Does Mobile Radiation Affect the Mental Development of Children: आज के डिजिटल जमाने में मोबाइल हम सबकी पहली जरूरत बन चुका है। सुबह आंख खुलते ही हम शुरू हुए दिन के बारे में बाद में सोचते हैं, पहले मोबाइल ऑन करके मैनेज और नोटिफिकेशन चेक कर सकते हैं। सिर्फ वर्किंग प्रोफेशनल और यंगस्टर्स ही नहीं, बल्कि मोबाइल का इस्तेमाल बुजुर्ग, घर के बच्चे और महिलाएं भी घर रही हैं। यह बात तो हम सभी जानते हैं कि मोबाइल फोन से रेडिएशन निकलता है। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि मोबाइल फोन से निकलने वाला रेडिएशन आप पर और घर के छोटे बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य पर किस तरह का प्रभाव डाल रहा है?
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की इंटरनेशनल एजेंसी फॉर रिसर्च ऑन कैंसर (IARC) ने मोबाइल फोन रेडिएशन को संभावित रूप से कार्सिनोजेनिक (Group 2B) श्रेणी में रखा है। डब्ल्यूएचओ की रिसर्च बताती है कि लंबे समय तक मोबाइल का इस्तेमाल करने से बच्चों के शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर पड़ता है। लेकिन मोबाइल का इस्तेमाल करने से बच्चों के मानसिक विकास पर असर पड़ता है, इसका कोई प्रमाण मौजूद नहीं हैं।
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क्या बच्चों के मानसिक विकास पर असर डालता है मोबाइल रेडिएशन
गुरुग्राम स्थित सीके बिड़ला अस्पताल के नियोनेटोलॉजी और पीडियाट्रिक्स विभाग की कंसल्टेंट डॉ. श्रेया दुबे (Dr Shreya Dubey, Consultant- Neonatology and Paediatrics, CK Birla Hospital Gurugram) का कहना है कि मोबाइल फोन इलेक्ट्रोमैग्नेटिक रेडिएशन (EMR) उत्सर्जित करते हैं, जो रेडियो फ्रीक्वेंसी (RF) तरंगों के रूप में बाहर निकलता है। जब हम मोबाइल फोन का उपयोग करते हैं, तो यह रेडिएशन हमारे शरीर और दिमाग के कई अंगों तक पहुंचते हैं। यही कारण है आम भाषा में ऐसा कहा जाता है कि मोबाइल का ज्यादा इस्तेमाल करने से बच्चों के मानसिक विकास पर असर पड़ता है।
डॉक्टर के अनुसार, वयस्कों के मुकाबले बच्चों की खोपड़ी पतली होती है, जिससे मोबाइल रेडिएशन आसानी से प्रवेश कर सकता है। 1 से 5 साल की उम्र के बच्चों के मस्तिष्क की कोशिकाएं तेजी से विकसित हो रही होती हैं। ऐसे में वो ज्यादा मोबाइल का इस्तेमाल करते हैं, तो उनके स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचा सकता है।
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बच्चों के मानसिक विकास पर मोबाइल रेडिएशन का प्रभाव
- हेल्थ एक्सपर्ट का कहना है कि ज्यादा मोबाइल उपयोग से बच्चों में सोचने की क्षमता (memory) और एकाग्रता (concentration) पर नेगेटिव असर पड़ता है। मोबाइल रेडिएशन न्यूरॉनल एक्टिविटी को प्रभावित कर सकता है, जिससे संज्ञानात्मक विकास बाधित हो सकता है।
- मोबाइल फोन से निकलने वाली ब्लू लाइट और रेडिएशन बच्चों की नींद के पैटर्न को भी डिस्टर्ब करते हैं। खासकर जब बच्चे रात में ज्यादा मोबाइल फोन का इस्तेमाल करते हैं, तो इससे उनके शरीर का मेलाटोनिन हार्मोन का स्तर घट जाता है, जिससे नींद न आने की समस्या हो सकती है। जब बच्चा सही मात्रा में नींद नहीं लेता है, तो इससे उनके मानसिक विकास में रुकावट आती है।
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- मोबाइल पर ज्यादा स्क्रीन टाइम और मोबाइल रेडिएशन के संपर्क में रहने से बच्चे चिड़चिड़े, गुस्सैल और असामाजिक हो सकते हैं। जब बच्चे परिवार, दोस्त और व्यक्तिगत पर लोगों से दूरी बनाते हैं, तो यह उनके मानसिक विकास को प्रभावित करता है।
- मोबाइल रेडिएशन मस्तिष्क में न्यूरोट्रांसमीटर (जैसे सेरोटोनिन और डोपामाइन) के संतुलन को प्रभावित कर सकता है। इसके कारण उनमें तनाव की समस्या देखी जाती है। जब कम उम्र में तनाव ज्यादा हो, तो यह मानसिक विकास में रुकावट पैदा कर सकता है।
बच्चों को मोबाइल रेडिएशन से कैसे बचाएं?
बाल एवं शिशु रोग विशेषज्ञ का कहना है कि कोई भी बच्चा पेरेंट्स को ही देखकर सीखता है। इसलिए मोबाइल रेडिएशन से बच्चे को बचाने के लिए पेरेंट्स एक सीमित मात्रा में ही मोबाइल स्क्रीन का इस्तेमाल करें। अगर आपका बच्चा मोबाइल देखने के लिए मांगता है, तो उसे 1 घंटे से ज्यादा स्क्रीन टाइम न दें।
बच्चों को मोबाइल फोन हाथ में पकड़कर बात करने के बजाय ईयरफोन या स्पीकर मोड का उपयोग करने के लिए कहें।
जब आवश्यक न हो, तो मोबाइल डेटा और वाईफाई को बंद कर दें। ताकि नोटिफिकेशन को इग्नोर किया जा सके।
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निष्कर्ष
मोबाइल फोन हमारे जीवन का महत्वपूर्ण हिस्सा बन चुका है, लेकिन इसके रेडिएशन के प्रभावों को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। बच्चों के मानसिक विकास को सही रखने के लिए मोबाइल का इस्तेमाल सीमित करें।