Hepatitis and Co-Infections: हेपेटाइटिस लिवर की सूजन है, जो संक्रामक वायरस या गैर-संक्रामक तत्वों के कारण हो सकती है। इसकी वजह से कई तरह की स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं। इतना ही नहीं, हेपेटाइटिस, लिवर फेलियर का कारण भी बन सकता है। कुछ मामलों में यह जानलेवा हो सकता है। आपको बता दें कि हेपेटाइटिस वायरस 5 प्रकार के होते हैं, जिसमें ए, बी, सी, डी और ई शामिल हैं। इनमें से सबसे खतरनाक हेपेटाइटिस बी और सी हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार दुनियाभर में हेपेटाइटिस बी और सी से 354 मिलियन लोग पीड़ित हैं। हालांकि, कुछ प्रकार के हेपेटाइटिस को टीकाकरण के माध्यम से कम किया जा सकता है। दुनियाभर में बढ़ रहे हेपेटाइटिस के मामलों को ध्यान में रखते हुए, लोगों को जागरूक करना बेहद जरूरी हो गया है। ऐसे में हेपेटाइटिस के प्रति लोगों में जागरूकता फैलाने के उद्देश्य से हर साल 28 जुलाई को विश्व हेपेटाइटिस दिवस (World Hepatitis Day 2024) मनाया जाता है। आज इस मौके पर जानते हैं HIV जैसे Co-Infections वाले रोगी हेपेटाइटिस को कैसे मैनेज करें? साथ ही, इन लोगों को किन मुश्किलों का सामना करना पड़ता है।
HIV जैसे Co-Infections वाले रोगी हेपेटाइटिस को कैसे मैनेज करें?
हेपेटाइटिस कई प्रकार के होते हैं, इनमें सबसे खतरनाक हेपेटाइटिस बी और सी हैं। कुछ मामलों में हेपेटाइटिस बी और सी, जानलेवा भी हो सकते हैं। अगर किसी व्यक्ति को HIV है और उसमें हेपेटाइटिस बी या हेपेटाइटिस सी का निदान हो जाता है, तो स्थिति को इस तरह से मैनेज किया जा सकता है।
- इस दौरान उपचार में आमतौर पर टेनोफोविर दिया जा सकता है। यह एक प्रकार की एंटीवायरल दवा है। इस दवा की डोज रोगी की स्थिति के अनुसार दिया जाता है।
- कुछ मामलों में थेरेपी की जरूरत पड़ती है। थेरेपी की जरूरत कुछ वर्षों तक या फिर जीवनभर भी पड़ सकती है।
- अगर हेपेटाइटिस सी की बात करें, तो इसमें 3-6 महीने तक एंटीवायरल थेरेपी दी जाती है। अगर लिवर सही तरीके से काम करता है, तो थेरेपी कम समय के लिए दी जाती है। वहीं, अगर लिवर को ज्यादा नुकसान पहुंचता है, तो थेरेपी को लंबे समय तक भी दिया जा सकता है।
- हेपेटाइटिस के कुछ मामलों में लिवर ट्रांसप्लांट की जरूरत भी पड़ती है।

हेपेटाइटिस और HIV जैसे Co-Infections वाले रोगियों के लिए चुनौतियां
एचआईवी जैसे सह-संक्रमण वाले हेपेटाइटिस रोगियों को किन चुनौतियों का सामना करना पड़ता है, जानें सर्वोदय अस्पताल, फरीदाबाद के गैस्ट्रोएंटरोलॉजिस्ट डॉ. कपिल शर्मा से...
दवाइयों का दुष्प्रभाव
हेपेटाइटिस और एचआईवी, दोनों को ठीक होने में लंबा समय लगता है। अगर किसी व्यक्ति को एचआईवी और हेपेटाइटिस, दोनों बीमारियां हैं, तो दवाइयों का दुष्प्रभाव भी हो सकता है। इसलिए आपको डॉक्टरों की सलाह के अनुसार ही दवाइयों का सेवन करना चाहिए।
लिवर को अधिक नुकसान
एचआईवी रोगी अक्सर एंटी-रेट्रोवायरल थेरेपी पर होते हैं, जो लिवर विषाक्तता (Liver Toxicity) का काऱण बन सकता है। अगर किसी व्यक्ति को एचआईवी और हेपेटाइटिस दोनों हैं, तो इससे लिवर को अधिक क्षति पहुंच सकती है।
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लिवर कैंसर का जोखिम
HIV जैसे Co-Infections वाले हेपेटाइटिस रोगियों का लिवर तेजी से खराब हो सकता है। यानी इन लोगों के लिवर को जल्दी नुकसान पहुंच सकता है। यह लिवर सिरोसिस या लिवर कैंसर का कारण भी बन सकता है। ऐसे में इसे समय पर मैनेज करना बहुत जरूरी होता है।
कमजोर प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया
एचआईवी, प्रतिरक्षा प्रणाली को कमजोर कर देता है। इस स्थिति में शरीर, हेपेटाइटिस संक्रमण से प्रभावी ढंग से लड़ने में सक्षम नहीं हो पाएगा। इससे हेपेटाइटिस का इलाज भी कम प्रभावी हो सकता है।
हेपेटाइटिस के निदान में मुश्किल
अगर किसी व्यक्ति को एचआईवी है और उसके बाद उसे हेपेटाइटिस होता है, तो इसका निदान करना काफी मुश्किल हो सकता है। यानी एचआईवी की वजह से, हेपेटाइटिस की पहचान और उपचान में देरी हो सकती है।
HIV जैसे Co-Infections और हेपेटाइटिस पर क्या कहते हैं हेल्थ एक्सपर्ट्स
नारायण हेल्थ एसआरसीसी चिल्ड्रन हॉस्पिटल, मुंबई के पीडियाट्रिक गैस्ट्रोएंटरोलॉजिस्ट डॉ. आदित्य कुलकर्णी बताते हैं, ‘जिन लोगों को HIV जैसे Co-Infections के साथ हेपेटाइटिस होता है, उनकी प्रतिरक्षा प्रणाली बेहद कमजोर हो जाती है। इसकी वजह से इन लोगों को कई दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। इससे पीड़ित व्यक्ति की दिनचर्या भी बेहद प्रभावित होती है। सह-संक्रमित रोगियों में फाइब्रोसिस होने का जोखिम भी अधिक रहता है। इसके अधिकतर मामलों में लिवर ट्रांसप्लांट की जरूरत होती है। यह एक आपातकालीन स्थिति होती है।’
स्पर्श हॉस्पिटल, येलहंका के गैस्ट्रोएंटरोलॉजिस्ट डॉ. वीरेंद्र कौजालगी बताते हैं, ‘हेपेटाइटिस कई प्रकार का होता है, इसमें ए, बी, सी शामिल हैं। इसमें लिवर में सूजन हो जाती है। पीलिया, थकान, पेट दर्द आदि हेपेटाइटिस के लक्षण होते हैं। जब किसी व्यक्ति को एचआईवी जैसा सह-संक्रमण होता है, तो इससे इम्यूनिटी कमजोर हो जाती है। ऐसे में एचआईवी और हेपेटाइटिस से लड़ना मुश्किल हो जाता है।’