हम दिन में न जानें कितनी बार उबासी लेते हैं और हमें पता ही नहीं चलता। उबासी हमारे जीवन का एक आम हिस्सा है। यह एक ऐसी प्रतिक्रिया है जो हर व्यक्ति द्वारा की जाती है। ऐसे ही शिशुओं में भी उबासी आना बेहद आम प्रतिक्रिया में से एक है। सामान्य तौर पर जब शिशुओं को जम्हाई आती है तो बड़े समझ जाते हैं कि वे थके हुए हैं। लेकिन शिशु का बार बार उबासी लेना किसी चीज का संकेत हो सकता है, जिसके बारे में पेरेंट्स को पता होना जरूरी है। आज का हमारा लेख इसी विषय पर है। आज हम आपको अपने इस लेख के माध्यम से बताएंगे कि शिशु का बार बार उबासी लेना कितना आम और कितना गंभीर ।है साथ ही इसके कारण और नियंत्रित करने के तरीके के बारे में भी जानेंगे। पढ़ते हैं आगे...
क्या कहती है रिसर्च
बता दें कि शिशु का उबासी लेना बेहद आम होता है। यह उनके दैनिक जीवन का ही एक हिस्सा होता है। इस पर रिसर्च भी सामने आई है जो यह बताती है कि छोटे बच्चों में उबासी को विकास का संकेत मानते हैं। इससे संबंधित रिसर्च पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें।
वहीं इससे अलग कुछ और भी शोध हैं जो यह बताते हैं कि उबासी आना किसी नींद से जुड़ी परेशानी या स्लीप ऑब्स्ट्रक्टिव एपनिया के कारण भी हो सकता है। इस रिसर्च में छोटे बच्चों के साथ-साथ बड़ों में भी उबासी के इन कारणों का वर्णन किया गया है। रिसर्च पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें।
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छोटे बच्चे एक दिन में कितनी बार उबासी लेते हैं?
आमतौर पर हम बच्चों के उबासी लेने की गिनती नहीं करते हैं। लेकिन एनसीबीआई की एक रिसर्च यह कहती है कि जन्म से लेकर 12 वर्ष तक की उम्र के बच्चे दिन में 9 बार उबासी लेते हैं। इस रिसर्च को पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें।
छोटे बच्चे का किस वक्त उबासी लेना सामान्य है?
वैसे तो बच्चे रात को सोने से पहले, दिन में सोने से पहले, दोपहर, शाम उबासी लेते रहते हैं। लेकिन जब वो सोकर उठते हैं यानि सुबह के समय और दोपहर को सोकर उठने के बाद उबासी लेना बेहद आम माना जाता है। इससे संबंधित रिसर्च पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें।
शिशुओं और छोटे बच्चों को कब संक्रामक जम्हाई आती है?
बता दें कि जहां तक बात शिशुओं की है तो 1 महीने से 3 साल तक के बच्चों को संक्रामक उबासी नहीं आती है। लेकिन यदि 3 साल के बाद बच्चों को बार बार जम्हाई आए तो वह संक्रामक जमाई हो सकती है। इससे संबंधित एक शोध भी सामने आया है जो यह बताता है कि जिन बच्चों की उम्र 4 साल या 5 साल होती है उन बच्चों को संक्रामक जम्हाई आ सकती है। हालांकि यह परिस्थिति असामान्य होती है। ऐसे में हम कह सकते हैं कि छोटे बच्चों को संक्रामक जम्हाई आ सकती है। लेकिन शिशुओं को संक्रामक जम्हाई नहीं आती है।
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शिशुओं में उबासी आने के कारण
जैसा कि हमने पहले भी बताया छोटे बच्चों में जम्हाई आना बेहद काम होता है। लेकिन इसके पीछे कुछ गंभीर और कुछ आम कारण भी हो सकते हैं। जानें यह कारण निम्न प्रकार हैं-
1 - अगर छोटे बच्चे ज्यादा बार उबासी लें तो इसके पीछे कुछ ब्रेन से जुड़ी समस्याएं भी हो सकती हैं। जैसे मल्टीपल स्क्लेरोसिस की समस्या उबासी का एक कारण होती है। बता दें कि यह ऑटोइम्यून समस्या है जो मस्तिष्क के साथ रीढ़ की हड्डी को भी प्रभावित कर सकती है। इसके अलावा उबासी के पीछे मस्तिष्क की समस्याएं जैसे स्ट्रोक, मिर्गी, ट्यूमर आदि भी हो सकते हैं। इससे संबंधित रिसर्च पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें।
2 - जब शिशु को ज्यादा थकान महसूस होती है तो वह बार बार उबासी लेना शुरू कर देता है। हालांकि शिशु के अलावा बड़ों में भी यह लक्षण थकान का ही माना जाता है। जब बच्चे जरूरत से ज्यादा थक जाते हैं तो वह बार-बार जम्हाई लेना शुरू कर देते हैं।
3 - अक्सर आपने देखा होगा कुछ बच्चे दिन में भी बार बार जम्हाई लेना शुरू करते हैं। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि उन बच्चों को दिन में सोने की आदत होती है। जब उनके सोने का समय नजदीक आता है तो उसके आसपास में उबासी लेना शुरू कर देते हैं।
4 - बच्चों के शरीर में तापमान घटने बढ़ने लगता है तब भी बच्चों को जमाई आ सकती है। अगर बच्चे कोई ऐसी दवाइयों का सेवन कर रहे हैं, जिससे मस्तिष्क का तापमान बढ़ रहा है तो ज्यादा दवाई उबासी आ सकती है। इससे अलग यदि बच्चे हाइपोथर्मिया यानी तापमान को कम करने वाली दवा का सेवन कर रहे हैं तो उन्हें उबासी कम आ सकती है। हालांकि यह परिस्थिति बेहद कम देखने को मिलती हैं।
5 - जब शिशु की नींद पूरी नहीं होती तो वह उबासी लेना शुरू कर देते हैं। इससे जुड़े की रिसर्च भी सामने आई है जो यह बताती है कि नींद की कमी छोटे बच्चों के साथ-साथ बड़ों में भी उबासी का एक कारण है। रिसर्च पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें...
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छोटे बच्चों में उबासी को नियंत्रित करने के तरीके
अगर छोटे बच्चों को बार-बार उबासी आ रही है और इसके पीछे कारण ऊपर बताए गए हैं तो निम्न तरीकों से नियंत्रित किया जा सकता है
1 - चूंकि जमाई लेना थकान का एक लक्षण है ऐसे में माता पिता को ध्यान देना चाहिए कि बच्चे को थकान है या नहीं अगर बच्चा थका हुआ है तो उसे तुरंत सुला देना चाहिए।
2 - नींद की कमी के कारण जमाई आती है ऐसे में शिशु को पूरी नींद लेनी जरूरी है।
3 - शिशु को जन्म के शुरुआत के 6 महीने स्तनपान करवाना जरूरी होता है।
4 - बच्चों के सोने के पैटर्न को बार-बार ना बदलें।
5 - छोटे बच्चे के सोने की जगह को फिक्स करें।
6 - बच्चों के सोने के लिए सही बिस्तर का चुनाव करें।
7 - बच्चों के सोने और उठने के समय को तय करें और बच्चे को उसी समय पर सुलाएं। टाइम टेबल बनाने से बार बार उबासी की समस्या दूर हो सकती है।
नोट - ऊपर बताए गए बिंदुओं से पता चलता है कि शिशुओं में उबासी आना आम भी हो सकता है और गंभीर भी। ऐसे में सबसे पहले यह पता लगाना जरूरी है कि छोटे बच्चों को उबासी किस कारण आ रही है। उसके बाद ही इसका इलाज किया जा सकता है। हालांकि छोटे बच्चों में उबासी बेहद आम है। लेकिन अगर वह दिन में कई कई बार उबासी ले रहा है तो ऐसे में डॉक्टर से संपर्क करना बेहद जरूरी है। इससे अलग उबासी का संबंध बच्चों की नींद से भी होता है ऐसे में माता-पिता बच्चे की नींद का पूरा ध्यान रखें और बच्चे को थकान महसूस हो तो उसे समय पर सुलाएं। इससे भी इस समस्या को काफी हद तक रोका जा सकता है।