Premenopause Perimenopause and Menopause: महिलाओं को अपने पूरे जीवनकाल में कई तरह के बदलावों से गुजरना पड़ता है। जैसे-जैसे उम्र बढ़ती है, महिलाओं के जीवन में बदलाव होने शुरू हो जाते हैं, जो कि प्राकृतिक होते हैं। महिलाओं को पीरियड्स शुरू होने से लेकर, पीरियड्स पूरी तरह बंद होने जैसे बदलावों से गुजरना पड़ता है। जब पीरियड्स पूरी तरह से आने बंद हो जाते हैं, तो इस स्थिति को मेनोपॉज कहा जाता है। लेकिन, इससे पहले महिलाओं को प्रीमेनोपॉज और पेरिमेनोपॉज जैसे फेज से गुजरना पड़ता है। महिलाओं को मेनोपॉज के प्रति जागरूक करने के लिए हर साल 18 अक्टूबर को विश्व मेनोपॉज दिवस (World Menopause Day 2024) मनाया जाता है। आइए, आज इसी मौके पर मदर्स लैप आईवीएफ सेंटर, नई दिल्ली की चिकित्सा निदेशक, स्त्री रोग और आईवीएफ विशेषज्ञ डॉ. शोभा गुप्ता से जानते हैं प्रीमेनोपॉज, पेरिमेनोपॉज और मेनोपॉज में अंतर-
प्रीमेनोपॉज क्या है?
प्रीमेनोपॉज वह स्थिति होती है, जिसमें मासिक धर्म या पीरियड्स नियमित होते हैं। यानी इसमें मेनोपॉज का कोई लक्षण नहीं होता है। इस दौरान, महिलाओं के शरीर में हार्मोन का स्तर संतुलित रहता है। साथ ही, प्रजनन प्रणाली भी सही तरीके से कार्य करती है। इस स्टेज में महिलाएं गर्भवती हो सकती हैं। इस स्थिति में अंडाशय नियमित रूप से अंडे का उत्पादन करते हैं। इस स्थिति के बाद महिलाएं पेरिमेनोपॉज स्टेज में चली जाती है।
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पेरिमेनोपॉज क्या है?
पेरिमेनोपॉज वह स्थिति है, जिसमें एक महिला के शरीर में बदलाव होने शुरू हो जाते हैं। पेरिमेनोपॉज, मेनोपॉज से कुछ साल पहले शुरू हो सकता है। इस दौरान शरीर में हार्मोनल बदलाव होने शुरू हो जाते हैं। आमतौर पर पेरिमेनोपॉज फेज 40 साल की उम्र वाली महिलाओं में शुरू हो जाता है। लेकिन, कुछ मामलों में पेरिमेनोपॉज 40 की उम्र से पहले भी शुरू हो जाता है।
आपको बता दें कि पेरिमेनोपॉज फेज में महिलाओं में हार्मोन के स्तर में उतार-चढ़ाव होता है। खासकर, एस्ट्रोजन हार्मोन का स्तर गिरने लगता है। पेरिमेनोपॉज में अनियमित पीरियड्स, हॉट फ्लैशेज, मूड में बदलाव और अनिद्रा जैसे लक्षणों का अनुभव हो सकता है। इन लक्षणों को नजरअंदाज बिलकुल नहीं करना चाहिए। इस स्थिति में पीरियड्स कम अवधि के हो सकते हैं। साथ ही, ब्लीडिंग भी कम हो सकती है। इस दौरान ओव्यूलेशन हो सकता है, इसलिए प्रेग्नेंसी संभव हो सकती है।
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मेनोपॉज क्या है?
मेनोपॉज उस स्थिति को कहा जाता है, जिसमें एक महिला को लगातार 12 महीनों तक पीरियड्स नहीं होते हैं। यानी महिला में पीरियड्स पूरी तरह से आने बंद हो जाते हैं। इस स्थिति में महिलाएं गर्भवती नहीं हो सकती हैं। आपको बता दें कि मेनोपॉज एक प्रक्रिया है, जो पेरिमेनोपॉज के बाद आता है। मेनोपॉज के दौरान भी महिलाओं को हॉट फ्लैशेज, अनिद्रा, सिरदर्द, मूड में बदलाव जैसे लक्षणों का अनुभव हो सकता है। मेनोपॉज के दौरान महिलाओं में सेक्स ड्राइव कम होने लगता है। दरअसल, इस स्थिति में एस्ट्रोजन हार्मोन का स्तर लगातार गिरने लगता है। इसकी वजह से कामेच्छा में कमी आने लगती है। मेनोपॉज के दौरान महिलाओं में ऑस्टियोपोरोसिस और हृदय रोगों का जोखिम काफी बढ़ जाता है।
प्रीमेनोपॉज एक स्थिति है, जिसमें महिलाओं को रेगुलर पीरियड्स होते हैं। अगर पेरिमेनोपॉज की बात करें, तो इस स्थिति में महिलाओं के पीरियड्स अनियमित होने शुरू हो जाते हैं। वहीं, मेनोपॉज वाली महिलाओं को पूरी तरह से पीरियड्स आने बंद हो जाते हैं।