How to Take Care of Children with Pneumonia: दिल्ली, एनसीआर समेत पूरे उत्तर भारत में इन दिनों कड़ाके की सर्दी पड़ रही है। सर्दी में निमोनिया बच्चों के लिए जानलेवा साबित हो रहा है। 13 जनवरी को उत्तर प्रदेश के 2 जिलों में निमोनिया की चपेट में आने से 2 बच्चों की मौत हो गई। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक दोनों बच्चों को निमोनिया की शिकायत के बाद अस्पताल लाया गया था। इसी दौरान उनकी हालत बिगड़ी और दोनों मासूम बच्चों की मौत हो गई। निमोनिया एक ऐसी बीमारी है, जो कमजोर इम्यूनिटी वाले बच्चों को ज्यादा परेशान कर सकती है। सर्दियों में बैक्टीरिया और वायरस की वजह से बच्चों में निमोनिया की बीमारी बढ़ जाती है। निमोनिया के लक्षण (Symptoms of Pneumonia) क्या हैं और अगर किसी बच्चे को निमोनिया होता है तो पेरेंट्स को उसकी देखभाल कैसे करनी चाहिए? इस बारे में जानकारी प्राप्त करने के लिए हमने हैदराबाद के चाइल्ड स्पेशलिस्ट संदीप बेलपत्र से बातचीत की।
निमोनिया के लक्षण क्या हैं?- What are the Symptoms of Pneumonia in Hindi
डॉ. संदीप बेलपत्र के अनुसार निमोनिया के बैक्टीरिया नाक और गले के रास्ते फेफड़ों तक पहुंच जाते हैं। इसकी वजह से बच्चों को सांस लेने में परेशानी और सीने में दर्द की समस्या हो सकती है। अगर किसी बच्चे को निमोनिया होता है तो उसमें निम्नलिखित लक्षण दिखाई दे सकते हैंः
- खांसी, नाक बहना
- पसलियों का चलना
- गले में खराश
- खाना या दूध निगलने में परेशानी
- सांसों का तेल चलन
- थकान महसूस करना
- खाना कम खाना
- हार्ट बीट तेज होना
- बुखार आना।
डॉक्टर के अनुसार निमोनिया से पीड़ित बच्चे का इलाज समय अनुसार न किया जाए, तो यह समस्या बढ़ सकती है और बच्चे की मौत भी हो सकती है।
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निमोनिया में बच्चों की देखभाल कैसे करें?- How to Take Care of Children with Pneumonia in Hindi
बच्चे की मालिश करें
निमोनिया जैसी बीमारी सर्द हवाओं के संपर्क में आने से बच्चों को होती है। ऐसे में सरसों के तेल, अजवाइन और लहसुन को गर्म करके बच्चे की छाती पर मालिश करें। यह तेल काफी गर्म होता है। इसकी तेल से बच्चे की मालिश करने से छाती में जमा बलगम पिघलता है और मल के रास्ते से बाहर आ जाता है, जिससे बच्चे को आराम महसूस होता है।
आराम करने दें
निमोनिया में अक्सर बच्चे कमजोरी महसूस करते हैं। कमजोरी की वजह से हो सकता है बच्चा देर तक सोए। इस स्थिति में घबराने की जरूरत नहीं है। इस समय वो जितना आराम करेगा उतनी ही जल्दी उसकी बीमारी से रिकवरी होगी।
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हाइड्रेट बनाए रखें
गले में खराश और दर्द की वजह से इस समय बच्चे को खाना निगलने में परेशानी हो सकती है। कई बार गले में तकलीफ की वजह से बच्चा पानी भी नहीं पीता है, जिससे परेशानी बढ़ सकती है। पानी न पीने की वजह से डिहाइड्रेशन की समस्या हो सकती है। एक्सपर्ट का कहना है कि निमोनिया से परेशान बच्चे को गर्म सूप, हल्का गुनगुना दूध और दलिया जैसी देनी चाहिए, ताकि शरीर हाइड्रेट रहे।
स्टीम लें
छाती में इंफेक्शन होने या बलगम जमा होने पर डॉक्टर स्टीम लेने की सलाह देते हैं। स्टीम लेने से छाती में जमा बलगम पिघलाने में मदद मिलती है, जिससे इंफेक्शन कम होता है। एक्सपर्ट का कहना है कि निमोनिया के लक्षण दिखते ही पेरेंट्स को डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए।
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