Malaria in Hindi: मलेरिया प्लास्मोडियम परजीवी की वजह से होता है, जो कि संक्रमित मादा एनोफिलीज मच्छर के काटने से इंसानों में फैलता है। यह परजीवी इंसान के खून में जाकर लिवर को प्रभावित करता है, और फिर रेड ब्लड सेल्स में फैल जाता है। अगर मलेरिया के संक्रमण को न रोका जाए, तो यह मरीज के लिए जानलेवा हो सकता है। शुरुआत में मरीज को बुखार, ठंड लगना, खांसी, जुकाम, उल्टी, दस्त (symptoms of malaria) की परेशानियां होती हैं, लेकिन अगर बीमारी गंभीर हो जाए, तो मरीज को पीलिया, सांस लेने दिक्कत, पेशाब में खून आने जैसी दिक्कते भी होने लगती हैं। भारत के परिपेक्ष्य में बात की जाए, तो मलेरिया के कारणों को रोकने की तमाम कोशिशें की जा रही है, और इसी के चलते मलेरिया के मामलों में काफी ज्यादा कमी आई है। लेकिन सवाल ये उठता है कि भारत में मलेरिया पूरी तरह से खत्म क्यों नहीं हो पा रहा? वर्ल्ड मलेरिया डे (World Malaria Day) के मौके पर इसके पीछे के कारणों को जानने की कोशिश की गई है और साथ ही इस बीमारी के इलाज के तरीकों पर भी बात की। कारणों को जानने से पहले भारत में मलेरिया के आंकड़ों पर बात करते हैं।
भारत में मलेरिया के आंकड़े - Malaria Data in India
अगर आंकड़ों को देखा जाए, तो वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन (WHO) के अनुसार, साल 2023 में दुनियाभर में 26 करोड़ से ज्यादा लोग मलेरिया की चपेट में आए थे। हालांकि, भारत में मलेरिया के मामलों में काफी कमी आई है। आजादी के समय मलेरिया के मामले हर साल 7.5 करोड़ थे, जो साल 2023 में घटकर 20 लाख रह गए हैं। लेकिन, आंकड़ों में भारी गिरावट के बावजूद मलेरिया के मामलों को पूरी तरह से रोकना एक चुनौती बना हुआ है। भारतीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय (MoHFW) के अनुसार, साल 2021 में मलेरिया के मामले 1 लाख 61 हजार से ज्यादा मामले दर्ज किए गए थे, जबकि साल 2023 में यह आंकड़ा बढ़कर 2 लाख 57 हजार से ज्यादा हो गया। भारत में साल दर साल बढ़ते मामलों के कारणों को विशेषज्ञों से जानने की कोशिश करते हैं।
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क्या वजह है मलेरिया खत्म न होने की? - Why Malaria Cannot be Eradicated?
गाजियाबाद के जिला मलेरिया अधिकारी ज्ञानेंद्र मिश्र ने कहा,”देखिए, मलेरिया के मामलों में बहुत ज्यादा गिरावट आई है, लेकिन इसे पूरी तरह खत्म होने में अभी वक्त लगेगा। इसकी कुछ अहम वजहें हैं। सबसे बड़ी वजह है कि आज के समय में भारत में जो मलेरिया के केस सामने आ रहे हैं, उनमें से ज्यादातर बाहर से आने वाले लोग लेकर आ रहे हैं। जैसे, हाल ही में एक बच्चा अफ्रीका से लौटा। उसे वहां मलेरिया हो गया था, और जब वह भारत आया, तो और ज्यादा बीमार हो गया। इस तरह से बीमारी कभी-कभी वापस फैलने लगती है।”
ज्ञानेंद्र मिश्र ने कहा कि देश में बहुत से लोग रोजगार या पढ़ाई के लिए एक राज्य से दूसरे राज्य जाते हैं, या विदेशों से भारत आते हैं। ऐसे लोगों के साथ मलेरिया जैसे रोग भी आ सकते हैं। इसे माइग्रेटेड केस कहते हैं। उत्तर प्रदेश सरकार ने तय किया है कि 2027 तक राज्य में मलेरिया का एक भी स्थानीय केस नहीं रहेगा। वहीं, भारत सरकार का भी लक्ष्य है कि 2030 तक पूरे देश से मलेरिया को पूरी तरह खत्म कर दिया जाए।
हैदराबाद के एमपाथ लैब्स के लैब डायरेक्टर डॉ. शालिनी सिंह (Dr Shalini Singh, Lab Director, Ampath Labs, Hyderabad) का कहना है, “मलेरिया की जांच के नजरिए से देखा जाए, तो बीमारी की जल्दी पहचान न होना सबसे बड़ी कमी है। खासकर दूर-दराज के इलाकों में लोग जांच नहीं करा पाते या बीमारी का गलत पता चलता है, इसलिए मलेरिया के मामले खत्म नहीं हो पा रहे। इसके अलावा, देश के हर इलाके में जांच के तरीके एक जैसे नहीं है, लैब्स आसानी से उपलब्ध नहीं है और कुछ लोगों को बिना लक्षण के भी मलेरिया होता है।
इस बारे मे सिटीजन स्पेशलिटी अस्पताल के इंटरनल और जनरल मेडिसन फिजिशयन डॉ. पापारॉव नाडकुंदरू (Dr Paparao Nadakuduru, Internal & General Medicine Physician, Citizens Specialty Hospital) से बात की। उनके अनुसार, हालांकि मलेरिया पर काबू पाया गया है, इसके बावजूद भारत में मलेरिया खत्म न होने की वजह गांव और आदिवासी इलाकों में इलाज की सभी सुविधाएं नहीं है, देश के कई इलाकों में कई महीनों तक पानी ठहरा रहता है, जिसमें मच्छर आसानी से पनपते हैं। इसके अलावा, देश का मौसम ऐसा है, जो मच्छरों को बढ़ने में मदद करता है।
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मलेरिया के लक्षणों का आसानी से पता क्यों नहीं चल पाता है? - Why Symptoms of Malaria Cannot Diagnose
आमतौर पर देखा जाता है कि मलेरिया के मरीजों को बीमारी का पता बहुत देर में चलता है। इसकी एक वजह तो लोगों में मलेरिया के प्रति जागरूकता की कमी पाई गई है। इस बारे में फैमिली फिजिशियन ऑफ इंडिया के अध्यक्ष और जनरल फिजिशियन डॉ. रमन कुमार का कहना है, “दरअसल मलेरिया के लक्षणों का आसानी से पता नहीं चल पाता, क्योंकि इस बीमारी के लक्षण अन्य बीमारियों से काफी मिलते-जुलते हैं या फिर शुरुआती लक्षण इतने सामान्य होते हैं कि लोग उन्हें गंभीरता से नहीं लेते। शुरुआती लक्षणों में सिरदर्द, तेज बुखार, बहुत ज्यादा पसीना आना, उल्टी होना, मांसपेशियों में दर्द होना और खांसी होना शामिल है। इसलिए मैं सभी को कहता हूं कि जब भी बहुत ज्यादा ठंड लगने के साथ कंपकंपी आए, छाती और पेट में तेज दर्द हो, शरीर में ऐंठन हो, तो तुरंत डॉक्टर से सलाह लें।”
लोगों को क्यों लगता है कि एक बार मलेरिया हो गया तो दोबारा नहीं होगा? - Why People Think Malaria Cannot Relapse?
लोगों का मिथकों पर विश्वास करना भी भारत में मलेरिया खत्म न होने की एक वजह है। लोग अक्सर मान लेते हैं कि एक बार मलेरिया होने के बाद वह व्यक्ति बीमारी से इम्यून हो गया है, लेकिन सच्चाई इससे एकदम अलग है। द्वारका के मणिपाल अस्पताल के संक्रमण बीमारियों के विभाग की एचओडी और कंसल्टेंट डॉ. अंकिता बेडिया (Dr. Ankita Baidya, HOD And Consultant - Infectious Diseases, Manipal Hospital Dwarka) का कहना है,” मलेरिया जीवन में बार-बार हो सकता है। अगर इसका सही तरीके से इलाज न किया जाए, तो ये दोबारा हो सकता है। मलेरिया के परजीवी लिवर में रह जाते हैं और वे दोबारा शरीर पर अटैक कर सकते हैं। इसके अलावा, अगर मलेरिया से पूरी तरह ठीक होने के बाद संक्रमित मच्छर दोबारा काट ले, तो फिर से मलेरिया हो सकता है। इसलिए यह सोचना गलत है कि मलेरिया एक बार होने के बाद दोबारा नहीं हो सकता।“
मलेरिया से जुड़ी वैक्सीन के प्रति जागरूकता की क्या कमी है? - Reason of Low Awareness of the Malaria Vaccine
इस बारे में डॉ. रमन कहते हैं कि हालांकि मलेरिया की वैक्सीन WHO से प्रमाणित है, लेकिन इसकी समस्या ये है कि यह वैक्सीन जीवनभर सुरक्षा नहीं देती और मलेरिया के विभिन्न परजीवियों पर पूरी तरह से प्रभावी नहीं है। इस वजह से लोगों में वैक्सीन के प्रति ज्यादा जागरुकता नहीं है।
इस बारे में डॉ. पापारॉव कहते हैं,”मलेरिया का टीका अभी काफी नया है, जिसे अभी ज्यादातर देशों में लगाया नहीं जा रहा। इस वैक्सीन का इस्तेमाल सिर्फ अफ्रीका के देशों में हो रहा है। भारत में मलेरिया को रोकने और उसके इलाज पर ध्यान दिया जा रहा है। इसलिए लोगों में टीके को लेकर ज्यादा जागरूकता नहीं है।”
कुछ ऐसे ही विचार मलेरिया जिला अधिकारी ज्ञानेंद्र मिश्र के भी हैं। उनका भी कहना है कि भारत में अभी तक मलेरिया की कोई वैक्सीन लॉन्च ही नहीं हुई है। अफ्रीका के कुछ देशों में एक वैक्सीन (Mosquirix) का इस्तेमाल जरूर हो रहा है, लेकिन भारत में यह आम लोगों के लिए उपलब्ध नहीं है।
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मलेरिया किन लोगों को ज्यादा होने का रिस्क रहता है? - People Who are at Risk of Malaria
इस बारे में हैदराबाद के एमपाथ लैब्स के लैब डायरेक्टर डॉ. शालिनी सिंह कहती हैं,”मलेरिया आमतौर पर उन इलाकों में ज्यादा फैलता है जहां यह बीमारी पहले से फैली हुई होती है, और खासकर वहां के लोगों में जिन्हें समय पर जांच और इलाज नहीं मिल पाता। उदाहरण के तौर पर मजदूर जो निर्माण या खदानों में लगे हैं, खेतों में काम करने वाले लोग और जिन लोगों को घर गंदे या ठहरे पानी के पास होते हैं।
इस बारे में डॉ. पापारॉव ने इन लोगों में मलेरिया का ज्यादा रिस्क बताया है।
- 5 साल से कम उम्र के बच्चे
- गर्भवती महिलाएं
- कमजोर इम्यून सिस्टम वाले लोग
- प्रवासी मजदूर और जिन्हें समय पर जांच और इलाज की सुविधा नहीं मिल पाती।
मलेरिया का इलाज पूरा कराना क्यों जरूरी है? - Why Important to Complete Treatment of Malaria?
मुम्बई के लीलावती अस्पताल के इंटरनल मेडिसन विशेषज्ञ डॉ. लिपिका पारूलेकर (Dr. Lipika Parulekar,
Internal Medicine Expert, Lilavati Hospital Mumbai) ने कहा, “ मरीज को कम से कम 14 दिन का इलाज कराना बहुत महत्वपूर्ण है, क्योंकि अगर कोई मरीज इलाज बीच में छोड़ देता है, तो दोबारा मलेरिया होने का चांस 30 प्रतिशत तक बढ़ जाते हैं। आसान भाषा में समझाया जाए, तो मलेरिया का परजीवी लिवर में छिपकर रहता है, अगर इलाज अधूरा छोड़ दिया जाए, तो यह बीमारी दोबारा हो सकती है और गंभीर रूप ले सकती है। इसलिए जरूरी है कि समय रहते डॉक्टर के पास जाए और सही तरीके से इलाज कराएं।”
मलेरिया के इलाज के समय क्या खाना सही रहता है? - Diet During Malaria Treatment
न्यूट्रिशनिस्ट्स इलाज के दौरान डाइट पर खास ध्यान देने की सलाह देते हैं। मुम्बई के झायनोवा शाल्बे अस्पताल की डाइटिशियन जीनल पटेल (Jinal Patel, Dietician, Zynova Shalby Hospital Mumbai) ने मलेरिया में डाइट के कुछ खास टिप्स दिए हैं।
- शरीर को हाइड्रेट रखें - मूंग की दाल का पानी, नारियल पानी, जूस और छाछ लेते रहें।
- पपीते के पत्ते न लें - पपीते के पत्तों में कई तरह के टॉक्सिन्स होते हैं, इसलिए पत्तों की बजाय पपीता खाएं।
- संतुलित आहार लें - खाने में अदरक, लहसुन और नींबू जरूर लें। इससे इम्यूनिटी बढ़ती है और खाने का स्वाद बेहतर बनाते हैं।
- खाने का समय - मलेरिया के मरीजों को अक्सर भूख नहीं लगती। इसलिए मरीज एक साथ खाने की बजाय हर 2 से 3 घंटे बाद थोड़ा-थोड़ा खाते रहें। इससे जरूरी पोषण मिलने के साथ पाचन पर ज्यादा दबाव नहीं पड़ेगा।