कोराना की तरह दुनिया में कई महामारी ऐसी हुई हैं, जो आज भी हमारे लिए एक बड़ा रहस्य हैं। ऐसी ही एक बीमारी है एन्सेफलाइटिस लेथार्जिका जिसे स्लीपिंग सिकनेस के नाम से भी जाना जाता है। यह बीमारी पहली बार साल 1915 में उत्तरी फ्रांस में देखी गई थी। इस बीमारी में लोग गहरी नींद में चले जाते थे और हफ्तों या महीनों बाद उठते थे। इस बीमारी की चपेट में आए 30 से 40 प्रतिशत लोगों को अपनी जान भी गंवानी पड़ी। साल 1930 में यह महामारी, तो खत्म हो गई लेकिन आज भी यह शोधकर्ताओं और डॉक्टर्स के लिए एक बड़ा रहस्य है कि यह बीमारी कैसे फैली, कारण क्या था और इसका सटीक इलाज क्या है। एन्सेफलाइटिस लेथार्जिका के बारे में विस्तार से जानने के लिए हमने Dr. Bharath Kumar Surisetti, Consultant Neuro Physician, Yashoda Hospitals, Hyderabad (Malakpet) से बात की।
एन्सेफलाइटिस लेथार्जिका क्या है?- What is Encephalitis Lethargica
स्लीपी सिकनेस (Sleepy Sickness), जिसे एन्सेफलाइटिस लेथार्जिका (Encephalitis Lethargica) भी कहा जाता है, दिमाग की एक दुर्लभ लेकिन गंभीर सूजन वाली बीमारी है। इस बीमारी का असर, व्यक्ति के नर्वस सिस्टम और जीवन की गुणवत्ता पर पड़ता है। इस बीमारी को पहली बार 20वीं सदी की शुरुआत में एक बड़ी महामारी के रूप में देखा गया था। इस महामारी ने कई लोगों को स्थायी रूप से विकलांग बना दिया था। आज भी जब इसके कुछ मामले सामने आते हैं, तो इलाज में मुश्किल आती है। नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर एंड स्ट्रोक के अनुसार, एन्सेफलाइटिस लेथार्जिका एक दुर्लभ बीमारी है, जिसका सही कारण अभी तक पता नहीं चला है, लेकिन शोधकर्ताओं का मानना है कि यह किसी वायरस से जुड़ी हो सकती है। साल 1915 से 1930 के बीच इसकी महामारी फैली थी, लेकिन उसके बाद से ऐसी महामारी दोबारा नहीं देखी गई।
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एन्सेफलाइटिस लेथार्जिका के लक्षण कैसे होते हैं?- Symptoms Of Enecphalitis Lethargica
यह बीमारी मुख्य रूप से दिमाग के उस हिस्से को प्रभावित करती है जो मूवमेंट (हिलने-डुलने), मोटिवेशन और व्यवहार को कंट्रोल करते हैं, खासकर मिडब्रेन (midbrain) और बेसल गैंगलिया (basal ganglia)। शुरुआती लक्षण अक्सर बहुत मामूली होते हैं और सर्दी-जुकाम की तरह ही लगते हैं जैसे- सिरदर्द, बुखार और गले में खराश होना। बीमारी बढ़ने पर मरीज को मानसिक समस्याएं होने लगती हैं, जैसे- भ्रम होना, मूड में अचानक बदलाव या कैटाटोनिया (एक तरह की स्थिर स्थिति)। मरीज को बेहद नींद आना या लंबे समय तक सोए रहना, आंखें हिलाने में परेशानी (मांसपेशियों के लकवे के कारण) जैसी समस्याएं भी हो सकती हैं। कई लोगों को कंपकंपी, शरीर में जकड़न और चाल धीमी होने की समस्या होती है, जो पार्किंसन (Parkinson's) जैसी मूवमेंट डिसऑर्डर के लक्षण माने जाते हैं।
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एन्सेफलाइटिस लेथार्जिका का कारण और इलाज क्या है?- Causes And Treatment Of Enecphalitis Lethargica
इस बीमारी का सही कारण अभी तक पता नहीं चल पाया है। माना जाता है कि इसका कारण कोई अज्ञात इंफेक्शन या वायरस के बाद शरीर की ऑटोइम्यून प्रतिक्रिया हो सकता है। दुर्भाग्य से इसका कोई पक्का इलाज भी नहीं है। इलाज का उद्देश्य केवल लक्षणों को कम करना, व्यक्ति को गंभीर समस्याओं से बचाना और मरीज को
रिहैबिलिटेशन (rehabilitation) देना होता है। कुछ लोग ठीक हो जाते हैं, लेकिन कई मरीजों को जीवनभर नसों से जुड़ी या मानसिक स्वास्थ्य से संबंधित समस्याएं बनी रहती हैं।
एन्सेफलाइटिस लेथार्जिका से कैसे निपटें?- How To Deal With Enecphalitis Lethargica
Dr. Bharath Kumar Surisetti, बताते हैं कि 'एक न्यूरोलॉजिस्ट के तौर पर मैं इस बात पर जोर देता हूं कि इस बीमारी में, मरीज की लंबे समय तक निगरानी, तेजी से इलाज और शुरुआती पहचान बहुत जरूरी है। एन्सेफलाइटिस लेथार्जिका हमें याद दिलाता है कि दिमाग की बीमारियां कितनी मुश्किल हो सकती हैं और इनके अब तक अज्ञात कारणों को समझने के लिए लगातार स्टडी और रिसर्च होना भी जरूरी हैं।'
निष्कर्ष:
एन्सेफलाइटिस लेथार्जिका एक गंभीर दिमागी बीमारी है। इसका कारण और स्पष्ट इलाज अभी मौजूद नहीं है। इतिहास में फैली इस महामारी पर लगातार शोध होना जरूरी है।
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FAQ
क्या अभी भी एन्सेफलाइटिस लेथार्जिका के केस हैं?
वैसे, तो यह बहुत दुर्लभ बीमारी है, लेकिन दुनिया के अलग-अलग हिस्सों में कभी-कभी इसके केस सामने आ जाते हैं। वैसे यह महामारी साल 1915 के बाद दोबारा नहीं फैली।एन्सेफलाइटिस लेथार्जिका क्या है?
यह दिमाग की एक गंभीर सूजन वाली बीमारी है, जो नर्वस सिस्टम पर बुरा असर डालती है। इस बीमारी में मरीज, गहरी नींद और सुस्ती में चला जाता है।एन्सेफलाइटिस लेथार्जिका का कारण क्या है?
एन्सेफलाइटिस लेथार्जिका किस वजह से होती है, इसका कारण अभी तक पता नहीं चला है। डॉक्टर्स ऐसा मानते हैं कि किसी वायरस या इंफेक्शन के बाद शरीर की ऑटोइम्यून प्रतिक्रिया से यह बीमारी होती है।