वर्टिगो को आम भाषा में चक्कर आना कहते हैं। सिर को मूवमेंट करते समय जब चक्कर आते हैं, तो इसे वर्टिगो कहते हैं। वर्टिगो में उठने, बैठने, लेटने और काम करते समय चक्कर आने लगते हैं। इस स्थिति में घर, घर का सामान घूमता हुआ नजर आता है और बैलेंस बिगड़ जाता है। वर्टिगो में मरीज को चक्कर आते समय गिरने का भी खतरा बना रहता है। वर्टिगो कोई जानलेवा बीमारी नहीं है, लेकिन इससे पीड़ित लोगों को कई परेशानियों का सामना करना पड़ता है। ऐसे में अगर आपको भी बार-बार यह समस्या होती है, तो आप नियमित रूप से कुछ योगासन कर सकते हैं।
वर्टिगो के लक्षण (vertigo symptoms)
वर्टिगो के लक्षण काफी कॉमन होते हैं। जानें इसके लक्षणों के बारे में-
- चक्कर आना
- सिर घूमना
- मोशन सिकनेस
- उल्टी आना
- सिरदर्द
- कानों में झनझनाहट होना
यह समस्या गर्दन, कंधे में दर्द, रीड़ की हड्डी से ब्रेन तक ब्लड का सप्लाई के कम होना और फिर तनाव जैसी समस्याओं के कारण होता है।
वर्टिगो की समस्या को दूर करने के लिए योगासन (yoga poses to cure vertigo problem)
वर्टिगो वैसे तो एक बेहद सामान्य समस्या है, इसे ठीक किया जा सकता है। लेकिन वर्टिगो की स्थिति में मरीजों को कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ता है। ऐसे में अगर आप रोजाना कुछ योगासन करेंगे, तो इस समस्या से निजात पा सकते हैं। जानें वर्टिगो के लिए बेहतरीन योगासन-
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1. उष्ट्रासन (ustrasana for vertigo)
वर्टिगो की समस्या को दूर करने के लिए आप उष्ट्रासन का नियमित अभ्यास कर सकते हैं। इस आसन में शरीर ऊंट की आकृति में नजर आता है। इसलिए इसे अंग्रेजी में camel pose भी कहा जाता है। इस योगासन के नियमित अभ्यास से शारीरिक और मानसिक दोनों तरह की परेशानियां दूर होती हैं। स्वस्थ जीवन के लिए उष्ट्रासन को अपनी जीवनशैली में जरूर शामिल करें। जानें इसे करने का तरीका-
- उष्ट्रासन करने के लिए सबसे पहले एक योग मैट बिछा लें।
- इस पर घुटनों के बल बैठ जाएं।
- अपने दोनों हाथों को अपने कूल्हों या हिप्स पर रखें।
- इस स्थिति में आपके घुटने और कंधे एक ही लाइन में होने चाहिए। साथ ही पैरों के तलवे छत की तरफ रखें।
- अब लंबी गहरी सांस लें और रीढ़ की निचली हड्डी पर आगे की तरफ दबाव डालें।
- इसके बाद अपने हाथों से पैरों को पकड़ें और कमर को पीछे की तरफ मोड़ें।
- इस दौरान गर्दन में तनाव पैदा न होने दें।
- इस स्थिति में 30-60 सेकेंड रुकने के बाद आप धीरे-धीरे सामान्य स्थिति में आ सकते हैं।
- आप इस आसन को 3-5 बार दोहरा सकते हैं।
- वर्टिगो की समस्या होने पर आप इसका रोजाना अभ्यास कर सकते हैं।
- शरीर के किसी हिस्से में दर्द होने पर आपको इसका अभ्यास करने से बचना चाहिए।
2. शंमुखी मुद्रा (shanmukhi mudra for vertigo)
वर्टिगो की समस्या को कम करने के लिए आप शंमुखी मुद्रा का भी अभ्यास कर सकते हैं। यह मुद्रा व्यक्ति को अंतर्मुखी बनाती है। इसके अभ्यास से व्यक्ति में प्रसन्नता, संतोष और खुशी का अनुभव होता है। इसे करने से मन को शांति मिलती है। इससे तनाव और भय दूर होता है। शंमुखी मुद्रा करने से आपके चक्कर आने और सिरदर्द की समस्या में भी काफी आराम मिलेगा। जानें इस मुद्रा को करने का सही तरीका-
- शंमुखी मुद्रा को करने के लिए सबसे पहले दोनों हाथों के अंगूठों से दोनों कान बंद कर लें।
- अब अपनी तर्जनी उंगुलियों से पलकों को बंद करें।
- मध्यमा उंगुलियों को नासिकाओं के बीच रखें और हल्का दबाव डालें।
- अनामिका उंगुलियों को ऊपरी होंठ के ऊपर रखें
- कनिष्ठा उंगुलियों को निचले होंठ के नीचे रखें।
- इसके बाद कोहनियों को कंधों के समानांतर फैलाकर रखें।
- इस दौरान सिर और पीठ बिल्कुल सीधा रखें।
- अब मुंह या मुख से सांस भरकर ठोड़ी से सीने को लगा लें।
- अब अपने उस अंग पर ध्यान केंद्रित करें, जिसमें कोई विकार हो।
- इसके बाद धीरे-धीरे सांस बाहर निकालें।
- आंखें खोलें और रिलैक्स करें।
- इसका अभ्यास आप 15 मिनट तक कर सकते हैं।
- इसे 15-15 मिनट में तीन बार किया जा सकता है।
- इस आसन का अभ्यास किसी शांत और साफ वातावरण में करना बेहतर होता है।
- अगर आपके हाथों में किसी तरह का कोई दर्द है, तो इस मुद्रा के अभ्यास से आपको बचना चाहिए।

3. शलभासन (Shalabhasana for vertigo)
वर्टिगो की समस्या से निजात पाने के लिए शलभासन का अभ्यास करना भी बहुत फायदेमंद होता है। शलभासन संस्कृत भाषा का एक शब्द है। यह दो शब्दों शलभ और आसन से मिलकर बना है। शलभ का मतलब टिड्डा और आसन का मतलब मुद्रा होता है। यानी इस अवस्था में शरीर का आकार टिड्डे के समान मुद्रा होती है। इस आसन को ग्रासहोपर पोज भी कहा जाता है। इसके अभ्यास से रीढ़ की हड्डी मजबूत बनती है। इस आसन का अभ्यास धीरे-धीरे करें। जानें शलभासन करने का तरीका-
- शलभासन करने के लिए सबसे पहले आप एक योग मैट पर पेट के बल लेट जाएं।
- इस स्थिति में आपकी पीठ ऊपर और पेट नीचे जमीन पर रहेगा।
- अपने दोनों पैरों को एकदम सीधा रखें। पैरों के पंजों को भी सीधा और ऊपर की तरफ रखें।
- अब अपने दोनों हाथों को सीधा करें और जांघों के नीचे दबा लें। इस स्थिति में आपका दायां हाथ दाईं जांघ के नीचे और बायां हाथ बाईं जांघ के नीचे दबा होना चाहिए।
- अपने सिर, गर्दन और मुंह को एकदम सीधा रखें।
- लंबी गहरी सांस लें। अब अपने दोनों पैरों को ऊपर की तरफ उठाने की कोशिश करें।
- शुरुआत में पैरों को ऊपर उठाने के लिए हाथों से सहारा भी दे सकते हैं।
- अब इस आसन में कम से कम 20-30 सेकेंड तक बने रहें। इसके बाद सांस छोड़ते हुए सामान्य स्थिति में आ जाएं।
- आप इस आसन का अभ्यास 3-5 बार कर सकते हैं।
- पीठ, कमर, पैरों में दर्द होने की स्थिति में शलभासन का अभ्यास नहीं करना चाहिए। अगर ऐसे में शलभासन किया जाए, तो समस्या बढ़ सकती है।
अगर आपको भी बार-बार चक्कर आने या सिर घूमने की समस्या होती है, तो इस स्थिति को बिल्कुल भी नजरअंदाज न करें। आप चाहें तो ऊपर बताए गए योगासनों की मदद से भी इस समस्या को दूर कर सकते हैं। लेकिन शुरुआत में इन योगासनों को किसी एक्सपर्ट की सलाह और देखरेख में ही करें।