Can Low Estrogen Cause Bladder Issues In Hindi: महिलाओं में समय-समय पर एस्ट्रोजन का स्तर प्रभावित होता रहता है यानी लो एस्ट्रोजन की समस्या हो जाती है। इसके पीछे कई तरह के कारण हो सकते हैं, जैसे पीरियड्स, प्रेग्नेंसी और मेनोपॉज। ये तीनों ऐसी स्थितियां हैं, जिसमें एस्ट्रोजन के स्तर में भारी बदलाव नजर आता है। यह बात आप जानते ही होंगे कि एस्ट्रोजन का स्तर (Low Estrogen In Hindi) कम होने पर महिलाओं को कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है। यहां तक कि लो एस्ट्रोजन की वजह से मूत्राशय से जुड़ी समस्या हो सकती है। सवाल है, यह किस तरह की समस्या है, इसके क्या कारण हैं और इसके इलाज किस तरह किया जा सकता है। इस संबंध में विस्तार से इस लेख में आगे जानेंगे। इस बारे में जानने के लिए हमने Mumma's Blessing IVF और वृंदावन स्थित Birthing Paradise की Medical Director and IVF Specialist डॉ. शोभा गुप्ता से बात की।
क्या लो एस्ट्रोजन के कारण ब्लैडर से जुड़ी परेशानी हो सकती है?- Can Low Estrogen Cause Bladder Issues In Hindi
एस्ट्रोजन का स्तर कम (Low Estrogen In Hindi) होने पर महिलाओं को कई दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। इसमें हेयर फॉल, स्किन ड्राइनेस जैसी परेशानियां तो होती ही हैं। इसके साथ ही, ब्लैडर यानी मूत्राशय से जुड़ी प्रॉब्लम भी होती है। विशेषज्ञों के अनुसार, ‘जब लो एस्ट्रोजन की प्रॉब्लम होने लगती है, तो महिला को बार-बार पेशाब से जुड़ी दिक्कत हो सकती है, उन्हें पेशाब के दौरान दर्द का अहसास हो सकता है और ब्लैडर ओवर एक्टिव भी हो सकता है।
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लो एस्ट्रोजन ब्लैडर के लक्षण
एस्ट्रोजन की कमी (Low Estrogen In Hindi) होने पर कुछ लक्षण नजर आ सकते हैं, जैसे-
- वजाइनल पेन, इचिंग और जलन
- यौन संबंध बनाते हुए दर्द होना
- यौन संबंध बनाने के बाद ब्लीडिंग होना
- बार-बार पेशाब आना
- पेशाब करने के दौरान दर्द होना
- बार-बार यूरिन इंफेक्शन होना
लो एस्ट्रोजन होने पर ब्लैडर से जुड़ी प्रॉब्लम क्यों होती है?
लो एस्ट्रोजन (Low Estrogen In Hindi) होने के कारण वजाइना के पास मौजूद टिश्यूज प्रभावित होते हैं। उनमें थिनिंग की दिक्कत नजर आती है, जिस वजह से वजाइना की इलास्टिसिटी पर नेगेटिव असर पड़ने लगता है। अगर वजाइना की इलास्टिसिटी और स्ट्रेंथ कमजोर होने लगती है, तो मांसपेशियों वीक हो जाती हैं। ऐसे में ब्लैडर मसल्स भी यूरिन को लंबे समय तक रोकने में असफल होती है। हालांकि, कभी-कभी सिर्फ एस्ट्रोजन के स्तर में कमी ही उक्त समस्याओं का कारण नहीं होती हैं। इसके साथ-साथ कई अन्य परेशानियां भी होती हैं, जैसे नर्व डैमेज, स्पाइनल कॉर्ड इंजुरी, मोटापा भी ब्लैडर से जुड़ी प्रॉब्लम का कारण हो सकते हैं। यहां तक कि ब्रेस्टफीडिंग और प्रेग्नेंसी में भी ब्लैडर से जुड़ी परेशानी देखने को मिलती है।
लो एस्ट्रोजन ब्लैडर का ट्रीटमेंट
अगर लो एस्ट्रोजन (Low Estrogen In Hindi) की वजह से ब्लैडर से जुड़ी प्रॉब्लम हो रही है, तो इसकी अनदेखी न करें। बेहतर होगा कि आप जल्द से जल्द अपना ट्रीटमेंट करवाएं। इसके लिए कई तरह के ट्रीटमेंट अपनाए जाते हैं, जैसे-
- हार्मोनल रिप्लेसमेंट थेरेपी की जाती है। इसकी मदद से एस्ट्रोजन के स्तर को बैलेंस करने की कोशिश की जाती है।
- फिजिकल थेरेपी की मदद से भी एस्ट्रोजन के स्तर को संतुलित करने की कोशिश की जा सकती है।
- जो महिलाएं लो एस्ट्रोजन (Low Estrogen In Hindi) के कारण ब्लैडर से संबंधित समस्या से जूझ रही हैं, उन्हें यूरिन हैबिट्स में सुधार करने की सलाह दी जाती है।
- कुछ माममलों में एस्ट्रोजन का स्तर कम होने पर सर्जरी करने की सलाह भी दी जाती है। हालांकि, कब कर सकते हैं, इस बारे में आपको डॉक्टर सही सलाह दे सकते हैं।
FAQ
एस्ट्रोजन कम होने पर क्या होता है?
एस्ट्रोजन बहुत उपयोगी हार्मोन है। यह मुख्य रूप से महिलाओं में अधिक मात्रा में पाया जाता है। एस्ट्रोजन हड्डियों को भी मजबूती देने का काम करता है। अगर किसी वजह से शरीर में एस्ट्रोजन की कमी हो जाती है, तो कई तरह की बीमारियां हो सकती हैं, जैसे ऑस्टियोपोरोसिस, वजाइनल ड्राइनसे, हॉट फ्लैशेज, मूड स्विंग आदि।क्या एस्ट्रोजन की कमी से पेशाब में खून आ सकता है?
हां, यह सच है कि एस्ट्रोजन क कमी होने पर पेशाब में खून आ सकता है। हालांकि, ऐसा मेनोपॉज के बाद अधिक देखने को मिलता है। लेकिन, अगर आपको पेशाब के दौरान खून आने की समस्या हो, तो बेहतर है कि आप डॉक्टर के पास जाएं। कारण जानकर सही ट्रीटमेंट करवाएं।क्या खाने से एस्ट्रोजन बढ़ता है?
एस्ट्रोजन का स्तर बढ़ाने के लिए पोषक तत्वों से भरपूर डाइट लेनी चाहिए, जैसे सोया प्रोडक्ट्स, अलसी, तिल, चना, मसूर की दाल आदि। साथ ही, डाइट में मौसमी फलों को भी शामिल करना चाहिए।