Diseases Caused by Mosquitoes in India: जैसे मानसून का सीजन शुरू होता है, वैसे ही मच्छरों की भरमार होने लगती है। ऐसे में लोग मच्छरों से जुड़ी कई तरह की बीमारियों से ग्रस्त होने लगते हैं और अगर समय पर इलाज न हो तो ये बीमारियां जानलेवा हो सकती हैं। इन बीमारियों के प्रति जागरूकता बढ़ाने के लिए भारत में स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय ने देश में 6 तरह की मच्छरों से जुड़ी बीमारियां खतरनाक बताई हैं। हमने इन सभी बीमारियों के बारे में विस्तार से कई डॉक्टरों से बात की और हाइपर लोकल कैंपेन (Hyper Local Campaign) में हम मच्छरों से जुड़ी बीमारियों की वजह और किन राज्यों में ये बीमारियां सबसे ज्यादा फैल रही हैं, इन सभी मुद्दों पर बात करेंगे। हाइपर लोकल कैंपेन में हम लोगों की सेहत से जुड़े ऐसे मुद्दे लेकर आते हैं, जो कम्युनिटी को सीधे तौर पर प्रभावित करते हैं। मच्छरों से जुड़ी बीमारियां भी बड़े स्तर पर लोगों को प्रभावित करती हैं। तो आज के इस लेख में सबसे पहले विस्तार से 6 बीमारियों को समझने की कोशिश करते हैं।
मलेरिया का बढ़ता प्रकोप - Malaria Situation in India in Hindi
स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय के अनुसार, साल 2023 में मलेरिया के मामले 2 लाख 27 हजार थे और साल 2024 में ये बढ़कर 2 लाख 55 हजार से ज्यादा हो गए। हालांकि 90 के दशक के मुकाबले मलेरिया के आंकड़ों में काफी कमी आई है। इसके बावजूद भारत में मलेरिया के मामले कम नहीं हो रहे हैं। इसके पीछे की वजह बताते हुए मुम्बई के होली फैमिली अस्पताल की इंफेक्शन डिसीज विशेषज्ञ और फिजिशयन कंसल्टेंट डॉ. सनाह मर्चेट (Dr Sanah Merchant, Consultant Physician & Infectious Disease Specialist at Holy Family Hospital, Mumbai) कहती हैं,“डॉक्टर के तौर पर मैं भी देख रही हूं कि पिछले कुछ सालों से मलेरिया के मामले बढ़ रहे हैं और इसके कई कारण हैं। सबसे पहले तो मौसम में गर्मी होने और मानसून के कारण मच्छरों को पनपने का मौका मिलता है। इसके अलावा, तेजी से बढ़ते शहरीकरण के कारण ड्रेनेज और कूड़े को सही तरीके से मैनेज नहीं किया जाता। इस वजह से जगह-जगह पानी इकट्ठा हो जाता है और मच्छरों की तादाद बढ़ने लगती है। मच्छरों का कीटनाशकों के खिलाफ प्रतिरोधक क्षमता बनाना भी मुख्य कारण है। माइग्रेशन और बीमारी का देरी से पता चलना भी मलेरिया के बढ़ने का कारण बन रहा है।”
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मलेरिया के लक्षण - Symptoms of Malaria in Hindi
अक्सर मलेरिया बढ़ने का कारण समय पर लक्षणों की पहचान न होना भी है। दरअसल मलेरिया के लक्षण काफी हद तक अन्य बीमारियों से काफी मिलते-जुलते हैं। इस वजह से आमतौर पर लोग मलेरिया को समय पर पहचान नहीं पाते। जानते हैं, इसके सामान्य और गंभीर लक्षण -
सामान्य लक्षण
- बुखार
- सिरदर्द
- उल्टी
- फ्लू जैसे लक्षण महसूस होना
गंभीर लक्षण
- बैठने में दिक्कत होना
- सांस लेने में तकलीफ
- गंभीर एनीमिया
- दौरे पड़ना
- लगातार उल्टी होना
- गहरा या बहुत कम पेशाब होना
भारत में डेंगू का प्रकोप - Dengue in India in Hindi
मानसून का सीजन आते ही डेंगू का प्रकोप भी लगातार बढ़ने लगता है। हालांकि लोगों में मच्छरों की बीमारियों के प्रति लोगों को जागरूक कराया जा रहा है, इसके बावजूद भारत में डेंगू के मामले साल 2023 में करीब 2 लाख 90 हजार के आसपास थे। इस बारे में सरकारी मेडिकल ऑफिसर डॉ. पी के जैन कहते हैं, “जागरूकता के बावजूद लोग साफ-सफाई पर ज्यादा ध्यान नहीं देते, खासतौर पर गमलो, कूलर या आसपास जमा पानी की साफ-सफाई में लापरवाही बरतते हैं। शहरों में ड्रेनेज सिस्टम और कूड़े को सही तरीके से मैनेज न कर पाने के कारण भी मच्छर बढ़ते हैं।”
डेंगू का मच्छर कहां ज्यादा पनपता है? - How Dengue Spreads in Hindi
स्वास्थ्य परिवार और कल्याण विभाग के अनुसार, डेंगू का मच्छर अक्सर दिन में काटता है और ये मच्छर किसी भी तरह के खड़े पानी में पैदा हो सकते हैं। एडीज के मच्छरों को पनपने के लिए बहुत ही कम पानी चाहिए होता है। ये आमतौर पर कूलर, ड्रम, फूलदान, बाल्टी, फ्रिज के पीछे जमा पानी या किसी भी जगह बारिश का पानी जमा होने पर पनप सकते हैं। सबसे खास बात ये है कि एडीज का अंडा एक साल तक बिना पानी के रह सकता है। इसलिए अपने आसपास जमा पानी में दवाई डाल दें ताकि एडीज के अंडे भी नष्ट हो जाए।
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डेंगू की रोकथाम कैसे करें? - Ways to Prevent Dengue in Hindi
नवी मुम्बई के मेडिकव्हर हॉस्पिटल्स के जनरल फिजीशियन डॉ. बादल ताओरी ने डेंगू की रोकथाम के कुछ खास टिप्स दिए हैं।
- घर के आसपास साफ-सफाई बनाए रखें।
- कहीं भी पानी जमा न होने दें, क्योंकि मच्छर गंदे या रुके हुए पानी में अंडे देते हैं।
- घर में नीम का धुआं या लेमनग्रास ऑयल का छिड़काव कर सकते हैं।
- घर की खिड़कियों और दरवाजों पर जाली लगाएं।
- सोते समय मच्छरदानी का इस्तेमाल करें।
- शरीर को ढकने वाले कपड़े पहनें।
- बच्चों और बुजुर्गों का विशेष ध्यान रखें, क्योंकि उनकी इम्युनिटी कमजोर होती है।
- अपने गली मोहल्ले में फॉगिंग कराएं।
- डेंगू के लक्षण जैसे तेज बुखार, सिरदर्द, आंखों के पीछे दर्द, जोड़ों में दर्द, त्वचा पर चकत्ते आदि नजर आएं तो तुरंत डॉक्टर को संपर्क करें।
चिकनगुनिया का प्रकोप - Chikungunya in India in Hindi
भारत में मानसून के सीजन में लोग चिकनगुनिया से त्रस्त रहते हैं। अगर आंकड़ों की बात करें, तो साल 2023 में 11 हजार से ज्यादा मामले रजिस्टर हुए थे, जो साल 2024 में बढ़कर करीब 18 हजार के आसपास रजिस्टर हुए। दरअसल, चिकनगुनिया के लक्षण डेंगू से काफी मिलते-जुलते हैं। स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय के अनुसार साल 2006 में चिकनगुनिया पूरे देश में दोबारा फैलने लगा और करीब हर राज्य में ये बीमारी फैल गई थी।
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चिकनगुनिया में जोड़ों का दर्द क्यों होता है? - Why Joint Pain in Chikungunya in Hindi
जब भी किसी को चिकनगुनिया होता है, तो उसे जोड़ों में बहुत ज्यादा दर्द रहता है। चिकनगुनिया की बीमारी में ही जोड़ों का दर्द ज्यादा होने की वजह जानने के लिए हमने होली फैमिली की डॉ. सनाह मर्चेंट से बात की। डॉ. सनाह ने बताया, “चिकनगुनिया में जोड़ों में दर्द प्रमुख लक्षण है। इस बीमारी में वायरस की वजह से इम्यून रिस्पांस करता है और जोड़ों में सूजन होने लगती है। इस स्थिति को वायरल अर्थराइटिस भी कहते हैं। कई रोगियों में वायरस के ट्रिगर से प्रो-इंफ्लेमेटरी साइटोकिन्स रिलीज होता है, जिससे सूजन, अकड़न और दर्द होता है। जोड़ों का दर्द बुखार खत्म होने के बाद भी कई महीनों तक रहता है। ये आमतौर पर हाथ, कलाई और टखनों को ज्यादा प्रभावित करता है।”
फाइलेरिया बढ़ने का क्या कारण है? - How Does Filariasis Spread in Hindi
यह रोग फाइलेरिया परजीवी की वजह से होता है, जो मच्छरों के काटने से फैलता है। इस बीमारी में रोगी के शरीर के हाथ-पैरों में सूजन आ जाती है। आम भाषा में लोग इस बीमारी को हाथीपांव (Elephantiasis) भी कहते हैं। इस बीमारी में बुखार और स्किन में खुजली भी हो सकती है। वैसे तो इसका इलाज संभव है, लेकिन समय रहते डॉक्टर से सलाह लेना महत्वपूर्ण है। इसके बढ़ने के कारणों के बारे में बताते हुए डॉ. सनाह मर्चेट कहती हैं, “फाइलेरिया बढ़ने का कारण गंदगी होना, मच्छरों को न रोक पाना और गांवों या देहात में हेल्थकेयर सेवाओं का न होना है। सबसे बड़ी दिक्कत यह है कि लोग Mass Drug Administration (MDA) कैंपेन को ज्यादा तवज्जो नहीं देते और न ही हर साल कीड़े मारने वाली दवाइयां लेते हैं, इससे परजीवी कम्युनिटी में फैल जाता है। इसके अलावा, कई बार संक्रमित व्यक्ति को लक्षण महसूस ही नहीं होते और वह लोगों में बीमारी फैला देता है। आसपास जमा पानी और ड्रेनेज भी मच्छरों को बढ़ाते हैं।”.
काला अजार कैसे फैलता है? - How Kala Azar Spreads in Hindi
काला अजार लीशमैनिया परजीवी के कारण होता है। इस बीमारी में स्किन का रंग काला या ग्रे रंग का होने लगता है। इस वजह से इस बीमारी को काला अजार कहते है। स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय की रिपोर्ट के अनुसार, भारत में बिहार और झारखंड में यह बीमारी ज्यादा पाई गई है। इस बारे में मुम्बई के झायनोवा शाल्बी अस्पताल के इंटरनल मेडिसन एक्सपर्ट डॉ. निमित नागडा (Dr Nimitt Nagda, Internal Medicine Expert, Zynova Shalby Hospital Mumbai) कहते हैं, “दरअसल, काला अजार संक्रमित सैंडफ्लाई के काटने से फैलता है, जो गंदगी और नमी वाली जगहों पर पाई जाती है। जब संक्रमित बालू मक्खी किसी को काटती है, तो परजीवी खून में पहुंचकर धीरे-धीरे लिवर, स्प्लीन और बोन मैरो में फैल जाता है। इसकी मुख्य वजह गंदगी और कमजोर इम्यून सिस्टम है। खासतौर पर गांव और आदिवासी इलाकों में रहने वाले लोग झोपड़ियों और कच्चे मकानों में रहते हैं, वहां बीमारी ज्यादा फैलती है। अगर समय पर काला अजार का इलाज न हो तो यह जानलेवा साबित हो सकता है। इसके बचाव के लिए साफ-सफाई और सोते समय मच्छरदानी के इस्तेमाल किया जा सकता है।”
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जापानी बुखार के लक्षणों पर रखें ध्यान - Symptoms of Japanese Encephalitis in Hindi
जापानी इंसेफेलाइटिस, जिसे लोग जापानी बुखार के नाम से जानते हैं। यह बीमारी क्यूलेक्स मच्छर के काटने से फैलता है। इस बीमारी में सिरदर्द, उल्टी, दौरे पड़ना और बुखार जैसे लक्षण देखने को मिलते हैं। अगर समय पर इसका इलाज न किया जाए तो रोगी कोमा में भी जा सकता है। इस बीमारी में दिमाग में सूजन आ सकती है, इसलिए रोगी को समय रहते डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए।
फिलहाल जापानी बुखार के वायरल को रोकने के लिए कोई एंटीवायरल दवाई नहीं है, लेकिन डॉक्टर की निगरानी में इसे मैनेज किया जा सकता है। आमतौर पर डॉक्टर बुखार और दर्द कम करने के लिए दवाई दी जाती है। इसके अलावा, रोगी को पानी प्रचुर मात्रा में पीना चाहिए।
तो भारत में ये 6 मच्छरों से जुड़ी बीमारियां सबसे ज्यादा खतरनाक है, जिनकी रोकथाम के साथ-साथ समय पर लक्षणों की पहचान करके इलाज कराना बहुत महत्वपूर्ण है।
FAQ
मलेरिया बुखार कितने दिन तक रहता है?
मलेरिया का बुखार ठीक होना इस बात पर निर्भर करता है कि कौन से परजीवी ने काटा और उपचार कितनी जल्दी मिला है। वैसे आमतौर पर बुखार को सही होने में कम से कम दो हफ्ते लग सकते हैं, लेकिन यह जरूरी है कि नियमित रूप से दवाई ली जाए और खानपान का ध्यान रखा जाए।डेंगू में कौन सा अंग सबसे ज्यादा प्रभावित होता है?
डेंगू में प्लेटलेट काउंट कम होने पर खून के थक्के जम सकते हैं। इसके अलावा, लिवर और हार्ट पर भी असर पड़ सकता है। इसलिए लक्षणों की अनदेखी न करें और समय पर इलाज कराएं।चिकनगुनिया के 3 लक्षण क्या हैं?
चिकनगुनिया का सबसे पहला लक्षण तो जोड़ों में खासतौर पर कलाई, टखनों, घुटनों और उंगुलियों में बहुत ज्यादा दर्द होना, तेज बुखार और रोगियों के शरीर पर लाल रंग के दाने हो जाते हैं।