Craving During Perimenopause: जैसे-जैसे महिलाएं 40 की उम्र पार करने लगती हैं, उनके शरीर में भी बदलाव होने शुरू हो जाते हैं। उम्र के पड़ाव के साथ वे मेनोपॉज की तरफ बढ़ने लगती हैं। WHO के अनुसार, महिलाओं में मेनोपॉज की उम्र 45 से 55 साल की होती है और मेनोपॉज से पहले के पड़ाव को पेरिमेनोपॉज कहते हैं। कई मामलों में पेरिमेनोपॉज 4 से 8 साल तक चलता रहता है और इस दौर में महिलाओं के हार्मोनल बदलाव काफी तेज हो जाते हैं। इस वजह से वजाइना में सूखापन, चिड़चिड़ापन, थकान, हॉट फ्लैशस और सोने में दिक्कत (symptoms of menopause) होने लगती हैं। पेरिमेनोपॉज के इस पड़ाव में कई महिलाओं को बहुत ज्यादा क्रेविंग भी होने लगती है, जैसेकि एक ही चीज को बार बार खाने की इच्छा होना। महिलाओं में इस तरह के लक्षण क्यों होते हैं, जानने के लिए हमने नई दिल्ली के क्लाउडनाइन हॉस्पिटल्स के स्त्रीरोग विशेषज्ञ विभाग की सीनियर कंसल्टेंट डॉ. साधना सिंघल विश्नोई (Dr. Sadhna Singhal Vishnoi, Senior Consultant – Obstetrics and Gynecology, Cloudnine Group of Hospitals, New Delhi, Punjabi Bagh) से बात की और उन्होंने इसे मैनेज करने के तरीके भी बताए। पहले जानते हैं कि क्रेविंग होने की वजह क्या है?
पेरिमेनोपॉज में क्यों होती है क्रेविंग? - Craving During Perimenopause in Hindi
इस बारे में डॉ. साधना कहती हैं कि इसके होने के कई कारण हैं, जिसे डॉक्टर से मिलकर जाना जा सकता है। नीचे कुछ खास वजहें बताई है, जो आमतौर पर महिलाओं में देखने को मिलती हैं।
- हार्मोनल असंतुलन – पेरिमेनोपॉज में एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन हार्मोन के स्तर कम ज्यादा होता रहता है। अगर एस्ट्रोजन में कमी आने लग जाए तो सेरोटोनिन का स्तर गिर जाता है। इससे मूड स्विंग्स और मीठा खाने की क्रेविंग बढ़ जाती है।
- स्ट्रेस - इस दौर में महिलाओं में बहुत ज्यादा चिड़चिड़ापन, चिंता और डिप्रेशन देखने को मिलता है। इससे बचने के लिए महिलाएं चॉकलेट, मिठाई या तली-भुनी चीजों को खाना पसंद करने लगती है। ये फूड उन्हें आराम दिलाता है।
- नींद की कमी – पेरिमेनोपॉज में हॉट फ्लैशेज और नींद न आना बहुत आम है। जब महिलाओं की नींद पूरी नहीं होती, तो उनमें घ्रलिन हार्मोन बढ़ने लगता है। ये हार्मोन भूख बढ़ाने का काम करता है। इसके उलट लेप्टिन हार्मोन कम होने लगता है। लेप्टिन हार्मोन पेट भरे होने का संकेत देता है और जब ये कम होने लगता है तो महिलाओं की क्रेविंग बढ़ जाती है।
- एनर्जी की कमी – इस दौर में महिलाओं का मेटाबॉल्जिम कम होने लगता है और इस वजह से उन्हें एनर्जी की कमी महसूस होती है। एनर्जी बढ़ाने के लिए दिमाग शुगर और कार्बोहाइड्रेट खाने की तलब जगाता है। इस वजह से महिलाएं खाने को लेकर क्रेविंग महसूस करती हैं।
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क्या यह मेनोपॉज के शुरुआती संकेत हैं? - Are These Early Signs of Menopause in Hindi
डॉ. साधना कहती हैं, “बिल्कुल क्रेविंग होना मेनोपॉज का शुरुआती लक्षण होता है। अगर क्रेविंग्स बहुत ज्यादा हो और वजन तेजी से बढ़ रहा हो तो शरीर मेनोपॉज के ट्रांजिशन से गुजर रहा है। इसके अलावा भी कई लक्षणों पर महिलाओं को ध्यान देना चाहिए, जिससे मेनोपॉज का पता चल सके।”
- पीरियड्स का अनियमित होना
- हॉट फ्लैशेज और नाइट स्वेट्स
- नींद की समस्या
- मूड स्विंग्स
- थकान और ध्यान न लगना
पेरिमेनोपॉज में क्रेविंग्स को कैसे करें मैनेज? - How To Manage Craving During Perimenopause in Hindi
डॉ. साधना अनुसार, क्रेविंग्स को मैनेज करना आसान है, बस महिलाओं को अपने लाइफस्टाइल में कुछ बदलाव लाने की जरूरत है।
- संतुलित आहार लें – महिलाओं को प्रोटीन, फाइबर और हेल्दी फैट्स से भरपूर आहार लेना चाहिए, जैसेकि दाल, फल, सब्जियां, नट्स, बीज और साबुत अनाज आदि। इससे पेट लंबे समय तक भरा रहता है और क्रेविंग कम होती है।
- मीठा और जंक फूड सीमित रखें - आमतौर पर महिलाएं एकदम से मीठा या जंक फूड बंद कर देती हैं। इसे वे कुछ समय तक ही लिमिट कर पाती हैं और वे फिर से खाना शुरू कर देती हैं। इसलिए मैं हमेशा महिलाओं को धीरे-धीरे मीठा और तली-भुनी चीजें कम करने की सलाह देती हूं। इसकी बजाय हेल्दी स्नैक्स चुनें जैसेकि गुड़, खजूर, डार्क चॉकलेट या भुने हुए चने लेकिन ध्यान रखें कि यह सब भी लिमिट में ही लें।
- रोजाना एक्सरसाइज करें - इस पड़ाव में महिलाओं को रोजाना कसरत करनी चाहिए। कसरत करने से सेरोटोनिन और एंडोर्फिन हार्मोन बढ़ते हैं। इससे मूड अच्छा होता है और अनहेल्दी क्रेविंग्स पर कंट्रोल रहता है।
- स्ट्रेस कम करें - तनाव को कम करने के लिए महिलाओं को योग, मेडिटेशन और डीप ब्रीदिंग करनी चाहिए। इससे महिलाएं इमोशनल इटिंग से बचती हैं।
- अच्छी नींद लें – महिलाओं को अपने सोने का समय तय करना चाहिए और स्लीप हाइजीन का ध्यान रखें। जब महिलाओं की नींद पूरी जाती हैं तो हार्मोन बैलेंस रहते हैं।
- पानी पिएं – महिलाएं कई बार प्यास को भूख समझने लगती हैं, और खाना खा लेती हैं। इससे वजन बढ़ने लगता है। इसलिए प्रचुर मात्रा में पानी पीना चाहिए और इससे क्रेविंग्स भी कम हो जाती है।
- डॉक्टर की सलाह लें - लाइफस्टाइल में बदलाव करने के लिए डॉक्टर से मिलें ताकि सही जानकारी की मदद से क्रेविंग के साथ-साथ वजन भी कम किया जा सके।
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निष्कर्ष
डॉ. साधना के मुताबिक पेरिमेनोपॉज के दौर में क्रेविंग्स होना बहुत ही सामान्य बात है, लेकिन इसे मैनेज करना भी उतना ही महत्वपूर्ण है। इसलिए लक्षणों को समझना और जीवनशैली में बदलाव करना बहुत जरूरी है। अगर क्रेविंग्स पर कंट्रोल न हो रहा हो और वजन में बढ़ोतरी हो तो डॉक्टर से मिलकर इसका समय पर समाधान करना चाहिए ताकि आने वाली किसी भी गंभीर बीमारी से बचा जा सके।