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शिशुओं को भी हो सकती डिहाइड्रेशन की दिक्कत, डॉक्टर से जानें पैरेंट्स ऐसे में क्या करें

How To Manage Dehydration In Infants In Hindi: शिशुओं को भी गर्मियों में डिहाइड्रेशन की दिक्कत हो सकती है। ऐसे में पैरेंट्स को सतर्कता बरतनी चाहिए। जानें, इस स्थिति में आपको क्या करना चाहिए-
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शिशुओं को भी हो सकती डिहाइड्रेशन की दिक्कत, डॉक्टर से जानें पैरेंट्स ऐसे में क्या करें


How To Treat Dehydration In Infants In Hindi: गर्मी का मौसम शुरू हो गया है। अपने कई विशेषज्ञों को यह सलाह देते सुना होगा कि इन दिनों हीट स्ट्रोक का जोखिम बहुत ज्यादा है। इससे बचने के लिए आवश्यक है कि आप ज्यादा से ज्यादा पानी पिएं और हाइड्रेट रहने के लिए फ्लूइड इनटेक बढ़ाएं। ध्यान रखें कि इन दिनों डिहाइड्रेशन की परेशानी होने का खतरा काफी होता है। ऐसे में पैरेंट्स भी अपने शिशुओं के स्वास्थ्य को लेकर परेशान रहते हैं। हालांकि, ज्यादातर पैरेंट्स इस बात से अनजान हैं कि शिशुओं को भी गर्मी के मौसम में डिहाइड्रेशन की दिक्कत हो सकती है। सवाल है, ऐसे में पैरेंट्स को क्या करना चाहिए? आइए, जानते हैं दिल्ली स्थित जिविशा क्लिनिक में  Pediatrician डॉ. अंकित गुप्ता से।

शिशु डिहाइड्रेट क्यों होते हैं?- Causes Of Dehydration In Infants In Hindi

डिहाइड्रेशन का मतलब होता है कि शरीर में पर्याप्त मात्रा में पानी या फ्लूइड नहीं है। बॉडी में पर्याप्त पानी नहीं होने के शरीर सही तरह से काम नहीं कर पाता है, जिससे कई संभावित बीमारियों का जोखिम बढ़ जाता है। डिहाइड्रेशन के मुख्य लक्षणों में से सिर घूमना, थकान, बार-बार प्यास लगना, सिर भारी होना। कुछ गंभीर मामलों में बेहोशी भी छा सकती है। बहरहाल, शिशुओं में भी डिहाइड्रेशन की दिक्कत हो सकती है। ऐसा तब होता है, जब शिशु को पर्याप्त मात्रा में फ्लूइड का सेवन नहीं करता है या शरीर से ज्यादा मात्रा में फ्लूइड निकलने पर। वहीं, अगर बच्चे में दोनों चीजें एक साथ होने लगे यानी फ्लूइड कम ले और उसके निकलने की फ्रिक्वेंसी ज्यादा हो। ऐसे में बच्चे को डायरिया, उल्टी, बुखार और बहुत ज्यादा पसीना आने की समस्या हो सकती है।

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शिशु डिहाइड्रेट हो तो पैरेंट्स क्या करें- Bacche Ko Dehydration Ho Jaye To Kya Karen

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ब्रेस्टफीड अधिक कराएं

अगर बच्चा 6 माह से कम उम्र का है, तो इस स्थिति में शिशु को बाहरी कोई भी चीज खाने या पीने के लिए नहीं दिया जाना चाहिए। यह शिशु के स्वास्थ्य के लिए सही नहीं है। ऐसी स्थिति में ब्रेस्टफीड करा रही मांएं शिशु को ज्यादा से ज्यादा स्तनपान कराएं। आप जितना ज्यादा स्तनपान कराएंगी, उसकी बॉडी उतनी ज्यादा हाइड्रेट होती चली जाएगी। उससे उसके शरीर को जरूरी पोषक तत्व भी मिलेंगे, जिससे उसके खराब स्वास्थ्य में भी सुधार होगा।

ओआरएस पिलाएं

अगर आपका शिशु 6 माह से ज्यादा उम्र का है। ऐसे में आप शिशु को फॉर्मूला पिला रही हैं, तो उसके बजाय उसे ओआरएस का घोल बनाकर पीने के लिए दें। इससे शरीर में फ्लूइड इनटेक बढ़ेगा। हालांकि, ऐसा शुरुआती 12 घंटे में करें। इसके बाद आप उसे थोड़ा-थोड़ा करके फॉर्मूला मिल्का पिला सकती हैं। जैसे-जैसे फ्लूइड इनटेक बेहतर होगा, उसकी बॉडी भी हाइड्रेट होती चली जाएगी। शिशु को कटोरी चम्मच की मदद से ओआरएस का घोल दें। ऐसा कुछ-कुछ समय के अंतराल में करें।

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डाइल्यूट जूस पिलाएं

अगर आपको शिशु 6 माह से ज्यादा है, तो उसे आप डाइल्यूट किया हुआ जूस पिला सकते हैं। इसके साथ ही थोड़ी-थोड़ी देर में पानी पिलाना भी लाभकारी होता है। हां, इस दौरान शिशु को किसी भी तरह का सोडा, स्पोर्ट्स ड्रिंक पीने के लिए न दें। इससे उसका स्वास्थ्य बिगड़ सकता है। ध्यान रखें कि सोडा या स्पोर्ट्स ड्रिंक में आर्टिफिशियल स्वीटनर होता है, जिससे डिहाइड्रेशन के लक्षण और भी बिगड़ सकते हैं।

डॉक्टर के पास जाएं

अगर आपका शिशु 6 माह से कम उम्र का है, तो ऐसी स्थिति में जरूरी है कि आप डॉक्टर के पास जाएं। उसे घर में ट्रीटमेंट देने की कोशिश न करें। हालांकि, सिर्फ ब्रेस्टफील्क ही 6 माह से कम उम्र के शिशुओं के लिए पर्याप्त होता है। अगर शिशु को डिहाइड्रेशन के साथ-साथ पेशाब कम आ रहा है, कमजोरी महसूस कर रहा है और अन्य तकलीफें हो रही हैं। ये सभी सही संकेत नहीं है। इस तरह की स्थिति में जरूरी है कि आप उसे तुरंत डॉक्टर के पास ले जाएं। वहीं, अगर बच्चा 6 माह से ज्यादा उम्र का है, तो भी अगर लक्षण बिगड़ते हुए नजर आएं, तो डॉक्टर से संपर्क करें।

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शिशु को डिहाइड्रेशन होने पर पैरेंट्स क्या न करें

  1. 6 माह से कम उम्र के शिशु को सादा पानी पिलाने से बचें।
  2. शिशु को स्पोर्ट्स ड्रिंक या सोडा बिल्कुल न दें।
  3. शिशु का स्वास्थ्य खराब हो रहा है, तो खुद उसका इलाज करने की कोशिश न करें।

All Image Credit: Freepik

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