
Weight Gain Problem in Babies: जैसे ही पैरेंट्स के हाथ में शिशु आता है, पैरेंट्स को उसके खाने-पीने, बीमारियों से लेकर हर छोटी बड़ी चीजों की चिंता होने लगती है। इसमें बच्चे का वजन कम या बढ़ना भी जुड़ा है। पैरेंट्स शिशु का वजन भी रेगुलर चेक करते हैं और अगर एक साल बीतने के बाद भी शिशु का वजन नहीं बढ़ता, तो पैरेंट्स परेशान हो जाते हैं। शिशु का एक साल की उम्र तक कितना वजन होना चाहिए और क्या वजन न बढ़ने या धीमा बढ़ने के कारणों को जानने के लिए हमने मुंबई के क्लाउडनाइन ग्रुप ऑफ हॉस्पिटल्स के नियोनेटोलॉजिस्ट और पीडियाट्रिक विभाग के सीनियर कंसल्टेंट डॉ. पीयूष शाह (Dr Piyush Shah, Senior Consultant - Neonatologist and Paediatrician, Cloudnine Group of Hospitals, Malad, Mumbai) से बात की।
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एक साल के शिशु का वजन न बढ़ने के कारण
डॉ. पीयूष कहते हैं कि सालभर तक जब शिशु का वजन सही तरीके से नहीं बढ़ता, तो पैरेंट्स के लिए यह कंडीशन काफी चिंताजनक हो जाती है, लेकिन इसके कुछ सामान्य कारण भी हो सकते हैं, जिन्हें समय पर पहचानकर ठीक किया जा सकता है।
न्यूट्रिशन की कमी
डॉ. पीयूष कहते हैं, “अक्सर वजन कम बढ़ने का कारण होता है कि शिशु ब्रेस्टफीड पूरा नहीं पी पाते या फिर कई बार मां का दूध भी कम बनता है। कई मामलों में शिशु फार्मूला मिल्क ज्यादा नहीं पचा पाते, इससे उन्हें पूरा पोषण नहीं मिल पाता। मैंने यह भी देखा है कि शिशु के 6 महीने पूरे होने के बाद भी पैरेंट्स बच्चे को दूध पर ही ज्यादा रखते हैं। उसे ठोस आहार नहीं देते या फिर काफी कम देते हैं, इससे भी बच्चे की ग्रोथ रुक सकती है। बच्चे को 6 महीने का पूरा होने के बाद उसे एक्स्ट्रा कैलोरी, आयरन, प्रोटीन और माइक्रोन्यूट्रीएंट्स की जरूरत होती है, जो सिर्फ दूध से नहीं मिल पाती। इसलिए अगर बच्चे का वजन धीरे बढ़ रहा है, तो यह जरूर देखें कि शिशु फीडिंग और ठोस आहार कितना ले रहा है।

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बार-बार इंफेक्शन होना
डॉ. पीयूष कहते हैं, “अगर शिशु को बार-बार सर्दी, खांसी, बुखार, दस्त या उल्टी होती है, तो उनकी इम्युनिटी कमजोर होने लगती है। बार-बार बीमार होने से शिशु को भूख भी कम लगती है और बीमारी में न्यूट्रिशन का इस्तेमाल ग्रोथ में मदद करने की बजाय बीमारी का इलाज में होने लगता है। दस्त या उल्टी होने पर शरीर से पानी और जरूरी मिनरल्स भी निकल जाते हैं। इसका सीधा असर वजन बढ़ने पर पड़ता है। अगर बच्चा हर कुछ हफ्ते में बीमार हो रहा है, तो पैरेंट्स को चेक रखना चाहिए कि शिशु की इम्युनिटी कम हो रही है।
डाइजेशन की समस्या
कुछ शिशुओं को डाइजेश की समस्या भी होने लगती है। कई शिशुों को लैक्टोज इनटॉलरेंस, कब्ज या गैस बनने की समस्या हो सकती है। जब शिशु का पेट ठीक नहीं होता, तो वह कम खाता है और चिड़चिड़ा हो जाता है और इससे वजन कम होने लगता है। अगर शिशु बहुत ज्यादा रोता है या बार-बार कब्ज की समस्या रहती है, तो उसके डाइजेशन कमजोर होने का रिस्क हो सकता है।
जन्म के समय वजन कम या प्रिमेच्योर बेबी होना
डॉ. पीयूष कहते हैं कि जो बच्चे समय से पहले पैदा होते हैं या जिनका जन्म के समय वजन कम होता है, उनका ग्रोथ पैटर्न भी थोड़ा अलग हो सकता है। उनका वजन बढ़ना आम बच्चों की तुलना में धीमा हो सकता है। अगर जन्म के समय वजन कम है या फिर प्रिमेच्योर है, तो उन शिशुओं को देखभाल की ज्यादा जरूरत होती है, मां को उसकी फीडिंग का ध्यान रखना चाहिए और डॉक्टर से रेगुलर मॉनिटरिंग करानी चाहिए। पैरेंट्स को घबराने की जरूरत नहीं होती, उनकी ग्रोथ धीरे-धीरे बढ़ने लग जाती है।
फैमिली हिस्ट्री
कई मामलों में बच्चों का वजन कम रहने के पीछे कोई बीमारी या न्यूट्रिशन की कमी नहीं होती, बल्कि उनके परिवार में ही यह होता है। अगर शिशु के पैरेंट्स दुबले-पतले हैं, तो शिशु का वजन भी कम हो सकता है। ऐसे में पैरेंट्स को यह देखना चाहिए कि शिशु एक्टिव है या नहीं, उसकी लंबाई ठीक से बढ़ रही है या नहीं और उसकी भूख कैसी है। अगर ये सब फैक्टर्स सही है, तो घबराने की कोई जरूरत नहीं होती।
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किसी बीमारी का होना
डॉ. पीयूष कहते हैं, “कुछ बच्चों को जन्म के समय या बाद में कुछ मेडिकल कंडीशन्स जैसे कि थायरॉयड की समस्या, एनीमिया, सीलिएक की बीमारी या मेटाबॉलिक डिसऑर्डर हो सकती है। इन बीमारियों के कारण भी बच्चों का वजन कम हो सकता है। अगर कोई ऐसी मेडिकल कंडीशन होती है, तो पैरेंट्स को डॉक्टर की सलाह जरूर लेनी चाहिए।”
फीडिंग पैटर्न की समस्या
डॉ. पीयूष ने बताया कि कई बार पैरेंट्स यह समझ ही नहीं पाते कि शिशु ने कितना और कितनी बार फीड लिया है। कुछ बच्चे बार-बार दूध पीते हैं, लेकिन हर बार बहुत कम मात्रा में लेते हैं, तो कुछ शिशु रात में लंबे समय तक सो जाते हैं और फीडिंग गैप बहुत बढ़ जाता है। इससे भी शिशुओं का वजन कम होने लगता है। अगर पैरेंट्स सही फीडिंग रूटीन फॉलो करें, तो इससे वजन बढ़ाने में मदद मिलती है।
निष्कर्ष
डॉ. पीयूष कहते हैं कि बच्चे की ग्रोथ चार्ट हमेशा बनाए और 6 महीने बाद उसे ठोस आहार खिलाना जरूर शुरू करें। शिशुओं को दाल, खिचड़ी, केला, दही, घी, पनीर और नरम मौसमी फल जरूर खिलाएं। इससे बच्चे का न्यूट्रिशन लेवल बढ़ता है और साथ ही बच्चों की साफ-सफाई का खास ख्याल रखें। अगर बच्चे का जन्म से ही वजन कम है, तो समय-समय पर डॉक्टर से सलाह जरूर लें।
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Nov 20, 2025 07:05 IST
Published By : Aneesh Rawat