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New Year 2026: नए साल में युवाओं में साइलेंट किलर बन सकती हैं डायबिटीज और हार्ट की बीमारियां, डॉक्टर ने बताई वजह

Health Forecast 2026: क्या आप जानते हैं कि आने वाले साल में कौन-सी बीमारियां युवाओं को ज्यादा परेशान कर सकती हैं? इस लेख में डॉक्टर ने विस्तार से उन बीमारियों के कारणों पर भी बात की है और इसके साथ कौन-सी सावधानियां बरतनी चाहिए, ये भी बताया है।
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New Year 2026: नए साल में युवाओं में साइलेंट किलर बन सकती हैं डायबिटीज और हार्ट की बीमारियां, डॉक्टर ने बताई वजह

Health Forecast 2026: करीब दशक पहले तक डायबिटीज, हाई ब्लड प्रेशर, मोटापा या हार्ट की बीमारी को बढ़ती उम्र की बीमारियां माना जाता था, लेकिन अब तस्वीर तेजी से बदल रही है और आज 20 और 30 की उम्र के युवा भी इन क्रॉनिक बीमारियों से जूझते दिख रहे हैं। जैसे-जैसे हम 2026 की ओर बढ़ रहे हैं, डायबिटीज और हार्ट की बीमारियां सिर्फ कुछ युवाओं की समस्याएं नहीं रह गई है, बल्कि ये गंभीर पब्लिक हेल्थ कंसर्न बन चुकी है। मुंबई के होली फैमिली हॉस्पिटल के जनरल मेडिसिन और इंफेक्शियस डिजीज स्पेशलिस्ट और कंसल्टेंट डॉ. सनाह मर्चेंट (Dr. Sanah Merchant, Consultant General Medicine and Infectious Disease Specialist, Holy Family Hospital, Mumbai) से हमने इस बारे में बात की। उन्होंने बताया कि पिछले एक दशक में युवाओं की सेहत में जो बदलाव दिखा है, वह चौंकाने वाला है। आज क्रॉनिक बीमारियां युवाओं के शरीर में घर कर रही हैं, और जब तक लक्षण सामने आते हैं, तब तक नुकसान काफी हो चुका होता है।


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यंग लोगों में कौन सी बीमारियां बढ़ रही हैं?

डॉ. सनाह कहती हैं, “आज के यंग एडल्ट्स में सबसे ज्यादा जिन समस्याओं के मामले सामने आ रहे हैं, उनमें टाइप 2 डायबिटीज, हाई ब्लड प्रेशर, मोटापा, हार्ट डिजीज और मेटाबॉलिक सिंड्रोम शामिल है। NCBI की हालिया रिपोर्ट के अनुसार, मोटापे से ग्रस्त युवाओं में मेटाबोलिक सिंड्रोम 29.4% था। मोटापा आगे चलकर डायबिटीज, हार्ट की बीमारियां और स्ट्रोक का रिस्क बढ़ा देती है। युवाओं में इन बीमारियों के बढ़ने का कारण लाइफस्टाइल और लापरवाही है।”

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गलत लाइफस्टाइल आदतें

डॉ. सनाह कहती हैं, “जितने भी यंग पैशेंट्स मेरे पास आते हैं, उनकी बीमारियों का कारण गलत लाइफस्टाइल आदतें है। युवाओं का लगातार घंटों स्क्रीन के सामने बैठना, फिजिकल एक्टिविटी न करना, नींद पूरी न होना, प्रोसेस्ड और जंक फूड का बहुत ज्यादा खाना और लगातार स्ट्रेस मिलकर शरीर के मेटाबॉलिज्म को धीरे-धीरे बिगाड़ते हैं। दरअसल, लंबे समय तक बैठकर काम करना और हाई कैलोरी फूड लेना शरीर में फैट, शुगर और कोलेस्ट्रॉल को असंतुलित कर देता है। इसका असर सीधे हार्ट, किडनी और पैंक्रियास पर पड़ता है।”

यंग लोगों की लापरवाही

डॉ. सनाह ने कहा, “युवाओं में एक बड़ी समस्या बीमारी का देर से डायग्नोसिस होना है। अक्सर लोग सोचते हैं कि इतनी कम उम्र में उन्हें कोई गंभीर बीमारी कैसे हो सकती है। इसी गलतफहमी की वजह से युवा अपने शुरुआती लक्षणों को इग्नोर कर देते हैं, रूटीन हेल्थ चेकअप टाल दिए जाते हैं और डॉक्टर के पास तभी जाते हैं जब समस्या बढ़ जाती है। इस वजह से ज्यादातर क्रॉनिक बीमारियां सालों तक बिना लक्षण के बढ़ती रहती हैं। नतीजा यह होता है कि युवाओं में ही इंसुलिन रेजिस्टेंस, हार्ट प्रॉब्लम या किडनी से जुड़ी दिक्कतें सामने आने लगती हैं।”

युवाओं को अपनी हेल्थ के लिए क्या करना चाहिए?

डॉ. सनाह मर्चेंट के अनुसार, इस बढ़ती समस्या से निपटने के लिए युवाओं को लक्षणों पर ध्यान देने की जरूरत है और इन खास बातों को ऑप्शन न मानें, बल्कि इसे अपने शरीर की जरूरत समझें।

  1. साल में कम से कम एक बार फुल बॉडी चेकअप कराएं।
  2. बैलेंस्ड डाइट और खासतौर पर घर का खाना ही खाएं।
  3. हफ्ते में कम से कम 150 मिनट एक्सरसाइज जरूर करें।
  4. रोजाना 7 से 8 घंटे की नींद पूरी करें।
  5. स्ट्रेस मैनेजमेंट के लिए रोजाना मेडिटेशन और योग जरूर करें। को प्राथमिकता

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टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल हेल्थ के लिए मददगार

डॉ. सनाह कहती हैं, “मैं यंग लोगों को हमेशा सलाह देती हूं कि फिटनेस ट्रैकर्स, स्मार्टवॉच, टेलीमेडिसिन और AI से जुड़े हेल्थ टूल्स की मदद से घर बैठे अपनी हेल्थ पर नजर रखी जा सकती है, लेकिन टेक्नोलॉजी तभी असरदार है जब उसे मेडिकल सलाह और हेल्दी आदतों के साथ जोड़ा जाएगा। इसके अलावा, आजकल युवा सबसे ज्यादा समय ऑफिस, कॉलेज और डिजिटल प्लेटफॉर्म्स पर बिताते हैं। ऐसे में जरूरी है कि वर्कप्लेस पर हेल्थ अवेयरनेस प्रोग्राम हों, कॉलेजों में लाइफस्टाइल डिजीज पर एजुकेशन दी जाए और डिजिटल प्लेटफॉर्म्स पर सही हेल्थ जानकारी दी जाए। इससे युवाओं में हेल्थ को लेकर जागरूकता बढ़ेगी और इससे बड़ी बीमारियों को काफी हद तक रोका जा सकता है।

निष्कर्ष

डॉ. सनाह जोर देते हुए कहती हैं कि 2026 की ओर बढ़ते हुए यह साफ हो चुका है कि क्रॉनिक बीमारियां सिर्फ बुजुर्गों की समस्या नहीं रहीं, बल्कि यंग लोगों में भी डायबिटीज, मोटापा, हार्ट बीमारियां और ब्लड प्रेशर का रिस्क बढ़ चुका है। अगर समय पर लक्षणों की पहचान कर ली जाए और लाइफस्टाइल में बदलाव किए जाए, तो बीमारियों के इस ट्रेंड को रोका जा सकता है।

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  • Dec 31, 2025 13:31 IST

    Published By : Aneesh Rawat

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