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पेरिमेनोपॉज के बाद महिलाओं को हो सकती है ब्लैडर से जुड़ी समस्या, जानें इन दोनों के बीच का कनेक्शन

महिलाओं के शरीर में समय के साथ कई तरह के बदलाव देखने को मिलते हैं। पेरिमेनोपॉज में कुछ महिलाओं बार-बार यूरिन जानें की समस्या हो सकती है। आगे जानते हैं कि पेरिमेनोपॉज और ओवरएक्टिव ब्लैडर के बीच क्या संबंध हो सकता है?
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पेरिमेनोपॉज के बाद महिलाओं को हो सकती है ब्लैडर से जुड़ी समस्या, जानें इन दोनों के बीच का कनेक्शन


समय के साथ महिलाओं की प्रजनन क्षमता में बदलाव आने लगता है। हर महिला में एक निश्चित उम्र के बाद मेंस्ट्रुअल साइकिल धीरे-धीरे कम होने लगती है। इसके पूर्ण रुप से बंद होने से ठीक पहले की स्थिति को पेरिमेनोपॉज कहा जाता है। हर महिला में पेरिमेनोपॉज का समय अलग-अलग हो सकता है, जो कुछ महिनों से वर्षों तक हो सकता है। लेकिन, सामान्य रूप से 40 से 50 उम्र के बीच महिला को इस फेज से गुजरना पड़ता है। इस स्थिति में महिलाओं के शरीर में एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन हार्मोन के स्तर में उतार-चढ़ाव आता है, इसकी वजह से महिलाओं को कई तरह के लक्षण महसूस हो सकते हैं। इसमें पीरियड साइकिल का अनियमित होना, गर्मी लगना, महिलाओं के मूड में बदलाव और नींद से जुड़ी समस्या हो सकती है। जबकि, कुछ महिलाओं को बार-बार यूरिन पास करने की समस्या का सामना करना पड़ता है। इस लेख में साईं पॉलीक्लीनिक की सीनियर गाइनाक्लॉजिस्ट डॉ. विभा बंसल से जानते हैं कि पेरिमेनोपॉज और ओवरएक्टिव ब्लैडर के बीच क्या कनेक्शन होता है?

पेरिमेनोपॉज और ओवरएक्टिव ब्लैडर के बीच संबंध - Connection Between Perimenopause And Overactive Bladder In Hindi

हार्मोनल असंतुलन

पेरिमेनोपॉज के दौरान एस्ट्रोजन का स्तर कम होने लगता है, जिससे ब्लैडर और ब्लैडर की मांसपेशियों पर प्रभाव पड़ता है। एस्ट्रोजन, ब्लैडर की लाइनिंग को मजबूत और लचीला बनाए रखता है। जब इसका स्तर कम हो जाता है, तो ब्लैडर की क्षमता कम हो जाती है और बार-बार पेशाब करने की समस्या उत्पन्न हो सकती है।

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ब्लैडर की मांसपेशियों की कमजोरी

हार्मोनल परिवर्तनों के कारण ब्लैडर की दीवारें कमजोर हो सकती हैं, जिससे यूरिन को रोकने की क्षमता कम हो जाती है। यह ओवरएक्टिव ब्लैडर का एक मुख्य कारण हो सकता है।

यूरेथ्रा (Urethra) की लाइनिंग पतली होना

एस्ट्रोजन की कमी के कारण यूरेथ्रा की लाइनिंग (दीवार) पतली और कमजोर हो सकती हैं, जिससे यूरिन को नियंत्रित करना कठिन हो जाता है और पेशाब बार-बार आने की समस्या हो सकती है।

पेल्विक फ्लोर की मांसपेशियों का कमजोर होना

पेरिमेनोपॉज के दौरान, महिलाओं की पेल्विक फ्लोर मसल्स (Pelvic Floor Muscles) कमजोर हो जाती हैं, जिससे ब्लैडर पर नियंत्रण कम हो जाता है। इससे यूरिन लिकेज (Urinary Leakage) की संभावना बढ़ जाती है।

यूटीआई (Urinary Tract Infection - UTI)

पेरिमेनोपॉज के दौरान ब्लैडर की लाइनिंग पतली और संवेदनशील हो जाती हैं, जिससे यूरिनरी ट्रैक्ट इंफेक्शन (UTI) का खतरा बढ़ जाता है। लगातार संक्रमण भी ओवरएक्टिव ब्लैडर का कारण बन सकता है।

ओवरएक्टिव ब्लैडर से बचाव कैसे करें?

मेनोपॉज शुरु होने से पहले महिलाओं को ब्लैडर से जुड़ी समस्या हो सकती है। इससे बचने के लिए महिलाओं को आगे बताए उपायों को अपनाना चाहिए।

  • कैफीन और शराब का सेवन नियंत्रित मात्रा में करें।
  • पर्याप्त मात्रा में पानी पिएं।
  • पेल्विक फ्लोर को मजबूत बनाने के लिए किगल एक्सरसाइज का अभ्यास करें।
  • अधिक वजन पेल्विक फ्लोर की मांसपेशियों पर अतिरिक्त दबाव डाल सकता है, जिससे समस्या बढ़ सकती है।
  • कुछ मामलो में हॉर्मोन रिप्लेसमेंट थेरेपी से भी मदद मिल सकती है।

इसे भी पढ़ें: पेरिमेनोपॉज क्या है? जानें इसके लक्षण, कारण और इलाज

पेरिमेनोपॉज और ओवरएक्टिव ब्लैडर के बीच गहरा संबंध है, और हार्मोनल असंतुलन इसका मुख्य कारण है। हालांकि, सही आहार, व्यायाम और जीवनशैली में बदलाव करके इस समस्या को काफी हद तक नियंत्रित किया जा सकता है। इस दौरान समस्या अधिक हो रही है तो ऐसे में आप तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।

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