रायपुर, छत्तीसगढ़ के रहने वाले विनय कुमार पेशे से कॉलेज टीचर हैं। विनय को 4-5 दिन से बुखार, सिरदर्द और ठंड लगने की शिकायत थी। शुरू में उन्होंने इसे वायरल समझकर पेरासिटामोल ली, लेकिन हालत बिगड़ती गई। 6 दिनों के बाद उन्हें तेज कंपकंपी, उल्टी और बेहोशी जैसा महसूस हुआ। परिवार ने तुरंत अस्पताल में भर्ती कराया। ब्लड टेस्ट से पता चला कि उन्हें फाल्सीपेरम मलेरिया है। विनय को तुरंत आईसीयू में शिफ्ट किया गया। डॉक्टरों ने तुरंत इलाज शुरू किया और लगभग 5 दिन बाद उनकी हालत सुधरी।
विनय की तरह कई लोग इस तरह की बीमारियों की चपेट में आ जाते हैं। खासकर गर्मी और बारिश के मौसम में, जब मच्छरों से जुड़ी बीमारियां बढ़ जाती हैं। फाल्सीपेरम मलेरिया (Falciparum Malaria), मलेरिया का सबसे गंभीर और खतरनाक प्रकार होता है। यह प्लाज्मोडियम फाल्सीपेरम (Plasmodium Falciparum) नाम के परजीवी के कारण होता है, जो संक्रमित मादा एनोफिलीज मच्छर (Anopheles Mosquito) के काटने से इंसानों में फैलता है। जब मलेरिया फैलाने वाला मच्छर काटता है, तो यह परजीवी शरीर में चला जाता है और लिवर और फिर रेड ब्लड सेल्स (Red Blood Cells) को संक्रमित करता है। समय पर जांच और सही इलाज न होने पर यह बीमारी जानलेवा साबित हो सकती है। हर साल 25 अप्रैल को पूरी दुनिया में वर्ल्ड मलेरिया दिवस (World Malaria Day 2025) मनाया जाता है। 2007 में विश्व स्वास्थ्य संगठन ने वर्ल्ड मलेरिया डे की शुरुआत की थी। इसका मकसद था मलेरिया के खिलाफ वैश्विक प्रयासों को एक मंच देना। इसी कड़ी में हम आज आपको फाल्सीपेरम मलेरिया के लक्षण, कारण और इलाज की जानकारी देंगे। इस विषय पर बेहतर जानकारी के लिए हमने लखनऊ के संजय गांधी पोस्ट ग्रेजुएट इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज में हॉस्पिटल मैनेजमेंट के एचओडी डॉ राजेश हर्षवर्धन से बात की।
प्लाज्मोडियम फाल्सीपेरम से फैलता है फाल्सीपेरम मलेरिया- Plasmodium Falciparum cause Falciparum Malaria
प्लाज्मोडियम फाल्सीपेरम (Plasmodium Falciparum) एक परजीवी (Parasite) है जो मलेरिया फैलाने वाले चार प्रमुख परजीवियों में से सबसे खतरनाक होता है। यह इंसानों में मलेरिया (Malaria) का सबसे गंभीर प्रकार- फाल्सीपेरम मलेरिया का कारण बनता है। यह एक सूक्ष्म जीवाणु (Microscopic Parasite) है, जिसे आप खुली आंखों से नहीं देख सकते। शरीर में जाने के बाद यह पहले लिवर और फिर रेड ब्लड सेल्स पर हमला करता है।
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फाल्सीपेरम मलेरिया क्यों है एक जानलेवा बीमारी?- Why Falciparum Malaria is a Deadly Disease
फाल्सीपेरम मलेरिया बहुत तेजी से शरीर में फैलता है और अगर समय पर इलाज न हो, तो यह दिमाग, किडनी या फेफड़ों को नुकसान पहुंचा सकता है और जानलेवा भी हो सकता है। फाल्सीपेरम मलेरिया से सेरेब्रल मलेरिया (दिमाग में सूजन) की समस्या हो सकती है। यह मलेरिया बच्चों और गर्भवती महिलाओं के लिए और भी ज्यादा खतरनाक होता है।
इससे शरीर में गंभीर एनीमिया (खून की कमी) हो सकती है।
फाल्सीपेरम मलेरिया के लक्षण- Falciparum Malaria Symptoms
फाल्सीपेरम मलेरिया के लक्षण आमतौर पर मच्छर के काटने के 9 से 14 दिन बाद दिखाई देते हैं-
- तेज बुखार जो बार-बार आता-जाता है
- कंपकंपी के साथ ठंड लगना
- सिरदर्द और ज्यादा थकान होना
- उल्टी या मितली
- मांसपेशियों में दर्द
- त्वचा और आंखों का पीला पड़ना (पीलिया)
- कई मामलों में बेहोशी या दौरे भी हो सकते हैं (अगर मलेरिया दिमाग तक पहुंच जाए)
यह लक्षण कभी-कभी सामान्य वायरल बुखार जैसे लगते हैं, जिससे लोग इसे नजरअंदाज कर बैठते हैं।
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फाल्सीपेरम मलेरिया के कारण- Falciparum Malaria Causes
- मादा एनोफिलीज मच्छर का काटना, जो प्लाज्मोडियम फाल्सीपेरम परजीवी से संक्रमित होता है।
- गंदे पानी या झाड़ियों में मच्छरों का पनपना।
- संक्रमित खून से संपर्क, जैसे कि संक्रमित सुई या खून चढ़ाने के दौरान संपर्क में आना।
- संक्रमित मां से गर्भस्थ शिशु को संक्रमण होना।
फाल्सीपेरम मलेरिया का इलाज- Falciparum Malaria Treatment
1. सही समय पर जांच कराएं
डॉ राजेश ने बताया कि अगर बुखार 2-3 दिन से बना हुआ है, या ठंड के साथ कंपकंपी लग रही है, तो तुरंत ब्लड टेस्ट कराएं। खासकर अगर आप मलेरिया-प्रभावित क्षेत्र में रहते हैं या हाल ही में वहां यात्रा की हो।
2. दवा का कोर्स पूरा करें
प्लाज्मोडियम फाल्सीपेरम बहुत तेज फैलता है। इसके लिए आमतौर पर एसीटी ACT (Artemisinin-based Combination Therapy) दी जाती है और मलेरिया रोधी दवाएं दी जाती हैं। मरीज को हर दवा डॉक्टर की सलाह से और पूरी अवधि तक लेनी चाहिए, चाहे बुखार उतर भी जाए, तो भी डॉक्टर की सलाह के बगैर दवा बंद न करें।
3. बुखार के दौरान शरीर को हाइड्रेट रखें
बार-बार उल्टी या बुखार में पसीने से शरीर में पानी और इलेक्ट्रोलाइट की कमी हो सकती है। ओआरएस, नारियल पानी या सादा पानी का सेवन लगातार करते रहें। अगर डायबिटीज है, तो पैकेज्ड ड्रिंक्स न पिएं।
4. गंभीर मामलों में हॉस्पिटल में भर्ती होना जरूरी है
अगर मरीज को बार-बार बेहोशी, सांस लेने में दिक्कत या ज्यादा कमजोरी हो रही है, तो आईसीयू में निगरानी में रखना पड़ सकता है। यह मलेरिया किडनी, लिवर या दिमाग को प्रभावित कर सकता है।
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फाल्सीपेरम मलेरिया से बचने के उपाय- Falciparum Malaria Prevention
- रात में सोते समय मच्छरदानी जरूर इस्तेमाल करें।
- शरीर को ढकने वाले कपड़े पहनें और मच्छर भगाने वाली क्रीम या स्प्रे का इस्तेमाल करें।
- घर के आसपास पानी जमा न होने दें।
- गमले, कूलर, टायर या खुले बर्तन में पानी न जमा करें, इसे हर हफ्ते साफ करें।
- जिनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होती है, उन्हें इस बीमारी का खतरा ज्यादा होता है। कमरों को साफ और मच्छर मुक्त रखें।
- मलेरिया प्रभावित क्षेत्रों में रह रहे लोगों को साल में एक या दो बार जांच कराना बेहतर होता है।
फाल्सीपेरम मलेरिया एक गंभीर बीमारी है। यह जितनी तेजी से शरीर पर हमला करता है, उतनी ही तेजी से इलाज न हो, तो यह जानलेवा साबित हो सकता है। इसलिए इसके लक्षणों को पहचानना, समय पर जांच कराना और डॉक्टर की सलाह लेकर पूरा इलाज कराना जरूरी है।
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