
प्रेग्नेंसी के दैरान किसी भी मां के लिए तनाव और दुख होने वाली मां और बच्चा दोनों के लिए नुकसानदेह हो सकता है। हर प्रेग्नेंट औरत के लिए नौ महीने का ये सफर हर दिन नए बदलाव और चुनौतियों से भरी होती है। जो, इन्हें परेशान कर सकती है और मानसिक संतुलन भी बिगाड़ सकती है। गर्भावस्था के दौरान आप हर दिन नए सवालों से गुजरते हैं। जैसे क्या मेरे बच्चे को आवश्यक पोषण मिल रहा है? क्या वो सही है, डिलीवरी में कितना दर्द होगा इत्यादि। इतने ही देर में न जाने कितनी बातों को सोचकर वो स्ट्रेस में आ जाती हैं और कभी कभार अवसाद का शिकार हो जाती हैं। ये अवसाद अक्सर उन महिलाओं को होता है, जो प्रेग्नेंसी के दौरान बहुत ज्यादा तनाव से गुजरती हैं। इसे प्रसवकालीन अवसाद (प्रीनेटल डिप्रेशन) भी कहते हैं। इसके कई लक्षण हैं, जिसे पहले ही समझ लिया जाए, तो आप इस प्रीनेटल डिप्रेशन को गंभीर रूप लेने से रोक सकती हैं।

लगातार अस्वस्थ महसूस करना और उदास होना-
गर्भावस्था के दौरान अवसाद अधिक सामान्य और जोखिम भरा होता है। यह हमेशा उम्मीद की जाती है कि गर्भवती होने का एक महिला का अनुभव खुशी और स्वागत करने वाला होगा लेकिन इस रास्ते में, लोग भावनात्मक और मानसिक रोलरकोस्टर परिवर्तनों के बारे में भूल जाते हैं जो कि होते हैं। इसके कारण, अधिकांश महिलाएं इन लक्षणों को अनदेखा कर देती हैं और उन्हें सामान्य मानती हैं। ऐसे में अगर आप लगातार कुछ हफ्तों तक लो और बीमार महसूस कर रहे हैं, तो आपके लिए किसी चिकित्सक से बात करना चाहिए। क्योंकि हो सकता है कि आप दिमागी रूप से बीमार हो रही हैं। इस तरह की उदासी एक प्रकार से प्रीनेटल ड्रिप्रेशन के लक्षणों में से ही एक है।
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नींद न आना और बेचैनी-
नींद न आना किसी भी प्रकार के अवसाद का एकर प्रारंभिक संकेत होता है। जब एक प्रेग्नेंट औरत बहुत ज्यादा परेशान होती भी है तो दवाइयों औप अच्छे खानपान के कारण अच्छी नींद सोती है। पर अगर ऐसा न हों और आपको लगातार कई दिन तक रात में नींद न आए और बेचैनी महसूस हो तो ये प्रीनेटल डिप्रेशन का एक संकेत हो सकता है। हालांकि प्रारंभिक महीनों के दौरान गर्भावस्था थका देने वाली होती है और आपको इसके साथ संयम बनाने में थोड़ा समय ले सकता है। हालाँकि, अगर आपकी गर्भावस्था के दौरान या शिशु की देखभाल करने का विचार या कोई बात आपको चिंता की चरम सीमा तक पहुँचा रहा है और आपकी रातों की नींद खराब हो रही है, तो ये प्रीनेटल अवसाद ही है।
लगातार नकारात्मक सोचना-
जब आप पहले से ही एक मानसिक स्वास्थ्य की स्थिति से जूझ रहे होते हैं, तो आपका दिमाग पहले नकारात्मक सोच की ओर दौड़ता है और उससे चिपक जाता है। ऐसा ज्यादातर तब आना, जब आप अपनी गर्भावस्था से परेशान होती हैं या बेचैनी में होती हैं। अगर आप लगातार नकारात्मक विचारों से ग्रस्त हैं, जो आपको मातृत्व के बारे में डराता है और संतुलन खोजने के लिए संघर्ष करता है, तो ये डिप्रेशन का एक गंभीर लक्षण है। ध्यान देने वाली बात ये है कि आप अपने आप को अकेला कभी न रहने दें। कुछ न कुछ करें या लोगों से बातचीत करते हैं रहें ताकि आपका मन लगा रह सके। ज्यादा मोबाइल और सोशल मीडिया से चिपक कर न रहें क्योंकि ये आपको किसी बात से परेशान भी कर सकता है।
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इंटेरेस्ट खो देना-
उदासी और दुख के कारण आपको हर चीज खराब और हर बात बुरी लग सकती है। किसी भी काम में मन लगना और इंटेरेस्टलेस फील करना भी अवसाद के एक लक्षणों में से एक है। हालांकि, आपको हमेशा रुचिकर या उत्साहित महसूस करने की जरूरत नहीं है, पर अगर ये गर्भावस्था के दौरान लगातार बढ़ रही और आप लगातार दुखी हो रही हैं को ये गंभीर है। कभी-कभार इसमें महिलाएं रोने भी लगती हैं। तो आपको इसके लिए डॉक्टर से जांच करवानी चाहिए।ध्यान देने वाली बात ये कि इस दौरान अक्सर गर्भवति महिला की भूख खत्म होने लगती है। अवलाद से पीड़ित ये महिलाएं लगातार लगातार कमजोर होने लगती और अकेले रहना ज्यादा पसंद करती हैं। धीरे-धीरे अवसाद बढ़ने पर पीड़िता में घबराहट और चुप्पी नियनित हो जाती है।
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