हमारे दादा-दादी क्यों थे हमसे ज्यादा फिट और सेहतमंद? जानें पुराने समय की 7 आदतें, जो उन्हें रखती थीं स्वस्थ

पुराने जमाने की दादा-दादी वाली कुछ हेल्‍दी आदतों को अपनाने से वजन कंट्रोल क‍िया जा सकता है और बीमार‍ियां भी दूर रहती हैं
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हमारे दादा-दादी क्यों थे हमसे ज्यादा फिट और सेहतमंद? जानें पुराने समय की 7 आदतें, जो उन्हें रखती थीं स्वस्थ


अप्रैल को पूरे व‍िश्‍व में वर्ल्ड हेल्‍थ डे मनाया जाता है। इस समय स्‍वास्‍थ्‍य द‍िवस पर चर्चा इसल‍िए भी जरूरी है क्‍योंक‍ि पूरा व‍िश्‍व वैश्‍व‍िक महामारी कोव‍िड की चपेट में है ऐसे में लोग एक बार फि‍र पुरानी आदतों की तरफ बढ़ रहे हैं जो हमें स्‍वस्‍थ्‍य रखने में सक्षम हुआ करती थीं। क्‍या पुरानी पारंपर‍िक आदतों से अच्‍छी सेहत म‍िल सकती है? आज के समय में तौर-तरीके बदल गए हैं पर पुराने जमाने की पारंपर‍िक आदतें आज भी अपनाई जाएं तो आप काफी हद तक बीमार‍ियों से बच सकते हैं। पुराने जमाने में नीचे बैठकर खाने का र‍िवाज था, इससे डाइजेशन अच्‍छा रहता था, अब वो पूरी तरह खत्‍म हो गया है। लोग मीलों पैदल चलते थे, साइक‍िल चलाते थे पर आज अगर बगल में भी जाना हो तो कार या बाइक से जाना पसंद करते हैं। इन आदतों ने हमें बीमार‍ियों का श‍िकार बना द‍िया है। मोटापे से आधी पीढ़ी परेशान है। वर्ल्ड हेल्‍थ डे पर इस बार हम आपको ऐसी 7 आदतों के बारे में बताने जा रहे हैं ज‍िन्‍हें अपनाकर आप दादा-दादी जैसे अच्‍छी सेहत पा सकते हैं। ज्‍यादा जानकारी के ल‍िए हमने लखनऊ के रवींद्र योगा क्लीनिक के योगा एक्सपर्ट डॉ रवींद्र कुमार श्रीवास्तव से बात की। 

eating and sitting on floor

1. नीचे बैठकर खाना (Eating while sitting on floor)

पुराने जमाने में नीचे बैठकर खाने की आदत लोगों में हुआ करती थी अब वो कल्‍चर देखते ही देखते खत्‍म हो गया है पर क्‍या आपको पता है उसके कई लाभ सीधे शरीर को लगते थे। फर्श पर बैठकर खाने से ब्‍लड सर्कुलेशन अच्‍छा रहता है। इससे शरीर में लचीलापन बना रहता है। अगर आप फर्श पर बैठकर खाएंगे तो पाचन अच्‍छा रहेगा और कब्‍ज, एस‍िड‍िटी जैसी समस्‍याएं नहीं होंगी क्‍योंक‍ि फर्श पर बैठते समय पैर क्रॉस-लेश पोज‍िशन में होते हैं, ये सुखासन जैसा पोज होता है ज‍िससे मांसपेश‍ियां खुलती हैं। इसलिए आपको इस आदत को अपने रूटीन में शाम‍िल करना चाह‍िए। 

2. जल्दी उठकर स्न्नान लेना (Early bath)

bathing early in morning

आपको याद होगा बचपन में मां जल्‍दी उठकर नहाने की ह‍िदायत देती थीं पर न तब हम इसे कर पाए न आज के समय में लोग जल्‍दी उठकर नहाना पसंद करते हैं जबकि पुराने जमाने में सुबह सबसे पहले लोग कसरत करके फ्रेश होकर नहा लेते थे, इसका फायेदा ये था क‍ि पूरे द‍िन शरीर में ताजगी और एनर्जी रहती थी, देर से नहाने से रूटीन गड़बड़ा जाता है। नहाकर आपको फ्रेश तो लगता है पर एनर्जी कम ही रहती है। जल्‍दी उठकर नहाने के ल‍िए समय पर सोना भी जरूरी है। इसल‍िए पुराने समय पर टाइम को अहम‍ियत दी जाती थी जो क‍ि एक हेल्‍दी आदत है ज‍िसे आपको अपनाना चाह‍िए। 

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3. लोकल और सीजनल फूड्स खाना (Seasonal food)

local and seasonal food

आज के समय में लोग पैक्‍ड और इंस्‍टेंट फूड की तरफ बढ़ रहे हैं जो क‍ि हमारी सेहत के ल‍िए अच्‍छा नहीं है। पुराने समय में स‍िर्फ फ्रेश खाना ही खाया जाता था इसल‍िए बीमार‍ियां भी कम थीं। फ्रेश खाने में पोषक तत्‍व होते हैं। बासी खाने का गरम करके खाएंगे तो उसके सारे पोषक तत्‍व खत्‍म हो जाएंगे। पहले के समय में लोग मौसमी फल और सब्‍ज‍ियों के सेवन पर ध्‍यान देते थे अब वो चलन बंद हो गया है। बच्‍चे घी जैसी पौष्‍ट‍िक चीजों से दूर भागते हैं जबक‍ि उसमें एनर्जी होती है जि‍ससे कमजोरी नहीं होती। इन द‍िनों मह‍िलाओं में नॉर्मल ड‍िलीवरी की जगह ऑपरेशन के केस बढ़ गए हैं, वजह है शरीर में ताकत की कमी होना। पुराने जमाने में दाल, छाछ, लस्‍सी, मक्‍खन, ताजे फलों की अहम‍ियत थी, आप भी अपने डॉक्‍टर से सलाह लेकर इन्‍हें अपनी डाइट में शाम‍िल करें। 

4. पैदल चलना, साइकिल चलाना (Walk and cycling)

cycling and walking

आज सबके घर में एक से ज्‍यादा वाहन हैं, इन वाहनों ने हमारी ज‍िंदगी आसान तो बना दी है पर बदले में हमें म‍िला प्रदूषण और अनहेल्‍दी बॉडी। पुराने समय में लोग लंबी दूरी तक पैदल चलते थे या साइक‍िल से जाया करते थे पर अब लोग कार स्‍टेटस के ल‍िए लेकर घूमते हैं। पुराने जमाने में लोग साइक‍िल से ऑफ‍िस आया करते थे अब इसे अच्‍छी नजरों से नहीं देखा जाता जबक‍ि साइक‍िल चलाना हमारी सेहत के ल‍िए बेहद लाभकारी है। साइक‍िल चलाने से ब्‍लड फ्लो अच्‍छा रहता है, मसल्‍स की कसरत हो जाती है और वजन भी मेनटेन रहता है। आपको भी पैदल चलने और साइक‍िल चलाने की आदतों को नहीं भूलना चाह‍िए बल्‍क‍ि कोश‍िश करें क‍ि हफ्ते में दो द‍िन गाड़ी न चलाकर पैदल या साइक‍िल से चलें। 

5. सूर्यास्त के बाद न खाना (Avoid eating after sunset)

पुराने जमाने में लोग सूर्यास्‍त के बाद खाना नहीं खाते थे, इस आदत को लोग इंटरम‍िटेंट फास्‍ट‍िंग से भी जोड़ते हैं, शाम के बाद अगले द‍िन सुबह खाने से बीच में जो गैप बनता है वो पेट के ल‍िए फायदेमंद माना जाता है। अगर आप इस आदत को अपना लें तो हमेशा हेल्‍दी रहेंगे। पेट से जुड़ी परेशान‍ियां जैसे कब्‍ज, पेट में जलन, एस‍िड‍िटी नहीं होगी। इसके साथ ही ये वजन कम करने का सबसे आसान तरीका है। सुबह के नाश्‍ते और शाम के खाने के बीच गैप रखने से आप जल्‍दी वजन कम कर सकेंगे। 

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6. हफ्ते में एक दिन व्रत रखना (One day fast in a week)

पुराने जमाने में लोग हफ्ते में एक द‍िन व्रत जरूर रखते थे, इससे क‍िडनी, पेट स्‍वस्‍थ्‍य रहते हैं। ज्‍यादातर घरों में हफ्ते में एक या दो बार व्रत होते थे ज‍िस द‍िन स‍िर्फ खिचड़ी और दही ही बना करता था। ऐसा करने से बॉडी ड‍िटॉक्‍स हो जाती है और स्‍क‍िन पर ग्‍लो रहता है क्‍योंक‍ि स्‍क‍िन में फैट या ऑयल नहीं जाता। 

7. ज्यादा फिजिकल एक्टिविटीज करना (Benefits of doing physical activity)

मशीनों ने आज के दौर में हमारा काम आसान जरूर बनाया है पर इसके कारण लोगों में आलस भर गया है, कोई खुद से काम नहीं करना चाहता। पहले हाथ से कपड़े धोने का चलन था इससे शरीर की कसरत भी हो जाती थी पर अब हर घर में वॉश‍िंग मशीन है तो फ‍िज‍िकल एक्‍ट‍िव‍िटी कम हो गई है। पहले के समय में लोग साफ-सफाई के ल‍िए हाथों का इस्‍तेमाल करते थे, वो भी एक तरह की कसरत ही थी आज के समय में वैक्‍यूम क्‍लीन‍िर ने काम आसान तो कर द‍िया है पर हम आलसी हो गए हैं।

तो ये कुछ पुराने जमाने की भारतीय आदतें हैं ज‍िन्‍हें आपको भी अपनाने की जरूरत है, इससे आप बीमार‍ियों से दूर रहेंगे और खुद में एक पॉज‍िट‍िव बदलाव महसूस करेंगे। 

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