Rawat