पेरिमेनोपॉज फेज में महिलाओं के शरीर में कम होने लगता है इन 2 हार्मोन्स का स्तर, जानें इस दौरान होने वाले बदलाव

पेरिमेनोपॉज फेज में अंडाशय हार्मोन्स का उत्पादन कम करना शुरू कर देता है। आइए, जानते हैं इस फेज में कौन-से हार्मोन्स का स्तर कम हो जाता है। 
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पेरिमेनोपॉज फेज में महिलाओं के शरीर में कम होने लगता है इन 2 हार्मोन्स का स्तर, जानें इस दौरान होने वाले बदलाव


Which Hormones Levels Decrease in Perimenopause: महिलाओं को अपने जीवन में कई तरह के शारीरिक बदलावों से गुजरना पड़ता है। महिलाओं को पेरिमेनोपॉज फेज से भी गुजरना पड़ता है। यह एक ऐसी स्थिति है, जिसमें महिलाओं में पीरियड्स अनियमित होना शुरू हो जाते हैं। महिलाओं में यह फेज कुछ सालों तक चल सकता है। इसके बाद मेनोपॉज फेज शुरू हो जाता है। पेरिमेनोपॉज के दौरान महिलाओं के शरीर में कई बदलाव होते हैं। इस दौरान अंडाशय हार्मोन्स का उत्पादन कम करना शुरू कर देता है। इसकी वजह से पेरिमेनोपॉज फेज में महिलाओं के शरीर में हार्मोन्स का स्तर गिरने लगता है। आइए, जानते हैं पेरिमेनोपॉज फेज में कौन-से हार्मोन्स का स्तर कम हो जाता है। 

पेरिमेनोपॉज में कौन-से हार्मोन्स का स्तर कम हो जाता है?

पेरिमेनोपॉज के दौरान एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन जैसे हार्मोन्स का स्तर कम हो जाता है। अगर आप भी इस फेज में हैं, तो आपके शरीर में इन हार्मोन्स का लेवल धीरे-धीरे कम हो सकता है। 

estrogen hormones

1. एस्ट्रोजन हार्मोन

पेरिमेनोपॉज के दौरान महिलाओं के शरीर में एस्ट्रोजन हार्मोन का स्तर धीरे-धीरे कम हो जाता है। जब कोई महिला पेरिमेनोपॉज फेज में आ जाती है, तो उसके शरीर में एस्ट्रोजन हामोन का स्तर कम हो जाता है। पेरिमेनोपॉज के दौरान एस्ट्रोजन का स्तर धीरे-धीरे कम होना शुरू होता है और मेनोपॉज फेज तक काफी गिरावट आ जाती है।

2. प्रोजेस्टेरोन हार्मोन

पेरिमेनोपॉज के दौरान महिलाओं के शरीर में प्रोजेस्टेरोन हार्मोन का स्तर भी कम होने लगता है। जब कोई महिला पेरिमेनोपॉज फेज में आती है, तो उसके शरीर में एस्ट्रोजन हार्मोन के साथ ही, प्रोजेस्टेरोन हार्मोन का स्तर भी कम होने लगता है। आपको बता दें कि प्रोजेस्टेरोन हार्मोन रिप्रोडक्टिव हेल्थ के लिए बहुत जरूरी होता है। जब शरीर में प्रोजेस्टेरोन हार्मोन की कमी होती है, तो पीरियड्स अनियमित हो जाते हैं। प्रोजेस्टेरोन हार्मोन कम होने पर महिलाएं गर्भवती हो सकती हैं, लेकिन इसकी संभावना कम हो सकती है।

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पेरिमेनोपॉज के दौरान हार्मोन्स का स्तर गिरने से होने वाली समस्याएं

पेरिमेनोपॉज के दौरान एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन हार्मोन्स का स्तर कम होने लगता है। इसकी वजह से महिलाओं को कई तरह के शारीरिक और मानसिक बदलावों का सामना करना पड़ता है।

  • पेरिमेनोपॉज के दौरान महिलाओं को हॉट फ्लैशेज की समस्या से परेशान होना पड़ता है।
  • इस दौरान पीरियड्स अनियमित होने लगते हैं। साथ ही, स्तनों में भी कोमलता आ जाती है। 
  • पेरिमेनोपॉज फेज में हार्मोनल बदलाव की वजह से यौन इच्छा में भी कमी हो सकती है। इस फेज में वजाइन ड्राइनेस से जूझना पड़ता है, जिससे शारीरिक संबंध बनाने के दौरान असुविधा हो सकती है। 

  • इस दौरान महिलाओं को अनिद्रा की समस्या का सामना करना पड़ सकता है। यह हार्मोनल बदलाव के कारण हो सकता है।
  • पेरिमेनोपॉज के दौरान एस्ट्रोजन स्तर में कमी होने की वजह से पेशाब से जुड़ी समस्याएं भी हो सकती हैं।
  • पेरिमेनोपॉज के दौरान महिलाओं को हड्डियों से जुड़ी समस्याएं हो सकती है। दरअसल, इस फेज में हड्डियों का घनत्व कम हो जाता है। इसकी वजह से ऑस्टियोपोरोसिस का जोखिम बढ़ सकता है। 

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