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मेनोपॉज के दौरान कुछ महिलाओं के शरीर की गंध क्यों बदल जाती है? डॉक्टर बता रहे हैं कारण

Body Odour During Menopause in Hindi: मेनोपॉज के दौरान महिलाओं में कई तरह के शारीरिक और मानसिक बदलाव होते हैं। इन्हीं बदलावों में शरीर की गंध बदल जाना भी आम है। इसके कई कारण हैं, जिसे डॉक्टर ने विस्तार से बताया है।
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मेनोपॉज के दौरान कुछ महिलाओं के शरीर की गंध क्यों बदल जाती है? डॉक्टर बता रहे हैं कारण


Body Odour During Menopause in Hindi: दुनियाभर में 45 से 55 साल की उम्र के बीच महिलाएं मेनोपॉज से गुजरती हैं। इस दौरान उनके ओवरी में अंडे बनना बंद हो जाते हैं और एस्ट्रोजन हार्मोन का स्तर बहुत कम होने लगता है। अगर किसी महिला को लगातार एक साल पीरियड्स नहीं आते, तो उसका मेनोपॉज हो जाता है। इस दौरान महिलाएं कई तरह के शारीरिक और मानसिक बदलाव से गुजरती हैं। मेनोपॉज के समय महिलाओं को हॉट फ्लैश, रात में पसीने आना, वजाइना में सूखापन महसूस होता है। (symptoms of menopause) कई महिलाओं की नींद पूरी नहीं होती। मूड स्विंग्स, डिप्रेशन और स्ट्रेस जैसी मानसिक परेशानियों से भी गुजरना पड़ता है। इस समय कई महिलाओं को खुद में दुर्गंध भी महसूस होती है। सके कई कारण हैं, जिसके बारे में हमें फरीदाबाद के क्लाउडनाइन ग्रुप ऑफ हॉस्पिटल्स के स्त्रीरोग विशेषज्ञ विभाग की कंसल्टेंट डॉ. पूजा सी ठुकराल (Dr. Pooja C Thukral, Consultant - Obstetrician and Gynecologist, Cloudnine Group of Hospitals, Faridabad) ने बताया।

मेनोपॉज में शरीर की गंध बदलने के कारण - Reasons Body Odor Change During Menopause in Hindi

एस्ट्रोजन स्तर में गिरावट

डॉ. पूजा ठुकराल ने बताया, “मेरे पास अक्सर महिलाएं मेनोपॉज के दौरान और उसके बाद एक अलग तरह की तेज गंध की शिकायत लेकर आती हैं। इस गंध से वे न सिर्फ असहज होती हैं, बल्कि लोगों के बीच जाने में भी परेशानी महसूस करती हैं। इसकी मुख्य वजह मेनोपॉज के दौरान शरीर में एस्ट्रोजन हार्मोन के स्तर का घटना है। दरअसल, एस्ट्रोजन पसीने की ग्रंथियों को नियंत्रित करता है। अगर एस्ट्रोजन हार्मोन का स्तर कम होता है, तो महिलाओं को बहुत ज्यादा पसीने आते हैं, खासतौर पर रात में पसीना (night sweats)और हॉट फ्लैशेज (hot flashes) बहुत ज्यादा महसूस होता है। इस वजह से भी शरीर से तेज गंध आती है।”

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शरीर के तापमान का कंट्रोल न होना

डॉ. पूजा ठुकराल कहती हैं कि मेनोपॉज के दौरान महिलाओं के हार्मोन्स में बहुत ज्यादा बदलाव होते हैं, जिससे शरीर का तापमान, यानि थर्मोरेग्युलेशन (thermoregulation), अनियंत्रित हो जाता है। शरीर का तापमान गड़बड़ाने के कारण पसीना आने लगता है इससे बैक्टीरिया त्वचा पर एक्टिव होकर गंध बढ़ाते हैं।

स्किन के बैक्टीरिया में बदलाव होना

डॉ. पूजा कहती हैं, “जब महिलाओं की उम्र बढ़ती है और साथ ही मेनोपॉज के कारण हार्मोनल असंतुलन होता है, तो त्वचा में मौजूद माइक्रोबायोम (skin flora) में भी बदलाव होता है। इस बदलाव के कारण महिलाओं की स्किन में नेचुरल गंध भी बदल सकती है। कई महिलाओं में तो यह गंध काफी तेज होती है।”

स्ट्रेस और चिंता

डॉ. पूजा ने बताया, “मेनोपॉज के दौरान हार्मोन में बदलाव के चलते महिलाओं में मानसिक बदलाव भी देखने को मिलते हैं। कई महिलाएं चिड़चिड़ेपन, तनाव और मूड स्विंग्स से गुजरती हैं। जब शरीर में तनाव बढ़ता है, तो यह कोर्टिसोल हार्मोन के स्तर को भी बढ़ा देता है, जिससे एपोक्राइन ग्लैंड्स (जो अंडरआर्म्स में होती हैं) बहुत ज्यादा एक्टिव हो जाती है। यह पसीना बैक्टीरिया के संपर्क में आकर बदबू बढ़ा देता है।

यूरिनरी इनकॉन्टिनेंस (Urinary Incontinence) या वजाइनल ड्राइनेस (Vaginal Dryness)

डॉ. पूजा कहती हैं कि मेनोपॉज के दौरान कुछ महिलाओं को अपना यूरिन कंट्रोल करने में दिक्कत महसूस होती है, तो कुछ महिलाओं को वजाइना में सूखापन महसूस होता है। इससे संक्रमण होने का रिस्क बढ़ता है और संक्रमण की वजह से शरीर में गंध बढ़ जाती है।

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मेनोपॉज में गंध रोकने के उपाय - How to Stop Body Odour During Menopause in Hindi

स्वस्थ खानपान

डॉ. पूजा कहती हैं कि खाने में ज्यादा फैट, प्रोसेस्ड फूड और कैफीन शरीर की गंध को बढ़ा सकते हैं। इसलिए हरी सब्जियां, फल, पानी, और प्रोबायोटिक युक्त आहार जैसे दही को डाइट में शामिल करें। खाने में लहसुन और प्याज जैसी चीजों को सीमित मात्रा में लेना चाहिए, क्योंकि ये शरीर की गंध पर असर डाल सकते हैं।

नियमित सफाई और हाइजीन का ध्यान रखें

डॉ. पूजा ने बताया कि मेनोपॉज के समय महिलाएं अपनी साफ-सफाई का ध्यान रखना चाहिए। दिन में दो बार नहाएं और खासतौर पर पसीने वाले हिस्सों को अच्छी तरह धोएं। महिलाओं को एंटी-बैक्टीरियल साबुन का इस्तेमाल करना चाहिए। अंडरआर्म्स और प्राइवेट पार्ट्स को साफ और सूखा रखने की कोशिश करें।

खुले और सूती कपड़े पहनें

मेनोपॉज के दौरान महिलाओं को सूती और ढीले कपड़े पहनने चाहिए ताकि पसीना जल्द से जल्द सूख जाए। सिंथेटिक या टाइट कपड़ों के कारण पसीना सूख नहीं पाता और बैक्टीरिया पनपने लगते हैं। इसलिए कपड़ों पर भी ध्यान देना जरूरी है।

नेचुरल डिओडरेंट्स (Natural Deodorants) का इस्तेमाल करें

डॉ. पूजा कहती हैं, “ मार्किट में मिलने वाले केमिकल युक्त परफ्यूम से बचना चाहिए। ये स्किन को नुकसान भी पहुंचाते हैं और इस समय स्किन का फ्लोरा भी बदलता है। ऐसे में एलोवेरा, नींबू, टी ट्री ऑयल जैसे प्राकृतिक डिओडरेंट्स शरीर की गंध को कंट्रोल करने में मदद कर सकते हैं।

तनाव को कंट्रोल करें

स्ट्रेस को कंट्रोल करने के लिए योग, मेडिटेशन, वॉकिंग, और प्राणयाम जैसी कसरत नियमित रूप से करें। इससे कोर्टिसोल हार्मोन कंट्रोल होता है, जो पसीने को नियंत्रित करता है।

खूब पानी पिएं

डॉ. पूजा ने बताया कि सभी को दिनभर में खूब पानी पीना चाहिए। दिनभर में 2-3 लीटर पानी पीने से शरीर से टॉक्सिन्स निकलते हैं, जिससे शरीर की गंध कम होती है।

डॉक्टर से सलाह लें

अगर शरीर में गंध बहुत ज्यादा आ रही है और इन उपायों से ठीक नहीं हो रही, तो स्त्रीरोग विशेषज्ञ से मिलें। कई बार इंफेक्शन की वजह से भी गंध आती है। इसके लिए दवाई या इलाज की जरूरत होती है।

डॉ. पूजा कहती है कि महिलाओं को यह समझना जरूरी है कि यह प्रक्रिया नेचुरल है और इससे जुड़े बदलाव भी स्वाभाविक हैं। इस समय जरूरी है कि महिलाओं को अपने शारीरिक और मानसिक बदलावों को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए। शरीर में से गंध आना महिलाओं को लिए काफी संवेदनशील मामला है और लाइफस्टाइल में चेंज करके इस समस्या को कंट्रोल किया जा सकता है।

FAQ

  • मेनोपॉज के दौरान क्या समस्याएं आती हैं?

    मेनोपॉज के दौरान हॉट फ्लैश, रात को पसीना आना, वजाइना में सूखापन, सेक्स के दौरान दर्द होना, शरीर से गंध आना, यूरिन न रोक पाना, सोने में परेशानी हो सकती है। इसके अलावा, मूड स्विंग्स, चिड़्चिड़ापना, फोकस करने में दिक्कत जैसी समस्याएं आती हैं।
  • क्या मेनोपॉज के बाद पेट फूल जाता है?

    मेनोपॉज के दौरान हार्मोन्स में बदलाव होने के कारण एस्ट्रोजन हार्मोन कम हो जाता है। इस वजह से पेट में पानी ठहर जाता है, जो ब्लोटिंग का कारण बनता है। इसके अलावा, डाइट में बदलाव, पाचन क्रिया धीमा होना, तनाव भी कारण हो सकते हैं।
  • क्या मेनोपॉज के दौरान ब्रेस्ट में दर्द होता है?

    इसका कारण भी हार्मोनल उतार-चढ़ाव हो सकता है। एस्ट्रोजन कम होना ब्रेस्ट टिश्यू को संवेदनशील कर सकता है। इसके अलावा, ब्रेस्ट टिश्यू में परिवर्तन, जिसमें टिश्यू में फैट बढ़ना शामिल है। ऐसे में महिलाओं को ब्रेस्ट में दर्द महसूस हो सकता है।

 

 

 

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