Reasons of Menopause Increases Risk of Osteoporosis: महिलाओं के लिए मेनोपॉज का दौर इमोशनल और फिजिकल बदलाव से भरा होता है। अकसर महिलाएं 45 से 55 साल की उम्र के बीच मेनोपॉज के पड़ाव से गुजरती है। महिला के जीवन का ये वो दौर होता है, जब उनके पीरियड्स बंद होने लगते हैं और एस्ट्रोजन हर्मोंन बनना बंद हो जाता है। इस दौरान वे हॉट फ्लैश, चेहरे पर बालों का बढ़ना, बैचेनी और चिड़चिड़ेपन के कारण इमोशनली खुद को काफी कमजोर महसूस करने लगती हैं। ऐसे में अगर हड्डियों में कमजोरी आने लगे या फ्रेक्चर की समस्या बढ़ जाए तो महिलाओं के लिए मेनोपॉज के बाद का जीवन बहुत मुश्किल हो जाता है। अगर मेनोपॉज से पहले या उस दौरान महिलाएं अपनी सेहत को लेकर सतर्क हो जाए तो इस परेशानी से काफी हद तक बचा जा सकता है। हड्डियों की कमजोर होने की स्थिति को ओस्टियोपोरसिस कहते हैं। इस बारे में मुम्बई के अपोलो स्पेक्ट्रा के ऑर्थोपेडिक डॉ. सैफुद्दीन नदवी से विस्तार में बातचीत की। हर साल 18 अक्टूबर को विश्व मेनोपॉज दिवस (World Menopause Day 2024) मनाया जाता है। आइए, इस मौके पर जानते हैं मेनोपॉज और ऑस्टियोपोरोसिस में संबंध-
ऑस्टियोपोरोसिस क्या है?
ऑस्टियोपोरोसिस एक ऐसी साइलेंट कंडीशन है, जिसमें मेनोपॉज के बाद महिलाओं की हड्डियां बहुत कमजोर हो जाती है और इससे फैक्चर का रिस्क बढ़ जाता है। ये बीमारी धीरे-धीरे बढ़ती है। इस वजह से बीमारी का तब तक पता नहीं चलता, जब तक कि कोई फैक्चर न आए। आमतौर पर हाइट कम होना, पीठ में दर्द, पोस्चर का बिगड़ना और हड्डियों का टूटना शामिल है। मेनोपॉज के अलावा उम्र, पारिवारिक इतिहास, तंबाकू का इस्तेमाल, थायरॉइड की समस्याएं, डायबिटीज और ऑटोइम्यून जैसी बीमारियों की वजह से भी ऑस्टियोपोरिसस हो सकता है।
क्यों रिस्क बढ़ जाता है?
एस्ट्रोजन हड्डियों में कैल्शियम जमा करके घनत्व बढ़ाने का काम करता है। जब महिलाओं को पीरियड्स होते हैं, तब एस्ट्रोजन का स्तर अधिक होता है, जिस कारण हड्डियों में मजबूती बनी रहती है। लेकिन मेनोपॉज के बाद एस्ट्रोजन का स्तर बहुत कम हो जाता है और ये ऑस्टियोपोरोसिस के रिस्क को बढ़ा देता है। मेनोपॉज 45 से 55 की उम्र के बीच शुरू होता है। इस उम्र के बाद हड्डियों के नए टिश्यू बनने कम हो जाते हैं। इसके अलावा मेनोपॉज से हार्मोंन असंतुलन भी हड्डियों के कमजोर होने का कारण बनता है।
अगर ऑस्टियोपोरोसिस पर समय रहते ध्यान न दिया जाए, तो महिलाओं के लिए रोजाना के काम करना भी दूभर हो जाता है। बार-बार फ्रैक्चर होने के कारण दर्द और हर काम के लिए अपने परिवार पर निर्भर होना मानसिक रूप से भी महिला को परेशान कर देता है। अगर इस बीमारी को अनदेखा कर दिया जाए तो निमोनिया या इंफेक्शन होने का भी खतरा बढ़ सकता है।
इसे भी: महिलाओं को क्यों होता है ऑस्टियोपोरोसिस का ज्यादा खतरा? जानें कारण और बचाव के उपाय
गंभीर समस्याओं से जूझना
अगर ऑस्टियोपोरोसिस गंभीर हो जाए, तो महिलाओें की रीढ़ की हड्डी, कुल्हे और कलाई के फ्रैक्चर ज्यादा देखने को मिलते हैं। रीढ की हड्डी में फ्रैक्चर होने से ये सिकड़ जाती है, जिसका असर हाइट पर पड़ता है। इससे महिला का आत्मविश्वास तक डगमगा जाता है।
कुल्हे में फ्रैक्चर के कारण महिला बैठने उठने तक के कामों के लिए भी परिवार पर निर्भर हो जाती है। ऐसी स्थिति में उन्हें बार-बार अस्पताल के चक्कर भी लगाने पड़ते हैं।
इसे भी: ऑस्टियोपोरोसिस से जुड़ी इन 5 भ्रामक बातों (मिथकों) पर न करें विश्वास, डॉक्टर से जानें इनकी सच्चाई
कैसे करें बचाव?
ऑस्टियोपोरोसिस से बचने के लिए महिलाओं को मेनोपॉज से पहले ही खुद पर ध्यान देना चाहिए। मज़बूत हड्डियों के लिए रोजाना ये जरूर करें।
- वजन उठाने और ताकत बढ़ाने वाली कसरत करनी चाहिए।
- वजन पर कंट्रोल रखना बहुत जरूरी है।
- कैल्शियम और विटामिन डी से युक्त संतुलित आहार लें।
- स्मोकिंग और जरूरत से ज्यादा शराब के सेवन से बचें।
- विटामिन डी के लिए रोज सूरज की रोशनी जरूर लें।
- नियमित रूप से अपनी हड्डियों के घनत्व का स्कैन जरूर कराएं।
All Image Credit: Freepik