आज के समय में लोगों की लाइफस्टाइल जितनी तेज हो गई है, उनका खानपान उतना ही बिगड़ गया है। सोशल मीडिया और यूट्यूब जैसे प्लेटफॉर्म्स पर ऐसे-ऐसे फूड कॉम्बिनेशन दिखाए जाते हैं, जो सेहत के लिए खतरनाक साबित हो सकते हैं, जैसे कोल्ड ड्रिंक में नूडल्स बनाना या पास्ता में दूध, नमक और क्रीम मिलाकर खाना। ऐसे असामान्य और अनहेल्दी फूड ट्रेंड्स, ऊपर से जंक फूड का बढ़ता चलन, नींद की कमी, तनाव और एक्सरसाइज की कमी, ये सब मिलकर हमारे डाइजेस्टिव सिस्टम को कमजोर बना रहे हैं। बहुत से लोग सुबह उठकर पेट साफ नहीं कर पाते, जिससे पेट भारी बना रहता है, गैस, सिरदर्द, मूड खराब होना और थकावट जैसी समस्याएं दिनभर बनी रहती हैं। यह केवल शारीरिक असुविधा ही नहीं, बल्कि मानसिक तनाव का भी कारण बनता है।
ऐसे में कई लोगों का यह सामान्य सवाल होता है कि सुबह उठते ही तुरंत पेट साफ कैसे किया जाए? क्या कोई घरेलू उपाय, खानपान में बदलाव या आयुर्वेदिक तरीका है जिससे इस समस्या से राहत मिल सके? (pet saaf kaise kare) इस लेख में हम रामहंस चेरिटेबल हॉस्पिटल के आयुर्वेदिक डॉक्टर श्रेय शर्मा (Ayurvedic doctor Shrey Sharma from Ramhans Charitable Hospital) से जानेंगे ऐसे 5 आसान, नेचुरल टिप्स (pet saaf karne ke tarike), जो आपकी आंतों को एक्टिव करते हैं और सुबह उठते ही पेट साफ करने में मदद करते हैं।
सुबह तुरंत पेट साफ करने के लिए क्या करें? - What Helps Bowels Move Quickly
1. स्क्वाट पोजीशन में बैठें
मल त्याग के लिए शरीर की सही पोजीशन बेहद जरूरी है। वेस्टर्न टॉयलेट में बैठने से आंतें पूरी तरह से सीधी नहीं हो पातीं, जिससे मल निकालने में दिक्कत होती है। इसके विपरीत, भारतीय पारंपरिक 'स्क्वाट पोजीशन' (बैठकर टॉयलेट करना) आंतों को पूरी तरह से खोलती है और मल को आसानी से बाहर निकालने में मदद करती है।
अगर आप वेस्टर्न टॉयलेट का उपयोग करते हैं, तो पैरों के नीचे छोटा स्टूल रखकर स्क्वाट जैसी पोजीशन बनाई जा सकती है। इससे रेक्टल एंगल खुलता है और मल त्याग की प्रक्रिया तेज और आसान होती है। स्क्वाट पोजीशन कब्ज को दूर करने में काफी मददगार है।
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2. ईसबगोल
आयुर्वेद में कब्ज के इलाज के लिए ईसबगोल (Psyllium Husk) को बेहद प्रभावशाली माना गया है। ईसबगोल में घुलनशील फाइबर होता है जो पानी के साथ पेट में जाकर जेल जैसा रूप लेता है। यह मल को मुलायम करता है और उसकी मात्रा बढ़ाकर उसे आंतों से बाहर निकालने में मदद करता है।
3. गुनगुना पानी और नींबू
सुबह उठते ही एक या दो गिलास गुनगुना पानी पीना पाचन तंत्र को एक्टिव करता है। यह न सिर्फ शरीर को हाइड्रेट करता है, बल्कि आंतों की मूवमेंट को भी तेज करता है। गुनगुना पानी पेट की लाइनिंग को शांत करता है और गैस्ट्रिक जूस को एक्टिव कर मल त्याग की क्रिया शुरू करता है। अगर इसमें आधा नींबू और एक चुटकी सेंधा नमक मिला लिया जाए, तो यह और भी असरदार हो जाता है।
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4. हाई फाइबर डाइट
फाइबर पेट साफ रखने में अहम भूमिका निभाता है। यह पानी को सोखकर मल को भारी और मुलायम बनाता है जिससे वह आसानी से बाहर निकलता है। आहार में फाइबर की कमी से आंतों की गति धीमी पड़ जाती है और मल सख्त होकर रुक जाता है। ऐसे में हाई फाइबर फूड्स को रोजाना डाइट में शामिल करना चाहिए।
फलों में सेब, पपीता, अमरूद, संतरा सब्जियों में पालक, मेथी, भिंडी, गाजर और लौकी जैसी चीजें फाइबर से भरपूर होती हैं। इसके अलावा चोकरयुक्त आटा, दलिया, ओट्स और अलसी जैसे बीज भी बहुत फायदेमंद हैं। ध्यान रहे कि फाइबर के साथ पर्याप्त पानी भी पिएं, नहीं तो यह उल्टा असर कर सकता है।
5. ब्रिस्क वॉक
फिजिकल एक्टिविटी की कमी भी कब्ज का एक बड़ा कारण है। जब हम ज्यादा देर तक बैठे रहते हैं, तो आंतों की मांसपेशियां सुस्त पड़ जाती हैं। इसके उलट हल्की-फुल्की एक्सरसाइज जैसे कि तेज चलना (brisk walking) पाचन तंत्र को गति देता है। सुबह या शाम को रोज 20–30 मिनट की वॉक आंतों की मांसपेशियों को एक्टिव करती है और मल त्याग के लिए प्रेरित करती है। इससे न केवल कब्ज से राहत मिलती है, बल्कि गैस, सूजन और आलस्य भी दूर होता है। आयुर्वेद में भी 'विहार' यानी शारीरिक गति को पाचन शक्ति बढ़ाने का प्रमुख साधन माना गया है।
निष्कर्ष
कब्ज की समस्या को दवाओं से नहीं, बल्कि लाइफस्टाइल में सुधार और नेचुरल उपायों से स्थायी रूप से ठीक किया जा सकता है। सुबह का सही समय, शरीर की सही पोजीशन, आयुर्वेदिक सप्लीमेंट्स, गुनगुना पानी, संतुलित डाइट और नियमित फिजिकल एक्टिविटी, ये सभी छोटे-छोटे उपाय मिलकर आपके पाचन तंत्र को फिर से एक्टिव (pet saaf karne ke tarike) कर सकते हैं। अगर फिर भी कब्ज लगातार बना रहे, तो यह किसी गंभीर बीमारी का संकेत हो सकता है। ऐसे में डॉक्टर से सलाह लेना जरूरी है।
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FAQ
कब्ज किसकी कमी से होता है?
कब्ज मुख्य रूप से शरीर में फाइबर, पानी और फिजिकल एक्टिविटी की कमी से होता है। जब डाइट में पर्याप्त मात्रा में फाइबर नहीं होता, तो मल सख्त हो जाता है और आंतों से आसानी से नहीं निकलता। साथ ही, कम पानी पीने से मल सूख जाता है, जिससे पेट साफ होने में दिक्कत होती है। इसके अलावा, एक्सरसाइज या चलने-फिरने की कमी से आंतों की गतिविधि धीमी हो जाती है। तनाव, अनियमित दिनचर्या और प्रोसेस्ड फूड का अधिक सेवन भी कब्ज को बढ़ावा देते हैं।पेट में कब्ज होने से कौन सी बीमारी होती है?
लंबे समय तक कब्ज बने रहने से शरीर में कई तरह की बीमारियां उत्पन्न हो सकती हैं। सबसे आम समस्या है बवासीर, जिसमें मल त्याग के समय खून आना और दर्द होना शामिल है। इसके अलावा फिशर और फिस्टुला जैसी गुदा संबंधी बीमारियां भी हो सकती हैं। कब्ज से एसिडिटी, गैस, सिरदर्द, मुंह की बदबू, स्किन पर फोड़े-फुंसी और मूड स्विंग भी हो सकते हैं। समय पर इलाज न हो तो यह स्थिति गंभीर भी हो सकती है।पेट साफ के लिए क्या पिएं?
पेट साफ रखने के लिए सबसे सरल और प्रभावी उपाय है सुबह खाली पेट गुनगुना पानी पीना। इसमें आप चाहें तो नींबू और एक चुटकी सेंधा नमक मिला सकते हैं, जिससे पाचन क्रिया तेज होती है। इसके अलावा ईसबगोल पानी के साथ या त्रिफला चूर्ण को रात में गर्म पानी के साथ लेना भी लाभदायक होता है।