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मोबाइल के रेडिएशन से हो सकता है शिशु को नुकसान, डॉक्टर से जानें कैसे

Mobile Radiation Effects: मोबाइल से निकलने वाली रेडिएशन बच्चों में कई स्वास्थ्य समस्याओं का कारण भी बन सकती है। 
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मोबाइल के रेडिएशन से हो सकता है शिशु को नुकसान, डॉक्टर से जानें कैसे

आजकल के लोगों के पास वक्त की कमी है। जो वक्त है भी तो वो मोबाइल और लैपटॉप की स्क्रीन देखने में गुजर रहा है। नेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसिन के डाटा के अनुसार दुनियाभर में 2022 तक हर इंसान दिन के लगभग 19 घंटे मोबाइल पर बिता रहा था। लोग अपने दिन की शुरुआत मोबाइल पर मैसेज पढ़ते हुए करते हैं। इतना ही नहीं रात को सोने से पहले भी लोगों का दिमाग मोबाइल पर ही फोकस रहता है। आम लोग अगर मोबाइल पर बिजी रहे तो चलता है, लेकिन एक न्यू मॉम पूरा दिन फोन पर बिजी रहे तो बच्चे को नुकसान हो सकता है।


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हेल्थ एक्सपर्ट का मानना है कि प्रेग्नेंसी में अगर महिलाएं ज्यादा मोबाइल का इस्तेमाल करें तो यह गर्भ में पलने वाले शिशु को नुकसान पहुंचा सकता है। वहीं, छोटे बच्चों के सामने मोबाइल का ज्यादा इस्तेमाल किया जाए तो यह उनके दिमाग को क्षति पहुंचा सकता है। आज इस आर्टिकल में हम आपको बताएंगे मोबाइल के इस्तेमाल से शिशु क्या-क्या नुकसान हो सकता है। इसके बारे में जानकारी दे रही हैं इंस्टाग्राम हैंडल बच्चों की डॉक्टर और बाल रोग विशेषज्ञ माधवी भारद्वाज।

नींद कम आना

हेल्थ एक्सपर्ट की मानें तो महिलाएं बच्चों को सुलाते समय, खाना खिलाते वक्त या फिर बच्चों के साथ कोई एक्टिविटी करते वक्त मोबाइल का इस्तेमाल करती हैं तो यह बच्चों के ब्रेन को प्रभावित कर सकता है। दरअसल, मोबाइल से निकलने वाली रेडिएशन ब्रेन को प्रभावित करती है, जिसकी वजह से बच्चों की नींद प्रभावित होती है। ऐसे में कई बार बच्चों क कम नींद आना या नींद में बार-बार उठने जैसी बीमारियां हो सकती है। जाहिर सी बात है जब बच्चे को नींद कम आएगी तो उसका स्वभाव चिड़चिड़ा हो जाएगा।

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स्किन पर रैशेज होना

जिस तरह से मोबाइल का इस्तेमाल करने से वयस्कों की स्किन पर रैशेज होते हैं। ठीक वैसे ही यह बच्चों की त्वचा को भी प्रभावित करता है। मोबाइल का रेडिएशन बच्चों की कोमल त्वचा को डैमेज कर सकता है। इसकी वजह से स्किन पर रैशेज, खुजली और जलन की समस्या हो सकती है।

डाइजेशन पर बुरा प्रभाव

कुछ महिलाएं ब्रेस्टफीडिंग करवाते वक्त मोबाइल का इस्तेमाल करती हैं। जिसकी वजह से उनका ध्यान मोबाइल पर ज्यादा और बच्चे पर कम होता है। कई बार ब्रेस्टफीडिंग करवाने के बाद मोबाइल के चक्कर में महिलाएं बच्चों को डकार नहीं दिलाती हैं, जिससे शिशु के डाइजेशन पर बुरा प्रभाव पड़ता है। हेल्थ एक्सपर्ट का कहना है कि डाइजेशन यानि की गट हेल्थ कमजोर होने की वजह से पेट में दर्द, कब्ज और कई तरह की समस्याएं होती हैं।

 

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मानसिक विकास पर डालता है असर

मोबाइल रेडिएशन बच्चों को हाइपरएक्टिव बना देती है, जो मानसिक और भावनात्मक असर डालती है। अगर आपका बच्चा छोटी सी बात से परेशान, फ्रस्ट्रेट, गुस्सा और दुखी हो जाता है यह हाइपरएक्टिव का संकेत हैं। ऐसे बच्चे दूसरों की बात कम ही सुनते हैं, बहुत ज्यादा बोलते हैं और दूसरों की बातों को काटते रहते हैं।

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