Serious Health Consequences of Malaria: 28 वर्षीय निखिल को शुरुआती बुखार, कंपकंपी और सिरदर्द की शिकायत थी। उसने इसे मौसमी वायरल समझकर घर पर ही इलाज शुरू कर दिया। लेकिन कुछ ही दिनों में उसकी हालत बिगड़ गई और अस्पताल पहुंचते ही डॉक्टरों ने उसे मलेरिया का गंभीर मामला बताया। निखिल का हीमोग्लोबिन लेवल काफी कम हो चुका था और उसे आईसीयू में भर्ती करना पड़ा। यह कहानी सिर्फ निखिल की नहीं है। हर साल हजारों लोग मलेरिया को मामूली बुखार समझ कर नजरअंदाज कर देते हैं, जिससे यह जानलेवा रूप ले लेता है। विश्व मलेरिया दिवस (World Malaria Day 2025) हर साल 25 अप्रैल को मनाया जाता है ताकि लोगों को इस खतरनाक बीमारी के प्रति जागरूक किया जा सके। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, मलेरिया दुनिया के सबसे घातक रोगों में से एक है, जो समय पर इलाज न होने पर गंभीर समस्याएं पैदा कर सकता है। इस लेख में हम जानेंगे कि कैसे मलेरिया को हल्के में लेना सेहत पर भारी पड़ सकता है और कौन से पांच बड़े नुकसान हैं जो इसकी अनदेखी से हो सकते हैं। इस विषय पर बेहतर जानकारी के लिए हमने लखनऊ के संजय गांधी पोस्ट ग्रेजुएट इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज में हॉस्पिटल मैनेजमेंट के एचओडी डॉ राजेश हर्षवर्धन से बात की।
1. गंभीर एनीमिया- Severe Anemia
मलेरिया में शरीर के रेड ब्लड सेल्स तेजी से नष्ट होते हैं। इससे शरीर में खून की कमी यानी एनीमिया हो जाता है। जब यह स्थिति गंभीर हो जाती है, तो मरीज को ज्यादा थकान, सांस फूलने की समस्या और चक्कर आने लगते हैं। बच्चों और गर्भवती महिलाओं में यह स्थिति जानलेवा हो सकती है। कई बार खून चढ़ाने तक की जरूरत पड़ जाती है।
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2. मल्टी ऑर्गन फेलियर- Multi Organ Failure
अगर मलेरिया का इलाज समय पर न हो, तो यह केवल खून को ही नहीं, बल्कि किडनी, लिवर और यहां तक कि हार्ट को भी प्रभावित कर सकता है। एक साथ कई अंगों का काम बंद कर जाना यानी मल्टी ऑर्गन फेलियर, मलेरिया की सबसे खतरनाक समस्याओं में से एक है। ऐसे मरीजों की जान बचाना बहुत मुश्किल हो जाता है।
3. सेरेब्रल मलेरिया- Cerebral Malaria
प्लाज्मोडियम फाल्सीपेरम (Plasmodium Falciparum) नामक परजीवी जब दिमाग तक पहुंच जाता है, तो सेरेब्रल मलेरिया (Cerebral Malaria) हो सकता है। यह मलेरिया की सबसे खतरनाक अवस्था मानी जाती है। इसमें मरीज को दौरे पड़ सकते हैं, मानसिक भ्रम की स्थिति हो सकती है और गंभीर मामलों में मरीज कोमा में भी जा सकता है। डॉक्टरों के अनुसार, यह स्थिति में तुरंत इलाज की जरूरत होती है।
4. सांस की तकलीफ- Respiratory Distress
कुछ गंभीर मामलों में मलेरिया फेफड़ों में फ्लूइड जमा कर देता है, जिससे एक्यूट रेस्पिरेटरी डिस्ट्रेस सिंड्रोम (Acute Respiratory Distress Syndrome) हो सकता है। इस स्थिति में मरीज ऑक्सीजन पर निर्भर हो जाता है और आईसीयू में वेंटिलेटर की जरूरत पड़ सकती है। सांस की तकलीफ से जूझना न सिर्फ फिजिकल, बल्कि मानसिक रूप से भी मरीज को तोड़ देता है।
5. बार-बार इंफेक्शन और कमजोरी होना- Recurrent Infection and Chronic Weakness
अगर मलेरिया की दवा का कोर्स अधूरा छोड़ दिया जाए, तो इंफेक्शन दोबारा हो सकता है। कुछ परजीवी, जैसे प्लाज्मोडियम विवैक्स (Plasmodium Vivax) लिवर में छिपे रह जाते हैं और समय-समय पर फिर से एक्टिव हो सकते हैं। इससे बार-बार बुखार, शरीर में दर्द और लंबे समय तक कमजोरी बनी रहती है, इसलिए मलेरिया से बचाव जरूरी है।
मलेरिया को केवल बुखार समझकर नजरअंदाज करना बहुत खतरनाक हो सकता है। समय पर जांच, डॉक्टर की सलाह से पूरा इलाज और मच्छरों से बचाव ही इससे बचने के सही उपाय हैं।
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