
आजकल हम देखते हैं कि माता-पिता बड़ी आसानी से बच्चों के हाथ में फाेन दे देते हैं। ऐसा करने से उनकी सेहत पर बुरा असर होता है। लगातार स्क्रीन देखने से बच्चों की आंखों पर जोर, तो पड़ता ही है साथ ही फोन की लत उनकी लाइफस्टाइल को बुरी तरह प्रभावित करता है। एक बार जब बच्चे को बैठकर फोन चलाने की लत लग जाती है, तो उसे किसी और एक्टिविटी को करने का मन नहीं करता। बैठकर स्क्रीन देखने से फिजिकल एक्टिविटी कम हो जाती है और शरीर में मोटापा बढ़ने लगता है, बच्चे को डायबिटीज और डिप्रेशन जैसी गंभीर समस्याएं हो सकती हैं। इतना ही नहीं, बल्कि हाल ही में पब्लिश हुई एक स्टडी में बताया गया है कि 13 साल से कम उम्र के बच्चों को स्मार्टफोन देने से उनके दिमाग पर इसका बुरा असर होता है और वे अर्ली प्यूबर्टी का शिकार हो सकते हैं। इस लेख में हम इस स्टडी को विस्तार से समझेंगे। इस विषय पर बेहतर जानकारी के लिए हमने लखनऊ के डफरिन हॉस्पिटल के वरिष्ठ बाल रोग विशेषज्ञ डॉ सलमान खान से बात की।
बच्चों में अर्ली प्यूबर्टी की समस्या क्या है?- What Is Early Puberty Issue In Kids
बाल रोग विशेषज्ञ डॉ सलमान खान ने बताया कि अर्ली प्यूबर्टी (Early Puberty) का मतलब है शरीर में यौवन संबंधी बदलावों का समय से पहले शुरू हो जाना। आमतौर पर लड़कियों में प्यूबर्टी 8 से 13 साल और लड़कों में 9 से 14 साल में शुरू होती है। अगर यह इन उम्र की सीमा से पहले शुरू हो जाए, तो इसे अर्ली प्यूबर्टी कहते हैं।
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शोध: स्मार्टफोन है बच्चों में अर्ली प्यूबर्टी का कारण- Smartphone Cause Early Puberty In Kids: Study

जर्नल ऑफ ह्यूमन डेवलपमेंट एंड कैपेबिलिटी (Journal of Human Development and Capabilities) के एक शोध के अनुसार, लगातार स्मार्टफोन पर समय बिताने से बच्चों में प्यूबर्टी जल्दी शुरू होने की संभावना बढ़ सकती है। जो बच्चे 13 वर्ष से पहले स्मार्टफोन का इस्तेमाल करते हैं, उनमें टेंशन, गुस्सा जैसी समस्याएं ज्यादा पाई जाती हैं। स्क्रीन से निकलने वाली नीली रोशनी मेलाटोनिन उत्पादन को प्रभावित कर सकती है, जिससे प्रजनन हार्मोन का लेवल बढ़ सकता है, जो जल्दी प्यूबर्टी का कारण बन सकता है। जब बच्चे देर रात तक स्क्रीन पर रहते हैं, तो उनका मेलनिन हार्मोन प्रभावित होता है, जिससे हार्मोनल बदलाव जल्दी शुरू हो सकते हैं। इसके साथ ही फिजिकल एक्टिविटी की कमी और स्ट्रेस के लक्षण बढ़ना भी प्यूबर्टी पर असर डालता है।
बच्चों का स्क्रीन टाइम जरूर नोट करें- Monitor Child's Screen Time
स्टडी यह सुझाव देती है कि स्क्रीन टाइम मॉनिटर करना बहुत जरूरी है। डेटा के अनुसार, जितना ज्यादा समय बच्चे स्मार्टफोन पर बिताते हैं, उतनी ही ज्यादा उनकी नींद और मानसिक स्वास्थ्य प्रभावित होता है। विशेषज्ञ सुझाव देते हैं कि 13 साल से छोटे बच्चों के लिए दिन में 1-2 घंटे से ज्यादा स्क्रीन टाइम न हो।
बच्चों को अर्ली प्यूबर्टी से कैसे बचाएं?- How To Prevent Kids From Early Puberty
- बच्चों को रोजाना 1 से 2 घंटे से ज्यादा स्मार्टफोन या टीवी न दें। सोने से कम से कम 1 घंटा पहले स्क्रीन बंद कर दें।
- बच्चों की डाइट में जंक फूड और प्रोसेस्ड फूड कम करें और ताजे फल, सब्जियां, प्रोटीन और फाइबर वाला भोजन शामिल करें।
- बच्चों को रोजाना खेल, योग या बाहर खेलने के लिए प्रेरित करें। फिजिकल एक्टिविटी, हार्मोन संतुलन में मदद करती है।
- बच्चों में मोटापा, अर्ली प्यूबर्टी का एक बड़ा कारण हो सकता है। इससे बचने के लिए संतुलित डाइट और नियमित एक्सरसाइज जरूरी है।
- बच्चे को रोजाना 8 से 10 घंटे की पर्याप्त नींद दें। नींद हार्मोनल संतुलन के लिए बहुत जरूरी है।
निष्कर्ष:
बच्चों की सेहत के लिए स्मार्टफोन का ज्यादा इस्तेमाल सही नहीं है। इससे उनमें शारीरिक और मानसिक बीमारी के साथ-साथ अर्ली प्यूबर्टी जैसी हार्मोनल समस्या भी हो सकती है इसलिए बच्चों को डिजिटल गैजेट्स से दूर रखें।
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FAQ
प्यूबर्टी की उम्र कितनी होती है?
लड़कियों में प्यूबर्टी आमतौर पर 8 से 13 साल में शुरू होती है और लड़कों में 9 से 14 साल। यह उम्र बच्चों के हार्मोनल विकास, जीन और शारीरिक ग्रोथ पर निर्भर करती है।क्या अर्ली प्यूबर्टी से बचाव संभव है?
हां, अर्ली प्यूबर्टी से बचाव संभव है। संतुलित आहार देना, नियमित एक्सरसाइज कराना, वजन कंट्रोल करना और पर्याप्त नींद सुनिश्चित करना बच्चों में हार्मोनल संतुलन बनाए रखने में मदद करता है।बच्चे में अर्ली प्यूबर्टी के लक्षण क्या हैं?
लड़कियों में स्तनों का विकास, प्यूबिक हेयर और मासिक धर्म जल्दी शुरू होना। लड़कों में टेस्टिकल और पेनिस का बढ़ना, प्यूबिक हेयर और आवाज का गहरा होना। शरीर और व्यवहार में अचानक बदलाव भी लक्षण हो सकते हैं।
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