Maharashtra Class 8 student dies of heart attack during school trip : महाराष्ट्र में स्कूल पिकनिक पर गए एक 14 साल के छात्र की हार्ट अटैक से मौत हो गई है। बताया जा रहा है कि छात्र (आयुष) स्कूल की तरफ से रायगढ़ स्थित एक थीम पार्क में गया था। थीम पार्क में खेलते-खेलते अचानक छात्र बेहोश होकर गिर गया। आनन-फानन में टीचर ने छात्र को अस्पताल में भर्ती कराया, जहां डॉक्टरों से उसे मृत घोषित कर दिया। पुलिस की रिपोर्ट में बताया गया है कि छात्र की मौत हार्ट अटैक के कारण हुई है। आमतौर पर हार्ट अटैक बुजुर्गों में देखने को मिलता है, लेकिन जीवनशैली, खानपान और कई कारणों से पिछले कुछ सालों में हार्ट से जुड़ी बीमारियां युवाओं और बच्चों को भी हो रही हैं।
गुरुग्राम स्थित सीके बिड़ला अस्पताल के नियोनेटोलॉजी और पीडियाट्रिक्स विभाग की कंसल्टेंट डॉ. श्रेया दुबे (Dr Shreya Dubey, Consultant- Neonatology and Paediatrics, CK Birla Hospital Gurugram) का कहना है कि इन दिनों जीवनशैली, तनाव, खाने में पोषण की कमी और सोशल मीडिया का ज्यादा इस्तेमाल करने के कारण बच्चों में हार्ट अटैक के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। इसके साथ ही, बच्चों में हार्ट संबंधी बीमारी के पीछे मोटापा, फिजिकल एक्टिविटी और आनुवंशिक कारण प्रमुख हैं। बाल एवं शिशु रोग विशेषज्ञ का कहना है कि माता-पिता अगर बच्चों की सेहत की निगरानी सही तरीके से करें, तो हार्ट अटैक और हार्ट संबंधी अन्य परेशानियों से बचा जा सकता है।
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बच्चों में हार्ट संबंधी बीमारियों का खतरे का कारण क्या है- Causes the risk of heart diseases in children in Hindi
डॉ. श्रेया दुबे के अनुसार, छोटी उम्र में बच्चों में हार्ट संबंधी बीमारियों और हार्ट अटैक के खतरे के निम्नलिखित कारण हैं :
1. जंक फूड- आजकल के ज्यादातर बच्चे बाजार में मिलने वाले जंक फूड खाना पसंद करते हैं। जंक फूड में चीनी, अतिरिक्त सोडियम, ट्रांस फैट होता है। इन चीजों का सेवन ज्यादा मात्रा में करने से धमनियां प्रभावित होती हैं और हार्ट की बीमारियों का खतरा बढ़ता है।
2. मोटापा- उम्र के हिसाब से हर व्यक्ति के वजन का एक पैमाना तय किया दिया गया है। छोटे बच्चों में वजन हाई ब्लड प्रेशर और डायबिटीज जैसी समस्याओं को जन्म दे सकता है। जिसके कारण हार्ट प्रॉब्लम हो सकती है।
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3. फिजिकल एक्टिविटी की कमी- मोबाइल, टीवी और डिजिटल गेम्स के कारण बच्चे ज्यादा खेलने, कूदने, दौड़ने व भागने से कतराते हैं। कम एक्सरसाइज और ज्यादा स्क्रीन टाइम दिल की सेहत को नुकसान पहुंचाता है।
4. मानसिक तनाव-सोशल मीडिया के इस्तेमाल और ज्यादा स्क्रीन टाइम होने के कारण बच्चों में अत्यधिक तनाव और अवसाद के मामले बढ़ रहे हैं। मानसिक तनाव भी हार्ट संबंधी परेशानियों का मुख्य कारण है।
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पेरेंट्स को किन बातों का ध्यान रखना चाहिए?
1. संतुलित आहार खिलाएं
डॉ. श्रेया का कहना है कि पेरेंट्स को बच्चों को बाजार में मिलने वाले चिप्स, नमकीन, बर्गर और पेटीज देने से बचना चाहिए। इन चीजों की बजाय बच्चों के हार्ट को हेल्दी रखने के लिए खाने में हरी सब्जियां, फल, साबुत अनाज, हेल्दी फैट और प्रोटीन शामिल करें।
2. एक्टिविटी बढ़ाएं
बच्चों को ज्यादा स्क्रीन टाइम देने की बजाय उनके खेलने-कूदने पर फोकस करें। बच्चों को रोजाना कम से कम एक घंटा पार्क में जरूर कूदने, दौड़ने और भागने के लिए प्रोत्साहित करें।
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3. स्वस्थ जीवनशैली अपनाएं
कम उम्र से ही बच्चों को रोजाना एक ही समय पर सुलाने, उठाने और एक पैटर्न के साथ रोजमर्रा की लाइफ जीने की आदत डलवाएं। ऐसा करने से बच्चों को खेलने, सही खाने की आदत रहेगी और बीमारियों का खतरा भी कम होगा।
4. मेडिकल चेकअप करवाएं
हार्ट संबंधी बीमारियों से बचाव करने के लिए हर 3 से 5 महीने के बीच बच्चों के ब्लड प्रेशर, कोलेस्ट्रॉल और शुगर लेवल की जांच करवाते रहें। इस मेडिकल टेस्ट के जरिए बच्चों की सेहत की सटीक जानकारी पेरेंट्स को मिल सकती है।
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5. प्रदूषण से दूर रखें
ज्यादा समय प्रदूषण और धूम्रपान वाले क्षेत्रों में बिताने के कारण भी बच्चों को हार्ट संबंधी बीमारियों का खतरा होता है। ऐसे में बच्चों को प्रदूषण से बचाकर रखें। अगर आपके शहर में प्रदूषण ज्यादा है, तो घर में हवा को स्वच्छ करने के लिए एयर प्यूरीफायर का इस्तेमाल करें।
निष्कर्ष
बच्चों की सेहत का ध्यान रखना माता-पिता की सबसे बड़ी जिम्मेदारी है। स्वस्थ खान-पान, रेगुलर एक्सरसाइज और संतुलित जीवनशैली अपनाकर बच्चों को हार्ट संबंधी बीमारियों से बचाया जा सकता है।