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प्रेग्नेंसी में रूटीन प्रीनेटल स्क्रीनिंग क्यों है जरूरी? डॉक्टर से जानें

प्रेग्नेंसी हर महिला के जीवन का बेहद खास और सेंसिटिव समय होता है। यहां जानिए, प्रेग्नेंसी में रूटीन स्क्रीनिंग क्यों जरूरी है?
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प्रेग्नेंसी में रूटीन प्रीनेटल स्क्रीनिंग क्यों है जरूरी? डॉक्टर से जानें


प्रेग्नेंसी हर महिला के लिए खुशी और उम्मीदों से भरा समय होता है, लेकिन यह दौर चुनौतियों और चिंताओं से भी अछूता नहीं है। मां और अजन्मे बच्चे की सेहत को सुरक्षित रखने के लिए नियमित जांच बेहद जरूरी होती है। यही वजह है कि डॉक्टर हमेशा सलाह देते हैं कि प्रेग्नेंट महिलाओं को प्रीनेटल स्क्रीनिंग टेस्ट समय-समय पर जरूर कराने चाहिए। ये जांच न केवल प्रेग्नेंसी की प्रगति (pregnancy Progress) पर नजर रखती हैं, बल्कि किसी भी संभावित खतरे को समय रहते पहचानने में मदद करती हैं। प्रीनेटल स्क्रीनिंग एक तरह की मेडिकल मॉनिटरिंग है जिसमें ब्लड टेस्ट, यूरिन टेस्ट, अल्ट्रासाउंड और विशेष जेनेटिक स्क्रीनिंग शामिल होती है। इस लेख में जयपुर के दिवा अस्पताल और आईवीएफ केंद्र की प्रसूति एवं स्त्री रोग की विशेषज्ञ, लेप्रोस्कोपिक सर्जन और आईवीएफ विशेषज्ञ डॉ. शिखा गुप्ता (Dr. shikha gupta, Laparoscopic surgeon and IVF specialist, DIVA hospital and IVF centre) से जानिए, प्रेग्नेंसी में रूटीन स्क्रीनिंग क्यों जरूरी है?

प्रेग्नेंसी में रूटीन स्क्रीनिंग क्यों जरूरी है? - Why Routine Prenatal Screenings Are Essential

आईवीएफ विशेषज्ञ डॉ. शिखा गुप्ता बताती हैं कि प्रीनेटल स्क्रीनिंग ऐसे मेडिकल टेस्ट होते हैं जो प्रेग्नेंसी के दौरान समय-समय पर कराए जाते हैं। इनका मकसद मां और शिशु दोनों की सेहत पर निगरानी रखना और किसी भी तरह की असामान्यता को शुरुआती लेवल पर पकड़ना है।

  • इन टेस्ट से पता चलता है कि मां को एनीमिया, थायराइड, डायबिटीज या हाई BP जैसी समस्या तो नहीं।
  • अल्ट्रासाउंड और ब्लड टेस्ट से भ्रूण का विकास, वजन और अंगों की बनावट की जानकारी मिलती है।
  • जेनेटिक डिसऑर्डर की पहचान के लिए कराए जाने वाले कुछ टेस्ट बच्चे में डाउन सिंड्रोम या अन्य जन्मजात बीमारियों का जोखिम बता सकते हैं।
  • प्लेसेंटा की स्थिति, एम्नियोटिक फ्लूइड की मात्रा और प्री-टर्म लेबर जैसी समस्याओं का समय पर पता चलता है।

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प्रेग्नेंसी में होने वाले स्क्रीनिंग टेस्ट - Screening tests in pregnancy

1. ब्लड टेस्ट और यूरिन टेस्ट

ये टेस्ट मां के खून और पेशाब के जरिए शुगर लेवल, हीमोग्लोबिन, इंफेक्शन और थायराइड की जांच करते हैं।

2. अल्ट्रासाउंड स्कैन

पहली तिमाही से लेकर डिलीवरी तक कई बार अल्ट्रासाउंड किया जाता है ताकि भ्रूण की ग्रोथ और मूवमेंट की निगरानी हो सके।

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prenatal screening

3. ग्लूकोज टॉलरेंस टेस्ट

यह टेस्ट प्रेग्नेंसी में डायबिटीज (Gestational Diabetes) की जांच के लिए किया जाता है।

4. जेनेटिक स्क्रीनिंग

कुछ मामलों में डॉक्टर गर्भ में पल रहे शिशु के जेनेटिक डिसऑर्डर का पता लगाने के लिए स्पेशल टेस्ट कराते हैं।

निष्कर्ष

प्रेग्नेंसी एक नेचुरल और खूबसूरत प्रक्रिया है, लेकिन इसमें सावधानी और जागरूकता बेहद जरूरी है। रूटीन प्रीनेटल स्क्रीनिंग टेस्ट न केवल मां और बच्चे की सेहत की निगरानी करते हैं, बल्कि किसी भी जटिलता को समय पर पहचानकर उसका इलाज संभव बनाते हैं। इसलिए प्रेग्नेंट महिलाओं को डॉक्टर की सलाह के अनुसार सभी जरूरी स्क्रीनिंग टेस्ट समय-समय पर जरूर कराना चाहिए।

All Images Credit- Freepik

FAQ

  • क्या हर गर्भवती महिला के लिए प्रीनेटल स्क्रीनिंग जरूरी है?

    यह हर प्रेग्नेंट महिला के लिए जरूरी है। चाहे महिला स्वस्थ हो, फिर भी नियमित जांच से भ्रूण और मां की सुरक्षा सुनिश्चित होती है।
  • क्या स्क्रीनिंग टेस्ट से बच्चे को कोई नुकसान होता है?

    नहीं, प्रीनेटल स्क्रीनिंग जैसे ब्लड टेस्ट, यूरिन टेस्ट और अल्ट्रासाउंड सुरक्षित होते हैं। ये मां और शिशु दोनों के लिए हानिकारक नहीं हैं।
  • अगर स्क्रीनिंग में कोई समस्या दिखे तो क्या करना चाहिए?

    अगर किसी टेस्ट में असामान्यता पाई जाती है तो डॉक्टर आगे की जांच या उपचार की सलाह देते हैं। शुरुआती स्तर पर पता चलने से इलाज आसान हो जाता है।
  • क्या प्रीनेटल स्क्रीनिंग से बच्चे की जन्मजात बीमारियों का पता चल सकता है?

    कुछ खास टेस्ट जैसे जेनेटिक स्क्रीनिंग से डाउन सिंड्रोम और अन्य जन्मजात विकारों का जोखिम पहचाना जा सकता है।

 

 

 

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