फर्मेंटेड फूड्स (fermented foods) यानी कि खमीरी प्रक्रिया के तहत तैयार किए गए चीजों को पेट के लिए बहुत अच्छा माना जाता है। जैसे कि अचार, खट्टी दही, किमची, खट्टी रोटी, बासी चावल, इडली, डोसा और बड़ा आदि। दरअसल, इसमें से बहुच चीजों को भीगो कर, पीस कर और खमीरी प्रक्रिया के तहत बैटर तैयार करके बनाया जाता है। इनमें प्रोबायोटिक्स होता है जो कि पेट और पाचनतंत्र के लिए फायदेमंद माने जाते हैं। इसलिए इन्हें इन्यूनिटी बूस्टर फूड भी कहा जाता है। पर कभी आपके इन्हें खाने के बाद पेट में ब्लॉटिंग और गैस महसूस की है? दरअसल, ये फर्मेंटेड फूड्स के नुकसान (fermented foods side effects) हैं। होता है कि शरीर की कुछ ऐसी स्थितियां होती हैं जब हमें खमीर वाले खाद्य पदार्थ यानी (fermented foods) से बचाना चाहिए। नहीं तो ये सेहत को नुकसान पहुंचाते हैं। तो, आइए जानते हैं किन स्थितियों में फर्मेंटेड फूड्स लेने से बचना चाहिए।
किन स्थितियों में फर्मेंटेड फूड्स ना लें-When to avoid fermented foods in hindi
1. पेट में इंफेक्शन होने पर
अगर आपको पेट से जुड़ी कोई गंभीर बीमारी हो तो फर्मेंटेड फूड्स लेने से बचना चाहिए। दरअसल, खमीरी खाद्य पदार्थों की सबसे आम प्रतिक्रिया गैस और सूजन में अस्थायी वृद्धि है। हालांकि थोड़ी देर बाद ये ठीक हो सकात है पर कुछ स्थितियों में नुकसानदेह भी हो सकता है। दरअसल, प्रोबायोटिक्स हानिकारक आंत बैक्टीरिया और कवक को मारने के बाद अतिरिक्त गैस पैदा करती है। ये प्रोबायोटिक पेप्टाइड्स को रिलीज करते हैं जो साल्मोनेला और ई कोलाई जैसे हानिकारक रोगजनक जीवों को मारते हैं। पर पेट में इंफेक्शन के दौरान पेट की स्थिति ज्यादा सहीं नहीं होती, ऐसे में अगर आप आरानदायक भोजन की जगह फर्मेंटेड फूड्स खाएं तो आपको नुकसान हो सकता है।
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2. सूजन में
जब आपके हाथ-पैर में सूजन हो या किसी भी वजह से ब्लॉटिंग की समस्या हो तो आपको फर्मेंटेड फूड्स लेने से बचना चाहिए। दरअसल, ये सूजन बढ़ा सकती है। जब प्रोबायोटिक्स आंत से हानिकारक बैक्टीरिया को हटा रहे होते हैं तो, कुछ लोगों को गंभीर सूजन का अनुभव हो सकता है, जो बहुत दर्दनाक हो सकता है। ऐसे में जिन लोगों को पहले से ही सूजन की समस्या रहती है उन्हें इसे लेने से बचना चाहिए।
3. सिरदर्द और माइग्रेन में
प्रोबायोटिक्स से भरपूर फर्मेंटेड फूड्स में फर्मेंटेशन के दौरान बायोजेनिक एमाइन का प्रोडक्शन होता है। दरअसल, फर्मेंडेट फूड्स में अमीनो एसिड को तोड़ने के लिए कुछ बैक्टीरिया द्वारा अमाइन बनाए जाते हैं। प्रोबायोटिक से भरपूर फूड्स में हिस्टामाइन और टायरामाइन पाए जाते हैं। कुछ लोग हिस्टामाइन और अन्य अमाइन के प्रति संवेदनशील होते हैं, और इन्हें खाने के बाद सिरदर्द का अनुभव कर सकते हैं। क्योंकि अमाइन केंद्रीय तंत्रिका तंत्र को उत्तेजित करते हैं, वे ब्लड प्रेशर को बढ़ा या घटा सकते हैं, जिससे सिरदर्द और माइग्रेन हो सकता है।
4. हिस्टामाइन सेंसिटिविटी में
फर्मेंटेड फूड्स में हिस्टामाइन प्रचुर मात्रा में होता है। अधिकांश लोगों का शरीर इसे पचा नहीं पाता है और ये हमारे खून में मिल जाता है। इस तरह ये हिस्टामाइन सेंसिटिविटी के लक्षणों की एक श्रृंखला का कारण बन सकता है। जिसमें आपको खुजली, सिरदर्द या माइग्रेन, बहती नाक (राइनाइटिस), आंखों का लाल होना, थकान, पित्ती और पाचन लक्षणों में दस्त, मतली और उल्टी आदि हो सकती है। इसलिए अगर किसी को अचार और इडली जैसेफर्मेंटेड फूड्स को खाते ही ये लक्षण होते हैं तो उन्हें समझ जाना चाहिए कि उन्हें हिस्टामाइन सेंसिटिविटी और उन्हें ऐसे खाद्य पदार्थों से बचना चाहिए।
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5. एंटीबायोटिक दवाएं लेने पर
फर्मेंटेड फूड्स के प्रोबायोटिक बैक्टीरिया ऐसे जीन ले जा सकते हैं जो एंटीबायोटिक दवाओं के लिए प्रतिरोध पैदा कर सकते हैं। यानी कि उन्हें बेअसर कर सकते हैं। ऐसे में बीमारी और बढ़ सकत है। इसलिए अगर आपकी कोई एंटीबायोटिक दवाएं चल रही हो तो, फर्मेंटेड फूड्स लेने से बचें। हालांकि, ये स्थिति फर्मेंटेशन कितना और कितनी देर हुआ है उस पर भी निर्भर करता है। पर फिर भी एक बार अपने डॉक्टर से जरूर पूछ लें।
ध्यान रहे कि पनीर, दही और छाछ जैसे फर्मेंटेड दूध उत्पादों में पाए जाने वाले प्रोबायोटिक्स बैक्टीरिया फूड प्वाइजनिंग का कारण बन सकते हैं। इसलिए कभी भी फर्मेंटेड फूड्स को लेने से पहले अपनी सेहत पर एक नजर जरूर डालें। अगर कोई समस्या है तो अपने डॉक्टर से पूछ कर ही इन फूड्स का सेवन करें।
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