
Pneumonia in Kids: जैसे ही सर्दियां शुरू होती हैं, बच्चों में बुखार और सर्दी-जुकाम की शुरुआत हो जाती है। अगर संक्रमण पर समय रहते ध्यान न दिया जाए, तो यह निमोनिया में बदल सकता है। बच्चों की इम्यूनिटी बहुत कम होती है, इसलिए उन्हें निमोनिया होने का खतरा ज्यादा हो सकती है। कई बार बच्चों में फ्लू को सामान्य समझकर छोड़ दिया जाता है, जो कि निमोनिया को गंभीर बना देता है। यूनिसेफ की रिपोर्ट के अनुसार, साल 2021 में दुनियभर में पांच साल से कम उम्र के करीब 7 लाख बच्चों की हर साल मृत्यु होती है। ऐसे में बच्चों को निमोनिया की गंभीरता से बचाने के लिए पैरेंट्स को कुछ खास बातों का ध्यान रखना चाहिए। इस बारे में हमने नई दिल्ली के आकाश हेल्थकेयर के बालविशेषज्ञ विभाग की सीनियर कंसल्टेंट डॉ. मीना जे से बात की। उन्होंने कुछ ऐसे टिप्स दिए हैं, जिससे बच्चों में निमोनिया को गंभीर होने से रोका जा सकता है।
निमोनिया के लक्षण
डॉ. मीना कहती हैं कि अगर बच्चों का इलाज जल्दी शुरू कर दिया जाए, तो उनमें साइड इफेक्ट्स कम देखने को मिलते हैं। इसलिए पैरेंट्स को शुरुआत में बच्चों को इन लक्षणों पर ध्यान देना बहुत जरूरी है, ताकि वह जल्द से जल्द डॉक्टर से इलाज शुरू करा सकें।
- तेज बुखार
- बहुत ज्यादा खांसी होना
- सांस लेने में दिक्कत
- गंभीर मामलों में सांस फूलना
- यूरिन कम आना
- बच्चे का फीड कम करना
- खेल-कूद में कमी आना
- ज्यादा गंभीर मामले में, बच्चे का शरीर नीला पड़ जाता है
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बच्चों में निमोनिया को गंभीर होने से बचाने के टिप्स
पानी की मात्रा बढ़ाना
पैरेंट्स को इस बात का खास ख्याल रखना चाहिए कि बच्चा पर्याप्त मात्रा में पानी पिएं। चाहे थोड़ा-थोड़ा ही सही, लेकिन उसे पानी पीने को देते रहें। इससे बुखार कम करने में मदद मिलती है, और अगर बच्चे को बलगम है, तो लिक्विड उसे पतला करने में मदद करता है। इसलिए डॉक्टर बच्चों को ज्यादा पानी पीने की सलाह देते हैं।
साफ-सफाई का ध्यान रखना
अगर घर में किसी को सर्दी, खांसी या जुकाम हुआ है, तो उसे बच्चे से दूर रखें। बच्चों की इम्यूनिटी ज्यादा नहीं होती, इसलिए वे संक्रमण की चपेट में जल्दी आ जाते हैं। साथ ही बच्चों को हाथ धोने की आदत डलवाएं। खांसी या छींकने पर मुंह पर हाथ जरूर रखें। जब भी बच्चों को जुकाम या खांसी हो, तो उन्हें नैपकिन दें ताकि हाइजीन रहे। खाने से पहले हाथ धोने को जरूर कहें। निमोनिया होने पर पैरेंट्स को बच्चों की साफ-सफाई पर ज्यादा ध्यान देना चाहिए।
प्रदूषण से बचाव
इस समय प्रदूषण का स्तर बहुत ज्यादा है, ऐसे में 5 साल से कम उम्र के बच्चों को घर से बाहर बिल्कुल न निकालें। बच्चों के फेफड़े पूरी तरह के विकसित नहीं होते, इसलिए निमोनिया होने पर बच्चों को घर के अंदर ही रखें। अगर परिवार में कोई धूम्रपान करता है, तो उसे घर से बाहर करने को कहें। घर को प्रदूषण-मुक्त रखें। इससे बच्चे खांसी में राहत मिलेगी और सांस लेने की दिक्कत कम होगी।
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आराम करने दें
अगर बच्चे को निमोनिया हुआ है, तो उसे ज्यादा से ज्यादा आराम करने दें। आराम करने से बच्चे के दिमाग और शरीर दोनों रिलैक्स होते हैं, इससे निमोनिया में राहत मिलती है। बच्चों को समय पर दवाई दें और ध्यान रखें कि दवाई डॉक्टर से सलाह लेकर ही दें। बड़े बच्चों के आहार पर भी ध्यान दें।
वैक्सीन लगवाएं
बच्चों को हीमोफिलस इन्फलुएंजा का टीका जरूर लगवाएं। इसके अलावा साल में एक बार फ्लू का वैक्सीनेशन लगवाने से बच्चों को निमोनिया से बचाया जा सकता है।
निमोनिया का इलाज
अगर निमोनिया में बच्चे को सांस लेने में दिक्कत नहीं होती, तो उसे दवाइयां दी जाती हैं। इसमें बुखार और सर्दी-खांसी कम करने की दवाइयां दी जाती हैं। इसके साथ ही, बच्चे की स्थिति के आधार पर एंटीबायोटिक दी जाती हैं। माइल्ड केस में फॉलोअप करना जरूरी होता है, क्योंकि ऐसे मामलों में अगर समय पर ध्यान न दिया जाए, तो स्थिति गंभीर हो सकती है।
डॉ. मीना कहती हैं, “अगर मामला गंभीर है, तो अस्पताल में भर्ती करके बच्चे को आईवी दिया जाता है। अगर बच्चे को सांस लेने में दिक्कत होती है, तो ऑक्सीजन की मात्रा सही रखने के लिए वेंटिलेटर की मदद ली जाती है। लेकिन मैं सभी पैरेंट्स को कहना चाहूंगी कि आप शुरूआत में बच्चों के लक्षणों पर ध्यान दें, ताकि बच्चे को निमोनिया जैसी बीमारी से बचाया जा सकें।”
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