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प्रेग्नेंसी में बहुत आम है हेपेटाइटिस की बीमारी, बचना है तो न करें ये 5 गलतियां

प्रेग्नेंसी एक महिला के जीवन का सबसे जरूरी और सेंसिटिव समय होता है। यहां जानिए, प्रेग्नेंसी में हेपेटाइटिस से बचने के लिए क्या करना चाहिए?
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प्रेग्नेंसी में बहुत आम है हेपेटाइटिस की बीमारी, बचना है तो न करें ये 5 गलतियां


प्रेग्नेंसी का समय हर महिला के जीवन में बेहद खास होता है, यह केवल एक नया जीवन लाने का दौर नहीं होता, बल्कि एक ऐसा समय होता है जब महिला को अपनी सेहत का खास ख्याल रखना पड़ता है। प्रेग्नेंसी के दौरान महिला का शरीर कई शारीरिक और हार्मोनल बदलावों से गुजरता है, जिससे इंफेक्शन का खतरा बढ़ जाता है। इन्हीं खतरनाक इंफेक्शन में से एक है हेपेटाइटिस। हेपेटाइटिस एक वायरल इंफेक्शन है जो लिवर को नुकसान पहुंचाता है और अगर यह प्रेग्नेंसी में हो जाए तो मां और गर्भ में पल रहे शिशु दोनों के लिए गंभीर रिजल्ट हो सकते हैं।

आज के समय में जब प्रेग्नेंसी में बीमारी से बचाव को लेकर जागरूकता बढ़ रही है, तब भी महिलाएं कुछ आम गलतियों के चलते इस इंफेक्शन की चपेट में आ जाती हैं। जैसे कि दूषित भोजन का सेवन, समय पर टीकाकरण न कराना या शुरुआती लक्षणों की पहचान को नजरअंदाज करना। तो सवाल उठता है कि प्रेग्नेंसी में हेपेटाइटिस से कैसे बचें? और कौन सी ऐसी सामान्य सावधानियां और गलतियां हैं जिनसे बचकर आप और आपका बच्चा सुरक्षित रह सकते हैं? इस बारे में ज्यादा जानकारी के लिए हमने, एनआईटी फरीदाबाद में स्थित संत भगत सिंह महाराज चैरिटेबल हॉस्पिटल के जनरल फिजिशियन डॉ. सुधीर कुमार भारद्वाज से बात की-

प्रेग्नेंसी में हेपेटाइटिस से बचाव के लिए इन 5 गलतियों से बचें - How to manage hepatitis in pregnancy

1. बिना जांच के प्रेग्नेंसी की शुरुआत करना

अक्सर महिलाएं प्रेग्नेंसी कंफर्म होते ही डॉक्टर के पास जाने में देर कर देती हैं। जबकि कंसीव करने की शुरुआत में ही सभी जरूरी जांच करवा लेना बहुत जरूरी है, जिनमें हेपेटाइटिस B और C की स्क्रीनिंग भी शामिल है। समय रहते बीमारी का पता चलने पर इसका इलाज संभव है। हेपेटाइटिस B और C यौन संबंधों के जरिए भी फैल सकते हैं। यदि पार्टनर संक्रमित है, तो डॉक्टर से परामर्श लें और संबंध बनाने से परहेज करें।

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2. दूषित पानी और भोजन का सेवन करना

प्रेग्नेंट महिलाओं को खान-पान को लेकर विशेष सतर्कता बरतनी चाहिए। दूषित पानी और अधपका खाना हेपेटाइटिस A और E के इंफेक्शन का सबसे बड़ा कारण है। खासतौर पर बाहर के खाने से परहेज करें, केवल उबला या फिल्टर्ड पानी पिएं, हरी सब्जियां और फल अच्छी तरह धोकर ही खाएं।

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3. टीकाकरण नहीं कराना

आज भी कई महिलाएं प्रेग्नेंसी के दौरान हेपेटाइटिस B का टीका नहीं लगवाती हैं, जबकि यह इंफेक्शन से बचाव का सबसे प्रभावी तरीका है। यदि महिला ने पहले से हेपेटाइटिस B का टीका नहीं लगवाया है, तो डॉक्टर की सलाह से टीका जरूर लगवाना चाहिए।

hepatitis in pregnancy

4. ब्लड ट्रांसफ्यूजन या संक्रमित सुई

अगर प्रेग्नेंसी के दौरान किसी कारणवश खून चढ़ाने की जरूरत पड़े या कोई उपचार हो, तो ध्यान रखें कि केवल सर्टिफाइड ब्लड बैंक से ही खून लिया जाए और हर बार नई और स्टरलाइज्ड सुई का इस्तेमाल हो। दूषित ब्लड या सुई से हेपेटाइटिस B और C फैलने की संभावना ज्यादा होती है।

5. सही जगह जांच न होना

बिना जांचे-परखे अस्पतालों या क्लिनिकों में अल्ट्रासाउंड, डेंटल ट्रीटमेंट या किसी अन्य प्रक्रिया के दौरान इंफेक्टेड उपकरणों से भी इंफेक्शन फैल सकता है। हमेशा मान्यता प्राप्त मेडिकल सेंटर में ही इलाज कराएं।

निष्कर्ष

प्रेग्नेंसी में हेपेटाइटिस से बचने के लिए जरूरी है कि महिलाएं समय रहते जांच कराएं, जागरूक रहें और ऊपर दी गई गलतियों से बचें। आपकी थोड़ी सी सतर्कता न केवल आपको बल्कि आपके होने वाले बच्चे को भी एक स्वस्थ जीवन की ओर ले जा सकती है। अगर आपको यह जानकारी उपयोगी लगी हो, तो इसे अन्य महिलाओं के साथ जरूर शेयर करें। एक छोटी सी जानकारी किसी की जिंदगी बचा सकती है।

All Images Credit- Freepik

FAQ

  • हेपेटाइटिस में क्या खाना चाहिए?

    हेपेटाइटिस में लिवर कमजोर हो जाता है, इसलिए ऐसी डाइट लेनी चाहिए जो पाचन में आसान हों और लिवर पर दबाव न डालें। इस दौरान हल्का, पौष्टिक और कम फैट वाला भोजन करें। उबली हुई सब्जियां, दलिया, खिचड़ी, दाल, ताजे फल फायदेमंद होते हैं। प्रोटीन के लिए मूंग दाल और पनीर खाया जा सकता है, लेकिन सीमित मात्रा में। 
  • क्या गर्भावस्था में हेपेटाइटिस खतरनाक है?

    गर्भावस्था में हेपेटाइटिस खतरनाक हो सकता है। ऐसा इसलिए, क्योंकि यह न सिर्फ मां के स्वास्थ्य को प्रभावित करता है, बल्कि गर्भ में पल रहे शिशु के लिए भी जोखिम पैदा कर सकता है। 
  • हेपेटाइटिस कितने दिनों में ठीक होता है?

    हेपेटाइटिस कितने दिनों में ठीक होगा, यह उसके प्रकार पर निर्भर करता है। हेपेटाइटिस A और E आमतौर पर 2 से 6 सप्ताह में ठीक हो जाते हैं, बशर्ते मरीज को आराम, हल्का भोजन और सही देखभाल मिले। वहीं, हेपेटाइटिस B और C ज्यादा गंभीर होते हैं और ये क्रॉनिक भी बन सकते हैं, जिन्हें ठीक होने में कई महीने या साल भी लग सकते हैं। समय पर जांच, डॉक्टर की निगरानी और उचित इलाज से ही इसकी सही अवधि का निर्धारण किया जा सकता है।

 

 

 

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