Daily routines of breastfeeding mothers: मां बनने के बाद महिला के जीवन में बहुत से बदलाव आते हैं। शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक रूप से वह एक नई यात्रा शुरू करती है। इस नई जिम्मेदारी में सबसे अहम भूमिका होती है ब्रेस्टफीडिंग (स्तनपान)। आयुर्वेद के अनुसार, स्तनपान न केवल शिशु के लिए अमृत के समान है, बल्कि यह मां के स्वास्थ्य के लिए भी लाभकारी है। परंतु स्तनपान कराने वाली महिलाओं के लिए सही दिनचर्या, संतुलित आहार और कुछ जरूरी परहेजों का पालन करना सबसे ज्यादा जरूरी होता है।
दिल्ली की आशा आयुर्वेदा की डायरेक्टर और स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ. चंचल शर्मा का कहना है कि स्तनपान कराने वाली महिलाएं सही दिनचर्या को अपनाएं तो इससे मां और शिशु दोनों को फायदा मिलता है।
स्तनपान पर क्या कहता है आयुर्वेद- What does Ayurveda say about breastfeeding?
डॉ. चंचल शर्मा का कहना है कि आयुर्वेद में स्तनपान को "प्राकृतिक कर्तव्य" माना गया है। स्तनपान न केवल शिशु के पोषण का प्रथम और सर्वोत्तम स्रोत है, बल्कि नई मां को भी कई तरीके से फायदा पहुंचाता है। आयुर्वेदिक डॉक्टर का कहना है कि जन्म के बाद कम से कम 6 महीने तक शिशु को सिर्फ मां का ही दूध (स्तनपान) ही देना चाहिए।
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स्तनपान कराने वाली महिलाओं की दिनचर्या कैसी होनी चाहिए- What should be the daily routine of breastfeeding women
डॉ. चंचल शर्मा बताती हैं कि स्तनपान कराने वाली महिलाओं के लिए दिनचर्या का पालन विशेष रूप से महत्वपूर्ण होता है क्योंकि उनका शरीर डिलीवरी के बाद थका होता है और साथ ही उन्हें शिशु के पोषण की जिम्मेदारी भी उठानी होती है। इस नाजुक दौर में महिलाएं सही खानपान और दिनचर्या का पालन करें, तो इससे शिशु को कई प्रकार से फायदा मिलता है।
ब्रह्म मुहूर्त में जागें: सुबह 4 से 6 बजे का समय ब्रह्म मुहूर्त माना जाता है। आयुर्वेद के अनुसार, यह समय वात और सत्वगुण प्रधान होता है। ब्रह्म मुहूर्त में जागने से नई मां को मानसिक शांति मिलती है।
हल्का गुनगुना पानी पीएं: स्तनपान के दौरान सुबह खाली पेट हल्का गुनगुना पानी पीने से कब्ज दूर होता है और पाचन शक्ति सुधरती है।
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योग : डिलीवरी के 45 दिनों के बाद महिलाएं हल्के योगासनों जैसे भुजंगासन, वज्रासन, बालासन, ताड़ासन करें। इससे शरीर की रिकवरी तेज होती है।
अभ्यंग: योग के बाद नहाएं। सुबह नहाने के बाद के तिल का तेल या नारियल तेल से पूरे शरीर की हल्की मालिश करें। इससे थकान दूर होती है, त्वचा को पोषण मिलता है और स्तनों में दूध उत्पादन भी बढ़ता है।
स्तनों को बदले नहीं : शिशु को हर 2 से 3 घंटों के बीच स्तनपान जरूर कराएं। एक बार में एक ही स्तन से पूरी तरह दूध निकलने दें, फिर दूसरा स्तन दें।
15 मिनट आराम करें : शिशु को एक बार स्तनपान कराने के बाद मां को 15 मिनट आराम करें।
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स्तनपान के दौरान महिलाओं का खानपान कैसा होना चाहिए- What should be the diet of women during breastfeeding-
आयुर्वेदिक डॉक्टर का कहना है कि स्तनपान कराने वाली मां को खाने में "सात्विक, गर्म, पोषक और पचने में आसान" भोजन करना चाहिए।
1. दूध और दूध से बने प्रोडक्ट
स्तनपान के दौरान मां को गाय का गुनगुना दूध हल्दी मिलाकर पीना चाहिए। दूध के अलावा आप दूध से बनीं चीजें जैसे घी, पनीर और दही को भी खाने में शामिल करें। दही और लस्सी को सिर्फ दिन में ही खाएं, रात को बिल्कुल भी न खाएं।
2. प्रोटीन युक्त आहार
मूंग दाल, तुवर दाल, चना दाल पनीर, मखाना, बादाम, अखरोट में पर्याप्त मात्रा में प्रोटीन होता है। स्तनपान के दौरान प्रोटीन का सेवन करने से मां की रिकवरी तेज होती है।
3. हरी पत्तेदार सब्जियां
पालक, मेथी, बथुआ और सहजन जैसी हरी पत्तेदार सब्जियां स्तनों में दूध का उत्पादन बढ़ाती हैं। हरी पत्तेदार सब्जियां खाने से नई मां की रिकवरी तेज होती है।
4. अनाज
गेहूं, ज्वार, बाजरा, रागी ये ऊर्जा और कैल्शियम देते हैं।
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5. आयुर्वेदिक हर्ब्स और औषधि
शतावरी, अश्वगंधा, लाजवंती बीज, मेथी और अजवाइन में गैलेक्टगॉग तत्व होते हैं। स्तनपान के दौरान इन आयुर्वेदिक हर्ब्स और औषधियों का सेवन करने से दूध का उत्पादन बढ़ाने में मदद मिलती है।
स्तनपान बढ़ाने के लिए आयुर्वेदिक घरेलू नुस्खे
- एक चम्मच मेथी रात भर पानी में भिगो दें और सुबह उबालकर पी लें। यह दूध बढ़ाने और पाचन सुधारने में सहायक है।
- एक गिलास दूध में एक चम्मच शतावरी चूर्ण मिलाकर सुबह-शाम लें।
- अजवाइन, सोंठ, और गुड़ से बने लड्डू डिलीवरी के बाद खाने से स्तनों में दूध का उत्पादन बढ़ता है। इसलिए इनका सेवन जरूर करें।
- स्तनपान के दौरान मानसिक तनाव और हार्मोनल बदलाव को संतुलित करने के लिए प्रतिदिन 15 से 20 मिनट तक मेडिटेशन करें।
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निष्कर्ष
स्तनपान मां और शिशु के बीच का पवित्र रिश्ते का पुल है। इस जिम्मेदारी को सफलतापूर्वक निभाने के लिए आयुर्वेदिक दिनचर्या, संतुलित सात्विक आहार, मानसिक संतुलन और कुछ आवश्यक परहेजों का पालन करना जरूरी है। अगर आप भी नई मां हैं, तो स्तनपान के दौरान डॉ. चंचल शर्मा द्वारा बताई गई दिनचर्या का पालन करें।
FAQ
दूध पीने का सही तरीका क्या है?
दूध पीने का सही तरीका है इसे पहले छलनी से छाना जाए और हल्का गुनगुना करके पिया जाए। दूध का सेवन हमेशा रात को सोने से पहले या सुबह नाश्ते के बाद कर चाहिए। दरअसल, दूध पचाने में भारी होता है अगर इसका सेवन खाली पेट किया जाए, तो ये गैस, एसिडिटी और पेट में दर्द की समस्या का कारण बन सकता है।