प्रेग्नेंसी हर महिला के जीवन का एक बेहद खास और भावनात्मक समय होता है, इस दौरान महिला न सिर्फ शारीरिक रूप से अनेक परिवर्तनों से गुजरती है, बल्कि मानसिक और भावनात्मक रूप से भी सेंसिटिव रहती है। एक ओर जहां वह आने वाले शिशु के लिए उत्साहित होती है, वहीं दूसरी ओर उसके मन में कई तरह के सवाल भी उठते हैं जैसे कि क्या मेरी भावनाएं शिशु को प्रभावित कर सकती हैं? क्या मेरा हंसना, रोना या तनाव लेना गर्भ में पल रहे शिशु पर असर डालता है? इस लेख में हम दिल्ली के आनंद निकेतन में स्थित गायनिका: एवरी वुमन मैटर क्लीनिक की सीनियर कंसल्टेंट, ऑब्सटेट्रिक्स और गायनेकोलॉजिस्ट डॉ. (कर्नल) गुंजन मल्होत्रा सरीन (Dr. (Col.) Gunjan Malhotra Sareen, Senior Consultant, Obstetrics and Gynecologist, Gynecology: Every Woman Matters Clinic, located in Anand Niketan, Delhi) से विस्तार से जानेंगे कि प्रेग्नेंसी में मां की हंसी का भ्रूण पर क्या असर पड़ता है?
मां के खुश होने पर गर्भ में बच्चे का क्या होता है - Impact Of Maternal Laughter Effect On Fetal Development
प्रेग्नेंसी के दौरान मां का मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य शिशु के संपूर्ण विकास में जरूरी भूमिका निभाता है। डॉ. (कर्नल) गुंजन मल्होत्रा सरीन बताती हैं कि हंसी, न केवल मां के लिए बल्कि गर्भ में पल रहे शिशु के लिए भी फायदेमंद हो सकती हैं। जब एक प्रेग्नेंट महिला हंसती है, तो उसके शरीर में एंडोर्फिन, डोपामिन और सेरोटोनिन जैसे हार्मोन का रिलीज बढ़ता है। ये हार्मोन न केवल मां के मूड को बेहतर बनाते हैं, बल्कि ब्लड सर्कुलेशन को भी बेहतर करते हैं। गर्भ में पल रहे शिशु को मां के शरीर से मिलने वाले पोषक तत्वों और ऑक्सीजन की मात्रा इस ब्लड सर्कुलेशन के माध्यम से तय होती है। जब मां खुश होती है और हंसती है, तो शिशु को ज्यादा ऑक्सीजन और पोषण मिलता है, जिससे उसका शारीरिक और मानसिक विकास बेहतर होता है।
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मां की हंसी भ्रूण के मस्तिष्क और दिल की धड़कनों पर सीधा प्रभाव डालती है। जब मां हंसती है, तो शिशु के दिल की धड़कनें थोड़ी बढ़ जाती हैं, जो यह दर्शाता है कि वह बाहरी भावनात्मक संकेतों पर रिएक्शन दे रहा है। अल्ट्रासाउंड स्कैन में यह भी देखा गया है कि मां के हंसने के दौरान गर्भस्थ शिशु कभी-कभी हल्की एक्टिविटी भी करता है जैसे हाथ हिलाना या हल्की करवट लेना।
हंसी थेरेपी और योग का महत्व - Importance of Laughter Therapy and Yoga
हंसी थेरेपी यानी लाफ्टर थेरेपी एक प्रकार का समूह अभ्यास होता है जिसमें महिलाएं मिलकर एक्सरसाइज के साथ-साथ हंसी के माध्यम से मानसिक राहत पाती हैं। यह थेरेपी प्रेग्नेंट महिलाओं के लिए विशेष रूप से उपयोगी मानी जाती है। ऐसा इसलिए, क्योंकि यह न केवल उन्हें तनावमुक्त करती है, बल्कि उन्हें एक सपोर्टिव कम्युनिटी का हिस्सा भी बनाती है। प्रेग्नेंसी के दौरान लाफ्टर योग के अनेक फायदे रिसर्च में भी सामने आए हैं।
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सावधानियां
हालांकि हंसी के फायदे साफ दिखाई देते हैं, लेकिन ज्यादा हंसी, विशेषकर बहुत तेज आवाज में या ज्यादा फिजिकल एक्टिविटी के साथ की गई हंसी, कुछ मामलों में गर्भ में दबाव पैदा कर सकती है। यदि किसी महिला को पेट में खिंचाव, दर्द या असुविधा महसूस हो, तो उसे तुरंत चिकित्सक से परामर्श लेना चाहिए। इसके अतिरिक्त, किसी प्रकार की मानसिक बीमारी या गर्भावस्था संबंधी जटिलता से जूझ रही महिलाओं को हंसी थेरेपी शुरू करने से पहले विशेषज्ञ से राय लेनी चाहिए।
निष्कर्ष
मां की हंसी गर्भस्थ शिशु के लिए एक पॉजिटिव एनर्जी की तरह काम करती है। यह न केवल शिशु के शारीरिक विकास को प्रोत्साहित करती है, बल्कि मानसिक और भावनात्मक रूप से भी उसे सशक्त बनाती है। यदि आप या आपके परिवार में कोई प्रेग्नेंट महिला है, तो उसके चेहरे पर मुस्कान लाने की कोशिश करें, यह उसके साथ-साथ आने वाले नवजात के लिए भी वरदान साबित हो सकता है।
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FAQ
प्रेग्नेंसी में ज्यादा हंसने से क्या होता है?
प्रेग्नेंसी में ज्यादा हंसना सामान्यतौर पर सुरक्षित होता है और यह मां और बच्चे दोनों के लिए फायदेमंद हो सकता है। हंसने से तनाव कम होता है, हार्मोन बैलेंस बना रहता है और ब्लड सर्कुलेशन बेहतर होता है, जिससे गर्भ में शिशु को भी ऑक्सीजन अच्छी मात्रा में मिलती है। हालांकि, अगर हंसते समय पेट में खिंचाव या दर्द महसूस हो तो डॉक्टर से परामर्श लेना चाहिए। ज्यादा हंसी के कारण पेट की मांसपेशियों पर दबाव पड़ सकता है, खासकर आखिरी तिमाही में।गर्भ में बच्चा किस चीज से खुश होता है?
गर्भ में बच्चा मां की भावनाओं, खान-पान और दिनचर्या से प्रभावित होता है। जब मां खुश रहती है, अच्छा संगीत सुनती है, अच्छा भोजन करती है और प्यारभरे माहौल में होती है, तो बच्चे को पॉजिटिव एनर्जी मिलती है और वह खुश महसूस करता है। मां की आवाज, कोमल बातें, हल्की मालिश और पेट पर हाथ फेरना भी शिशु को सुकून देता है।प्रेग्नेंसी का पहला संकेत क्या है?
प्रेग्नेंसी का पहला संकेत आमतौर पर मासिक धर्म यानी पीरियड्स का रुकना होता है। यदि समय पर पीरियड्स नहीं आते हैं, तो यह प्रेग्नेंसी का प्रमुख संकेत माना जाता है। इसके अलावा स्तनों में सूजन या संवेदनशीलता, थकान, हल्का सिरदर्द, मूड स्विंग्स, बार-बार पेशाब आना, मतली या उल्टी, स्वाद और गंध के प्रति संवेदनशीलता भी शुरुआती लक्षण हो सकते हैं। कुछ महिलाओं को हल्की ब्लीडिंग (implantation bleeding) भी हो सकती है जब भ्रूण गर्भाशय में चिपकता है।