Migraines Common During Perimenopause: जब महिलाओं को मेनोपॉज होने की स्थिति होती है, उस समय उनका एस्ट्रोजन का स्तर कम होने लगता है। ऐसे समय को पेरिमेनोपॉज कहते हैं। इस समय महिलाओं को नींद न आना, पेट फूलना, कब्ज और चक्कर आने जैसी कई लक्षणों से गुजरना पड़ता है। (symptoms of perimenopause) हार्मोनल असंतुलन की वजह से इस दौरान महिलाओं के मूड स्विंग्स भी बहुत होते हैं। आमतौर पर महिलाओं में पेरिमेनोपॉज की उम्र 40 से शुरू होती है लेकिन कुछ महिलाओं में यह फेज 30 की उम्र के बाद भी शुरु हो सकता है। इस समय अक्सर महिलाओं को माइग्रेन बढ़ने की समस्या से भी गुजरना पड़ता है। माइग्रेन बढ़ने की क्या वजह है, जानने के लिए हमने मुम्बई के बांद्रा के होली फैमिली अस्पताल के कंसल्टेंट न्यूसर्जन डॉ. मारूति पुजारी (Dr Maruti Pujari, Consultant Neurosurgeon - Holy Family Hospital, Bandra, Mumbai) और होली फैमिली अस्पताल के न्यूरोलॉजी विभाग के हेड डॉ. संजय मोंगिया ( Dr. Sanjay Mongia, Head of Neurosurgery - Holy Family Hospital) से बात की।
पैरीमेनोपॉज के दौरान माइग्रेन बढ़ने का कारण - What Causes Migraines During Perimenopause?
डॉ. मारूति के अनुसार, “हां, पेरिमेनोपॉज में माइग्रेन की समस्या हो जाती है। दरअसल, उम्र के साथ एस्ट्रोजन की कमी हो जाती है। इससे हार्मोनल बदलाव आते हैं। एस्ट्रोजन दिमाग के केमिकल को संतुलन सही रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, और दिमाग में इसके असंतुलित होने से माइग्रेन अटैक में बढ़ोतरी होने लगती है। इसके अलावा, स्ट्रेस, नींद पूरी न होना और लाइफस्टाइल की आदतों के चलते भी माइग्रेन अटैक बढ़ सकते हैं।”
डॉ. संजय ने कहा कि माइग्रेन खासतौर पर उन महिलाओं को ज्यादा महसूस होता है, जो पहले से पीरियड्स के दौरान माइग्रेन अनुभव करती हैं। इस समय नींद पूरी लें और स्ट्रेस कम से कम रखें। इस तरह से पेरिमेनोपॉज में माइग्रेन की समस्या से काफी हद तक निजात पाया जा सकता है।
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क्या मेनोपॉज के बाद माइग्रेन नहीं होता? - Do Migraine Stop After Menopause?
इस बारे में डॉ. संजय कहते हैं, “कई महिलाओं में मेनोपॉज के बाद माइग्रेन अटैक में कमी आ जाती है या फिर उसकी तीव्रता कम हो जाती है। कई महिलाओं में हार्मोन स्थिर होने पर माइग्रेन या तो बिल्कुल खत्म हो जाता है या फिर कम हो जाता है। हालांकि, सभी महिलाओं में मेनोपॉज के बाद माइग्रेन पूरी तरह बंद नहीं होता, और कुछ में अलग-अलग स्तर पर रहता है।” वैसे डॉक्टरों का मानना है कि हाइजीन और अपने लाइफस्टाइल का ध्यान रखकर पेरिमेनोपॉज में माइग्रेन से बचा जा सकता है।
अगर माइग्रेन हो जाए तो क्या करें? - How to Get Rid from Migraine?
डॉ. संजय कहते हैं कि अगर माइग्रेन हो जाए, तो कुछ तरीकों को अपनाया जा सकता है। इससे माइग्रेन को काफी हद तक कम किया जा सकता है।
- बर्फ लगाना - एक कपड़े में बर्फ का टुकड़ा या आइसपैक लेकर सिर में दर्द वाली जगह पर लगाएं। कपड़े को तौलिये में लपेट लें ताकि त्वचा सुरक्षित रहे।
- कसरत - स्ट्रेस कम करने की कसरत जैसे कि मेडिटेशन, योग करना चाहिए। स्ट्रेस माइग्रेन का ट्रिगर है।
- बॉयोफीडबैक - यह स्ट्रेस को मॉनिटर करने के काम आता है। इससे माइग्रेन पीड़ित महिलाओं को काफी मदद मिलेगी।
- एक्यूपंचर - यह सिरदर्द होने पर काफी बेहतर उपाय है और रिलेक्स करने में मदद मिलती है।
- दर्द की दवाइयां - डॉक्टर की सलाह पर नॉन-स्टेरॉयड एंटी-इनफ्लेमेटरी दवाइयां (NSAID) ले सकते हैं। इसके अलावा, नाप्रोक्सेन सोडियम और आईब्रूफिन ले सकती हैं। ये दवाइयां सिरदर्द कम करने में मदद करती हैं।
- ट्रिपटान्स - यह दवाइयां दिमाग में दर्द के सिग्नल्स को रोक देती हैं। इससे कई बार दो घंटे में ही दर्द रुक जाता है। यह मतली या उल्टी में भी मदद करती है।
- मतली रोकने की दवाइयां - कई बार डॉक्टर मतली और उल्टी रोकने की दवाइयां भी देते हैं। इससे भी माइग्रेन का दर्द कम करने में मदद मिलती है।
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पेरिमेनोपॉज के दौरान माइग्रेन से बचाव के उपाय - How to Prevent Perimenopause Migraines?
इस बारे में डॉ. मारूति कहते हैं कि पेरिमेनोपॉज के दौरान माइग्रेन की समस्या को लाइफस्टाइल में बदलाव करके और मेडिकल तरीकों से मैनेज किया जा सकता है।
- हाइड्रेशन का ध्यान रखें - पानी की कमी माइग्रेन का ट्रिगर हो सकता है, इसलिए दिनभर प्रचुर मात्रा में पानी पीते रहें।
- नींद पूरी करना - नींद का नियमित शैड्यूल बनाना और तनाव रहित सोने से भी माइग्रेन कम होता है।
- दवाइयां - एंटी-इंफ्लेमेटरी दवाइयां जैसे कि नेप्रोसिन भी अक्सर माइग्रेन मैनेज करने में मदद करता है। कुछ मामलों में हार्मोनल थेरेपी भी दी जा सकती है।
- स्ट्रेस मैनेजमेंट - दवाइयों के साथ स्ट्रेस मैनेजमेंट जैसे योग, मेडिटेशन या कसरत से माइग्रेन के अटैक कम किए जा सकते हैं।
लाइफस्टाइल में बदलाव करने के बाद भी अगर महीने में कई बार माइग्रेन की समस्या हो, तो डॉक्टर की सलाह लेकर दवाई शुरू करें। कई बार महिलाओं को पीरियड्स तो नहीं होते, लेकिन यह परेशानी बरकरार रहती है, ऐसे में अक्सर डॉक्टर रोजाना कुछ दवाइयां लेने की सलाह देते हैं।