इन-विट्रो फर्टिलाइजेशन (IVF) उन कपल्स के लिए वरदान साबित हुआ है, जो किसी भी मेडिकल कारण से प्राकृतिक तौर पर गर्भधारण नहीं कर पा रहे हैं। आईवीएफ प्रोसेस के जरिए मां बनने वाली महिलाओं के मन में कई तरह के सवाल आते हैं। इन्हीं सवालों में से एक है क्या पहली बार आईवीएफ के जरिए मां बनने के बाद अगर वह दूसरी बार मां बनने की कोशिश करती हैं, तो वह नेचुरल तरीके से कंसीव कर पाएंगी?
आज इस आर्टिकल में इसी सवाल का जवाब तलाशने की कोशिश करेंगे। इस विषय पर अधिक जानकारी प्राप्त करने के लिए हमने गुरुग्राम स्थित सीके बिड़ला अस्पताल की स्त्री एवं प्रसूति रोग और फर्टिलिटी एक्सपर्ट विशेषज्ञ डॉ. आस्था दयाल से बात की।
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आईवीएफ क्या है ?
डॉ. आस्था दयाल के अनुसार, IVF एक ऐसी प्रक्रिया है, जिसमें महिला के अंडाणु और पुरुष के शुक्राणु को लैब में निषेचित किया जाता है और फिर भ्रूण को महिला के गर्भाशय में स्थापित किया जाता है। यह उन महिलाओं के लिए फायदेमंद है, जो बांझपन, पीसीओएस (पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम), या ट्यूबल ब्लॉकेज जैसी समस्याओं से जूझ रही होती हैं। इसके अलावा जिन पुरुषों के अंडाणु कमजोर है और उनकी सेहत के कारण महिला को गर्भधारण करने में परेशानी आ रही है, तो वह भी मां बनने के लिए आईवीएफ प्रक्रिया को अपना सकते हैं।
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क्या एक बार IVF के बाद अगली प्रेग्नेंसी नॉर्मल हो सकती है?
डॉ. आस्था का कहना है कि पहली बार आईवीएफ के जरिए प्रेग्नेंट होने वाली महिलाएं दूसरी बार बिना किसी परेशानी और प्रोसेसिंग के भी नॉर्मल तरीके से गर्भधारण कर सकती हैं। यह मुख्य रुप से पहली IVF प्रेग्नेंसी के बाद निर्भर करता है कि महिला का स्वास्थ्य और प्रजनन तंत्र कैसा है। यदि पहली आईवीएफ प्रेग्नेंसी के बाद महिला के शारीरिक तौर पर किसी प्रकार की समस्या नहीं हुई है, आईवीएफ करवाने के बावजूद महिलाओं की प्रजनन प्रणाली सही तरीके से काम कर रही है और महिलाओं को पीरियड्स रेगुलर हो रहे हैं, तो आईवीएफ के बाद दूसरी प्रेग्नेंसी नॉर्मल हो सकती है।
आईवीएफ के बाद किन परिस्थितियों में नॉर्मल प्रेग्नेंसी हो सकती है?
1. अंडाशय की सामान्य स्थिति: यदि महिला के अंडाशय स्वस्थ हैं और नियमित रूप से अंडे बना रहे हैं। तो आईवीएफ के बाद दूसरी प्रेग्नेंसी को नॉर्मल तरीके से धारण किया जा सकता है।
2. फैलोपियन ट्यूब का सामान्य होना: यदि महिला की फैलोपियन ट्यूब खुली और स्वस्थ हैं।
3. हार्मोनल संतुलन: महिला के हार्मोनल स्तर सामान्य हैं और उसमें किसी प्रकार की समस्या नहीं है, तो भी महिला दूसरी बार नॉर्मल प्रेग्नेंसी के जरिए मां बन सकती है।
किन स्थितियों में दूसरी प्रेग्नेंसी के लिए IVF की जरूरत हो सकती है?
फर्टिलिटी एक्सपर्ट की मानें, तो यह जरूरी नहीं है कि पहली प्रेग्नेंसी आईवीएफ के जरिए होने के बाद दूसरी प्रेग्नेंसी नॉर्मल होगी ही। पहला गर्भधारण आईवीएफ के जरिए करवाने के बाद दूसरी प्रेग्नेंसी की संभावना सिर्फ 40 से 45 प्रतिशत तक की रह जाती है। लेकिन कुछ स्थितियों में दूसरी प्रेग्नेंसी के लिए भी IVF के ही ऑप्शन का चुनाव करना पड़ सकता है। आइए जानते हैं इसके बारे में।
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1. प्रजनन तंत्र में परेशानी: यदि महिला की पहली डिलीवरी के दौरान गर्भाशय को नुकसान पहुंचा हो या कोई सर्जरी हुई हो, तब महिला को दूसरी बार गर्भधारण करने के लिए आईवीएफ का विकल्प अपनाना पड़ेगा।
2. उम्र का प्रभाव: यदि महिला की उम्र अधिक है, तो अंडाणु की गुणवत्ता और मात्रा कम हो सकती है। 40 के बाद नॉर्मल प्रेग्नेंसी कंसीव करने में परेशानी हो सकती है।
3. हार्मोनल समस्याएं: पहली प्रेग्नेंसी के बाद महिलाओं को किसी तरह की हार्मोनल समस्याएं हो रही हैं, उन्हें पीरियड्स के दौरान कठिनाई होती है, तो दूसरी बार भी प्रेग्नेंसी के लिए आईवीएफ का विकल्प चुनना पड़ेगा।
निष्कर्ष
पहली प्रेग्नेंसी IVF के जरिए होने के बाद दूसरी प्रेग्नेंसी नॉर्मल हो सकती है, लेकिन यह पूरी तरह महिला के स्वास्थ्य, प्रजनन तंत्र की स्थिति और उम्र पर निर्भर करता है। यदि आप दूसरी बार मां बनने की प्लानिंग कर रही हैं, तो इस विषय पर फर्टिलिटी एक्सपर्ट से बात करें।
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