गर्मी के मौसम में बढ़ती गर्मी और गलत खानपान के चलते पेट और मुंह में अल्सर की समस्या आम हो गई है। इस मौसम में पाचन तंत्र पहले से ही संवेदनशील हो जाता है और अगर व्यक्ति गर्म तासीर वाले भोजन या अनाजों का सेवन करता है तो अल्सर की स्थिति और बिगड़ सकती है। सोशल मीडिया पर इन दिनों हेल्थ रील्स और फिटनेस ट्रेंड्स के चलते कई लोग रागी, अलसी, मक्का और अन्य हाई-फाइबर आटे से बनी रोटियों को हेल्दी मानकर नियमित रूप से खाना शुरू कर देते हैं। हालांकि ये अनाज सामान्य स्थिति में सेहत के लिए लाभदायक हो सकते हैं, लेकिन अल्सर की समस्या होने पर इनका सेवन नुकसानदायक बन सकता है।
आयुर्वेद के अनुसार, शरीर की तासीर और मौसम के अनुरूप भोजन का चुनाव बहुत जरूरी होता है। अल्सर की समस्या में खासतौर पर उन चीजों से परहेज करना चाहिए जो शरीर में गर्मी या एसिडिटी बढ़ा सकती हैं। ऐसे में मक्का, बाजरा या रागी जैसे गर्म तासीर वाले अनाजों की रोटियों से बचना चाहिए। ऐसा इसलिए, क्योंकि ये पेट की आंतरिक परत को और अधिक उत्तेजित कर सकते हैं जिससे अल्सर के लक्षण जैसे जलन, दर्द और सूजन और बढ़ सकते हैं। इस लेख में रामहंस चेरिटेबल हॉस्पिटल के आयुर्वेदिक डॉक्टर श्रेय शर्मा (Ayurvedic doctor Shrey Sharma from Ramhans Charitable Hospital) से जानिए, अल्सर में किस आटे की रोटी खानी चाहिए?
अल्सर में किस आटे की रोटी खानी चाहिए? - Which Flour Roti Is Best For Ulcer Patient
आयुर्वेदिक डॉक्टर श्रेय शर्मा बताते हैं कि अल्सर एक ऐसी स्थिति है जिसमें शरीर के आंतरिक अंगों की परतों पर घाव या छाले बन जाते हैं। पेट का अल्सर मुख्य रूप से गैस्ट्रिक या पेप्टिक अल्सर के रूप में जाना जाता है, जो पेट की अंदरूनी परत में घाव होता है। वहीं, मुंह के अल्सर छोटे-छोटे घाव होते हैं जो खाने-पीने में तकलीफ और दर्द का कारण बनते हैं। दोनों ही प्रकार के अल्सर में आहार का विशेष ध्यान रखना जरूरी होता है। ऐसा इसलिए, क्योंकि गलत आहार स्थिति को और बिगाड़ सकता है।
आयुर्वेद में शरीर के स्वास्थ्य के लिए तासीर (गुन), रस और प्रकृति का महत्व बताया गया है। जब पेट या मुंह में अल्सर होता है, तो गर्म तासीर वाले आहार जैसे गेहूं, मक्का और अन्य भारी अनाज से परहेज करना चाहिए क्योंकि ये शरीर में गर्माहट बढ़ाते हैं और अल्सर की जलन को बढ़ावा देते हैं। इसके विपरीत ठंडी तासीर वाले आहार जैसे जौ का आटा पेट को ठंडक प्रदान करते (ulcer mein kya khana chahiye) हैं और घावों के उपचार में मदद करते हैं।
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जौ का आटा अल्सर में क्यों फायदेमंद?
1. ठंडी तासीर
जौ का आटा आयुर्वेद में ठंडी तासीर वाला माना जाता है। यह शरीर की गर्माहट को कम करता है और पेट की जलन, जलती हुई समस्या को शांत करता है। अल्सर के दौरान पेट में जो जलन और दर्द होता है, उसमें जौ के आटे की रोटी राहत पहुंचाती है।
2. पाचन में सुधार
जौ में मौजूद फाइबर पाचन तंत्र को मजबूत बनाता है और भोजन जल्दी पचाने में मदद करता है। इससे पेट पर दबाव कम पड़ता है और अल्सर की स्थिति कंट्रोल रहती है।
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3. सूजन कम करे
जौ में प्राकृतिक एंटी-इन्फ्लेमेटरी गुण होते हैं जो पेट की सूजन और घाव की जलन को कम करते हैं।
4. मल त्याग में सहायक
अल्सर के दौरान कब्ज की समस्या भी हो सकती है, जो स्थिति को और जटिल बना सकती है। जौ के आटे में मौजूद फाइबर मल त्याग को आसान बनाता है जिससे पेट साफ रहता है और अल्सर में सुधार होता है।
अल्सर में जौ की रोटी कैसे बनाएं?
अल्सर में जौ की रोटी बनाने के लिए जौ के आटे को साफ पानी से गूंध लें। आटा ज्यादा सख्त या ज्यादा नरम न हो, ताकि रोटी आसानी से बने। रोटी को तवे पर धीमी आंच पर पकाएं ताकि यह अच्छी तरह से पक जाए और कड़क न हो। रोटी पर घी या तेल की अधिकता न करें, क्योंकि तेल भी पेट में गर्माहट बढ़ा सकता है।
अल्सर में किन चीजों से बचना चाहिए? - What should not be eaten in an ulcer
- मक्का, रागी और बाजरा जैसी चीजें पेट की जलन बढ़ा सकती हैं।
- मसाले और तेल पेट की नमी को बढ़ाकर अल्सर को बढ़ावा देते हैं।
- अधिक कैफीन या चाय भी पेट की तासीर गर्म करते हैं।
- शराब या धूम्रपान, ये दोनों अल्सर को बढ़ाते हैं और उपचार में बाधा डालते हैं।
- अधिक मीठा और प्रोसेस्ड फूड पेट की सेहत के लिए हानिकारक होते हैं।
निष्कर्ष
पेट या मुंह के अल्सर में सही आहार बहुत जरूरी होता है। आयुर्वेद के अनुसार, गर्म तासीर वाले अनाजों से बचते हुए जौ के आटे से बनी रोटी का सेवन करना फायदेमंद रहता है। जौ की ठंडी तासीर पेट की जलन को कम करती है, पाचन सुधारती है और अल्सर के घावों को भरने में मदद करती है। इसके साथ ही मसालेदार, ऑयली और भारी भोजन से बचना चाहिए। सही खानपान के साथ-साथ तनाव कम करना, पर्याप्त नींद लेना और डॉक्टर की सलाह का पालन करना भी जरूरी है।
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FAQ
पेट के अल्सर में क्या नहीं खाना चाहिए?
पेट के अल्सर में ऐसे फूड्स से परहेज करना चाहिए जो पेट की परत को उत्तेजित करें या एसिडिटी बढ़ाएं। मसालेदार, तीखा और तला-भुना खाना नहीं खाना चाहिए। कैफीन युक्त ड्रिंक्स जैसे चाय, कॉफी और कोल्ड ड्रिंक से बचना चाहिए। ज्यादा खट्टे फल (नींबू, संतरा), टमाटर, सिरका और अचार जैसी चीजें अल्सर को बढ़ा सकती हैं। धूम्रपान और शराब का सेवन भी बिलकुल नहीं करना चाहिए क्योंकि ये पेट की परत को नुकसान पहुंचाते हैं। साथ ही गर्म तासीर वाले अनाज जैसे मक्का, रागी और बाजरे से बनी रोटियां भी अल्सर में नुकसानदायक हो सकती हैं।क्या अल्सर में चावल खाना चाहिए?
हां, पेट में अल्सर होने पर सादा और नरम चावल खाना फायदेमंद हो सकता है। खासकर सफेद चावल, जो आसानी से पच जाता है और पेट पर ज्यादा दबाव नहीं डालता। चावल में फाइबर कम होता है जिससे यह अल्सर की स्थिति में पेट को आराम देता है। हालांकि, चावल को मसालेदार करी या तीखे अचार के साथ न खाएं।मुंह में छाले होने का असली कारण क्या है?
मुंह में छाले होने के कई कारण हो सकते हैं, लेकिन इसका सबसे आम कारण पेट की गर्मी और पाचन संबंधी गड़बड़ी माना जाता है। इसके अलावा, विटामिन B12, आयरन या फोलिक एसिड की कमी, ज्यादा मसालेदार या गरम तासीर वाला खाना, नींद की कमी, तनाव और बार-बार गर्म चीजों का सेवन भी छालों का कारण बन सकता है। कभी-कभी दांतों से बार-बार मुंह के अंदर लगने, ब्रश से चोट लगने या कमजोर इम्यूनिटी के कारण भी मुंह में छाले हो जाते हैं।