बरसात का मौसम आते ही बाजार में जामुन की बहार आ जाती है। यह खट्टा-मीठा फल न केवल स्वाद में बेहतरीन होता है, बल्कि आयुर्वेद में भी इसे कई औषधीय गुणों से भरपूर माना गया है। खासकर पाचन को बेहतर बनाने, डायबिटीज कंट्रोल करने और स्किन को हेल्दी बनाए रखने में जामुन का खास स्थान है। आजकल लोग जामुन के सिरके का भी उपयोग बढ़-चढ़कर कर रहे हैं। इसे एक नेचुरल हेल्थ टॉनिक के रूप में अपनाया जा रहा है, जिसे सुबह खाली पेट पानी में मिलाकर पीने की सलाह दी जाती है। हालांकि, जरूरी नहीं कि जामुन की तरह इसका सिरका भी सभी लोगों के लिए लाभकारी हो। आयुर्वेदिक दृष्टिकोण से देखें तो जामुन का सिरका कुछ खास स्थितियों में नुकसानदायक भी हो सकता है। दरअसल, सिरका बनने की प्रक्रिया के कारण इसके गुणों में बदलाव आता है और यह कुछ हद तक शरीर में पित्त बढ़ाने वाला बन जाता है।
ऐसे में कई लोगों के मन में यह सवाल उठता है कि जामुन का सिरका किसे नहीं पीना चाहिए? क्या यह हर किसी के लिए सुरक्षित है? इन्हीं सब सवालों का जवाब जानने के लिए हमने, रामहंस चेरिटेबल हॉस्पिटल, सिरसा के आयुर्वेदाचार्य श्रेय शर्मा (Ayurvedacharya Shrey Sharma of Ramhans Charitable Hospital, Sirsa) से बात की-
जामुन का सिरका किसे नहीं पीना चाहिए? - Who Should Not Drink Jamun Vinegar
आयुर्वेद में हर फूड के गुणों को उसकी प्रकृति (वीर्य), रस (स्वाद) और प्रभाव के अनुसार वर्गीकृत किया गया है। जामुन शीत वीर्य (ठंडी तासीर) वाला फल है, यानी यह शरीर को ठंडक पहुंचाता है। इसके अलावा, यह पित्त शामक भी है, जिसका अर्थ है कि यह शरीर में पित्त दोष को संतुलित करता है।
डॉ. श्रेय शर्मा बताते हैं कि जामुन पित्त को शांत करता है लेकिन अधिक मात्रा में सेवन करने पर यह वात दोष को बढ़ा सकता है। इसलिए आयुर्वेदिक दृष्टिकोण से इसका संतुलित मात्रा में सेवन ही लाभकारी होता है। जब जामुन को सिरके के रूप में तैयार किया जाता है, तो इसकी मूल प्रकृति में बदलाव आ जाता है। डॉ. श्रेय शर्मा के अनुसार, सिरका बनने की प्रक्रिया के दौरान इसमें पित्त वर्धक गुण आ जाते हैं। यानी यह शरीर में पित्त को बढ़ा सकता है। सिरका खट्टा, तीखा और गर्म तासीर वाला बन जाता है, जिससे यह उन लोगों के लिए नुकसानदायक हो सकता है जिनमें पहले से ही पित्त दोष की अधिकता होती है।
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1. पित्त प्रकृति वाले लोग
जिनकी प्रकृति पित्त प्रधान होती है, यानी जिन्हें बहुत जल्दी गुस्सा आता है, गर्मी ज्यादा लगती है, मुंह में छाले होते हैं, एसिडिटी, जलन या खट्टी डकारें आती हैं, ऐसे लोगों को जामुन का सिरका नहीं लेना चाहिए।
2. गर्मी और बरसात में पित्त बढ़ने वाले लोग
डॉ. शर्मा कहते हैं कि गर्मी और वर्षा ऋतु में पित्त दोष स्वाभाविक रूप से बढ़ता है। ऐसे में अगर कोई व्यक्ति इस मौसम में पित्त वर्धक चीजें लेता है, तो उसकी समस्याएं और बढ़ सकती हैं जैसे कि स्किन पर रैशेज, जलन, घबराहट, एसिड रिफ्लक्स, सिरदर्द या चक्कर आना।
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3. एसिडिटी और अल्सर के मरीज
जामुन के सिरके में अम्लीय गुण होने के कारण यह पेट की अम्लता को और बढ़ा सकता है। जिन्हें गैस, एसिडिटी, या पेट में अल्सर की समस्या है, उन्हें इसका सेवन नहीं करना चाहिए।
4. स्किन डिजीज
जिन्हें स्किन एलर्जी, एक्जिमा, पित्ती या बार-बार फोड़े-फुंसी की समस्या रहती है, उन्हें भी जामुन का सिरका लेने से बचना चाहिए। ऐसा इसलिए, क्योंकि यह अंदरूनी गर्मी को बढ़ा सकता है।
5. गर्भवती महिलाएं
गर्भावस्था में शरीर में हार्मोनल बदलाव होते हैं और पाचन तंत्र भी संवेदनशील होता है। ऐसे में पित्त वर्धक चीजों का सेवन गर्भवती महिलाओं को नुकसान पहुंचा सकता है। इसलिए उन्हें भी जामुन के सिरके से परहेज करना चाहिए।
सावधानी
आधुनिक समय में हर कोई इंटरनेट पर पढ़कर खुद ही हेल्थ सप्लीमेंट्स या घरेलू उपाय करने लगता है, लेकिन आयुर्वेदिक डॉक्टर श्रेय शर्मा के अनुसार, यह सही नहीं है। हर व्यक्ति की प्रकृति अलग होती है, इसलिए कोई भी उपाय शुरू करने से पहले किसी आयुर्वेदिक विशेषज्ञ से सलाह जरूर लेनी चाहिए।
निष्कर्ष
जामुन का सिरका सेहत के लिए फायदेमंद हो सकता है, लेकिन सभी के लिए नहीं। विशेष रूप से जिन लोगों में पित्त की समस्या होती है, उन्हें इसका सेवन नुकसान पहुंचा सकता है। आयुर्वेद के अनुसार किसी भी पदार्थ का प्रभाव व्यक्ति की प्रकृति, ऋतु और पाचन शक्ति पर निर्भर करता है। इसलिए बिना जांच-परख के इसे नियमित रूप से लेना सेहत को बिगाड़ सकता है। इसलिए अगर आप जामुन के सिरके का सेवन करना चाहते हैं, तो पहले अपनी प्रकृति की जांच कराएं और आयुर्वेदाचार्य की सलाह से ही इसे डाइट में शामिल करें।
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FAQ
क्या जामुन का सिरका गर्मी के मौसम में पीना सुरक्षित है?
नहीं, गर्मी के मौसम में शरीर में पित्त दोष स्वाभाविक रूप से बढ़ जाता है। जामुन का सिरका पित्तवर्धक होता है, इसलिए इस मौसम में इसका सेवन उन लोगों के लिए हानिकारक हो सकता है जिन्हें एसिडिटी, जलन, चक्कर आना या त्वचा पर रैशेज जैसी पित्त संबंधी समस्याएं होती हैं।क्या डायबिटीज के मरीज जामुन का सिरका ले सकते हैं?
हां, डायबिटीज में जामुन का सिरका लाभकारी हो सकता है क्योंकि यह ब्लड शुगर को कंट्रोल करने में मदद करता है। लेकिन यदि मरीज को पित्त दोष की समस्या है जैसे खट्टी डकारें, मुंह में छाले, जलन आदि, तो उसे आयुर्वेदिक डॉक्टर की सलाह लेकर ही इसका सेवन करना चाहिए।क्या जामुन का सिरका रोज खाली पेट पीना सही है?
अगर आपकी प्रकृति वात या कफ प्रधान है और पाचन अच्छा है, तो सीमित मात्रा (1 चम्मच सिरका + 1 गिलास गुनगुना पानी) में रोजाना सुबह सेवन किया जा सकता है। लेकिन यदि पित्त प्रकृति या पेट में तेजाब बनने की समस्या है, तो यह आदत नुकसानदेह हो सकती है।