
Health Concerns In 2026: पहले बीमारियों को उम्र के साथ जोड़कर देखा जाता था, लेकिन अब खराब लाइफस्टाइल और खानपान के कारण लोगों को बीमारियां उम्र से पहले ही हो रही है। साल 2025 में हार्ट अटैक से लेकर न्यूट्रिशन की कमी से जुड़ी कई बीमारियां लोगों में पाई गई हैं और जब साल 2025 का अंत हो रहा है, तो क्या ये बीमारियां साल 2026 में भी लोगों को देखने को मिलेंगी। साल 2026 में कौन-सी बीमारियां लोगों को ज्यादा परेशान करेंगी, इस बारे में हमने मुंबई के होली फैमिली हॉस्पिटल के जनरल मेडिसन विभाग के कंसल्टेंट डॉ. कौलसुम हुसैन (Dr Koulsoum Houssein, Consultant General Medicine at Holy Family Hospital, Mumbai) से बात की।
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यंग लोगों को मेटाबॉलिज्म बीमारियां होना
डॉ. कौलसुम हुसैन कहती हैं, “जो पैटर्न हम आज ओपीडी में रोजाना देख रहे हैं, वही आने वाले सालों में और मजबूती से उभरेंगा। लंबे काम के घंटे, बैठकर काम करने की आदत, अनियमित खानपान, नींद की कमी और लगातार स्ट्रेस के कारण आने वाले समय में हेल्थ सबसे बड़ी चुनौती बन रहा है। यंग लोगों में डायबिटीज, मोटापा, हाई ब्लड प्रेशर और नॉन-अल्कोहलिक फैटी लिवर डिजीज अब सिर्फ उम्रदराज लोगों की बीमारी नहीं रहीं। आजकल 20 और 30 की उम्र में ही इनका पता चलना आम होता जा रहा है। सबसे चिंता की बात यह है कि इन बीमारियों के शुरुआती लक्षण अक्सर दिखाई नहीं देते। जब तक पता चलता है तब तक ये बीमारियां गंभीर हो चुकी होती हैं। इसलिए इन बीमारियों में रोकथाम इलाज से कहीं ज्यादा महत्वपूर्ण है।”

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मेंटल हेल्थ रहेगी मुख्य बीमारी
डॉ. कौलसुम कहती हैं, “साल 2026 तक मेंटल हेल्थ को इग्नोर करना संभव नहीं रहेगा। एंग्जायटी, बर्नआउट और नींद की कमी वैसे तो सीधे तौर पर मेंटल हेल्थ की समस्या बनकर सामने नहीं आती, लेकिन इसकी वजह से बार-बार सिरदर्द होना, हार्ट बीट तेज होना, पेट में जलन या भारीपन होना और बिना वजह थकान होना शामिल है। जिस तरह से मेंटल हेल्थ को लेकर केस आ रहे हैं, उसे देखते हुए भविष्य में मेंटल हेल्थ हर रूटीन चेकअप का हिस्सा होगा।”
सांस से जुड़ी बीमारियां
डॉ. कौलसुम ने कहा, “आजकल बढ़ते प्रदूषण के कारण लगातार AQI गंभीर होता जा रहा है। यह खराब एयर क्वालिटी, क्लाइमेट चेंज और बार-बार होने वाले इंफेक्शन आने वाले सालों में फेफड़ों पर असर डालेंगे। अब ऐसे लोग भी सांस की दिक्कत महसूस कर रहे हैं जिन्हें पहले कोई समस्या नहीं थी। लोगों में लगातार खांसी, सांस फूलना, अस्थमा जैसे लक्षण और छाती में भारीपन जैसे लक्षण आम हो गए हैं। ये लक्षण खासकर शहरों में रहने वालों में यह समस्या ज्यादा देखने को मिल रही है।”
पेट से जुड़ी बीमारियां ज्यादा होना
डॉ. कौलसुम कहती हैं, “आजकल एसिडिटी, ब्लोटिंग, इरिटेबल बॉवेल सिंड्रोम (IBS) और फूड सेंसिटिविटी के केस ओपीडी में रोज देखने को मिलते हैं। इसकी वजह अल्ट्रा-प्रोसेस्ड फूड, अनियमित खाने का समय, जल्दी-जल्दी खाना और लगातार स्ट्रेस के कारण पेट से जुड़ी समस्याएं हो सकती है। हालांकि ये बीमारियां जानलेवा नहीं होती, लेकिन रोजाना के काम पर असर डाल सकती है।
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महिलाओं में हार्मोन बैलेंस न होना
डॉ. कौलसुम ने कहा, “महिलाओं में थायरॉइड डिसऑर्डर और स्ट्रेस से जुड़े हार्मोनल बदलाव आने वाले समय में बड़ी चुनौती बने रहेंगे। अगर किसी महिला का अचानक वजन बढ़ना या घटना, बालों का लगातार झड़ना, सारा दिन थकान महसूस करना और पीरियड्स का रेगुलर न होना शुरुआती लक्षण हो सकते हैं। इन्हें इग्नोर नहीं करना चाहिए और इन लक्षणों को नॉर्मल मान लेना भविष्य में बड़ी समस्या बन सकता है।”
निष्कर्ष
डॉ. कौलसुम जोर देते हुए कहती हैं कि साल 2026 में लोगों को रेगुलर हेल्थ स्क्रीनिंग, लाइफस्टाइल काउंसलिंग, लंबे समय तक मॉनिटरिंग और बीमारी से पहले रोकथाम करना जरूरी है। भविष्य की हेल्थ केयर पर्सनलाइज्ड, प्रिवेंटिव और होलिस्टिक होगी और साथ ही अगर बीमारियों के मामले कम करने हैं, तो लोगों को भी शुरुआती लक्षणों पर ध्यान देना महत्वपूर्ण है।
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Dec 30, 2025 08:05 IST
Published By : Aneesh Rawat
