प्रेग्नेंसी के दौरान क्या आप भी रहती हैं चिंतित? जानें Prenatal Anxiety के लक्षण और बचाव के उपाय

प्रेग्नेंसी के दौरान होने वाली एंग्जाइटी को प्रीनेटल एंग्जाइटी कहा जाता है। इस लेख में जानिए, गर्भवती महिला इस तरह की एंग्जाइटी से कैसे बच सकती हैं।

Meera Tagore
Written by: Meera TagoreUpdated at: Mar 07, 2023 17:23 IST
प्रेग्नेंसी के दौरान क्या आप भी रहती हैं चिंतित? जानें Prenatal Anxiety के लक्षण और बचाव के उपाय

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प्रेग्नेंसी का दौर हर महिला के लिए बहुत खास होता है। हर गर्भवती महिला अपने इस दौर को अच्छी तरह जीना चाहती है और इसका भरपूर आनंद उठाना चाहती है। लेकिन प्रेग्नेंसी के सफर बहुत सारे उतार-चढ़ावों से भरा होता है। कभी इसमें खुशियां होती हैं, तो कभी समस्याएं भी होती हैं। इस दौरान महिला को मानसिक और शारीरिक परेशानियों का भी सामना करना पड़ता है। कई बार स्वास्थ्य समस्याएं इतनी बढ़ जाती हैं कि इसकी वजह से उसका मानसिक स्वास्थ्य भी प्रभावित होने लगता है। इसके साथ ही महिला के शरीर में कई तरह के हार्मोनल बदलाव भी होने लगते हैं। इसके नतीजे के रूप में देखा जाता है कि गर्भवती महिला में एंग्जाइटी बढ़ जाती है। गर्भावस्था के दौरान हो रही चिंता को प्रीनेटल एंग्जाइटी कहा जाता है। प्रीनेटल एंग्जाइटी न सिर्फ गर्भवती महिला के साथ-साथ बच्चे के स्वास्थ्य को भी प्रभावित कर सकती है। ऐसे में जरूरी है कि महिलाएं प्रीनेटल एंग्जाइटी के बारे में जानें। पेश है प्रीनेटल एंग्जाइटी से जुड़ी जानकारी और इससे बचने के उपाय।

प्रीनेटल एंग्जाइटी के लक्षण

गर्भावस्था में अपने और शिशु के स्वास्थ्य को लेकर चिंतित हो सामान्य है। कुछ मामलों में यह चिंता गंभीर समस्या का रूप ले सकती है। इस पर ध्यान दिए जाने की आवश्यकता है। इसके लक्षण इस प्रकार हैं, जैसे दिल की धड़कन तेज होना, सांस लेने में तकलीफ महसूस करना, पैनिक अटैक आना, नर्वसनेस महसूस करना, चीजों के बारे में अत्यधिक सोचना, विशेष रूप से अपने और अपने बच्चे को स्वाथ्य को लेकर, नींद न आना, बेचैनी महसूस करना, मन अस्थिर होना, चिड़चिड़ापन और उत्तेजित महसूस करना, डर लगना या अक्सर किसी बुरे की आशंका से ग्रस्त रहना, ध्यान केंद्रित करने में असमर्थता, सोने में कठिनाई होना।

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प्रीनेटल एंग्जाइटी का कारण

प्रेग्नेंसी के दौरान जब एंग्जाइटी होती है, तो उसे प्रीनेटल एंग्जाइटी के नाम से जाना जात है। यह मां और शिशु दोनों के लिए हानिकारक हो सकता है। आमतौर पर महिला को हार्मोनल बदलाव की वजह से प्रीनेटल एंग्जाइटी होती है। इसके अलावा, डिलीवरी और बच्चे के स्वास्थ्य को लेकर भी मां चिंतित रहती है। जिस महिला की पहली डिलीवरी होती है, वे प्रसव को लेकर डरी हुई रहती हैं। यही नहीं, घर का माहौल, पति या रिश्तेदारों के साथ बिगड़ते संबंध भी एंग्जाइटी का कारण बन सकते हैं।

प्रीनेटल एंग्जाइटी से बचाव के उपाय

दोस्तों से बात करें : जब गर्भवती महिला प्रीनेटल एंग्जाइटी से गुजर रही हो, तो उसे अपने मन की बात खुद तक सीमित नहीं रखनी चाहिए। ऐसा करने के बजाय दूसरों के साथ साझा करनी चाहिए। मन की बात कहने से मन हल्का हो जाता है और जो बातें परेशान कर रही हैं, उसका समाधान भी मिल जाता है।

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खुद को प्राथमिकता दें : इन दिनों गर्भवती महिला को चाहिए कि खुद को प्राथमिकता दें। वही चीजें करें, जो उन्हें अच्छी लगती हैं। उन चीजों को जबरन करने की कोशिश न करें, जिन्हें करना पसंद नहीं है। इसके साथ ही अपनी मानसिक और शारीरिक सेहत को दूसरों की तुलना में ज्यादा महत्व दें। ध्यान रखें कि घर के अन्य सदस्य अपना ख्याल खुद रख सकते हैं, लेकिन गर्भ में पल रहे शिशु की देखभाल आपको ही करनी है।

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सक्रिय रहें : सक्रिय रहना भी प्रीनेटल एंग्जाइटी को दूर करने का एक तरीका हो सकता है। आप चाहें तो अपने पूरे दिन को इस तरह शिड्यूल करें कि आपके पास करने के लिए बहुत कुछ हो। इसमें एक्सरसाइज, हॉबी, गाने सुननना जैसी चीजों को भी शामिल कर सकते हैं। सक्रिय रहने की वजह से आपका दिमाग ऐसी बातों पर नहीं जाएगा, जो आपको परेशान करती हैं। साथ ही प्रीनेटल एंग्जाइटी के स्तर को भी कम करेगा।

पर्याप्त आराम करें : गर्भवती महिला को अपने और गर्भ में पल रहे शिशु के स्वास्थ्य का ध्यान रखने के लिए पर्याप्त आराम भी करना चाहिए। रात को अच्छी नींद लें और दिन के समय भी खुद को आराम करने का मौका दें। जितना संभव हो, खुद को स्क्रीन से दूर रखें। फोन या कंप्यूटर पर कम समय बिताएं। दरअसल, फोन या कंप्यूटर पर समय बिताने की वजह से जल्दी नींद नहीं आती है। एक शोध से भी इस बात की पुष्टि हो चुकी है कि स्क्रीन टाइम बढ़ने की वजह से लोगों की नींद कम हुई है। ध्यान रखें, कम नींद आपकी सेहत को प्रभावित कर सकती है। पर्याप्त आराम करने से बच्चे की सेहत पर अच्छा असर पड़ता है।

image credit : freepik

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