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क्या इंसेफेलाइटिस (दिमाग की सूजन) जानलेवा बीमारी है? एक्सपर्ट से जानें सच्चाई

Encephalitis: इंसेफेलाइटिस न सिर्फ एक जानेलवा बीमारी है, बल्कि यह स्थाई रूप से ब्रेन को डैमेज भी कर सकता है।
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क्या इंसेफेलाइटिस (दिमाग की सूजन) जानलेवा बीमारी है? एक्सपर्ट से जानें सच्चाई


Is Encephalitis Life Threatening In Hindi: हाल के दिनों में इंसेफेलाइटिस के कई मामले सामने आए हैं। खासकर, असम में कई मरीजों को इंसेफेलाइटिस से पीड़ित पाया गया। हालांकि, यह रेयर बीमारी है। लेकिन, इसके बढ़ते मामले लोगों का ध्यान अपनी ओर खींच रहे हैं। आपको बता दें कि इंसेफेलाइटिसक एक तरह की दिमाग की सूजन से जुड़ी बीमारी है। जब दिमागा में सूजन आ जाती है, तो इससे नसों पर दबाव बनने लगता है, जिससे न्यूरोलॉजिकल डिस्ऑर्डर का खतरा भी बढ़ जाता है। इसी से आप अंदाजा लगा सकते हैं कि यह बीमारी कितनी घातक है। इंसेफेलाइटिस के आए नए मामलों में देखें, तो कुछ लोगों को अपनी जान तक गंवानी पड़ी थी। इसलिए, यह सवाल उठना लाजिमी हो गया है कि क्या यह बीमारी जानलेवा भी है? इस बारे में हमने मुंबई स्थित लीलावती अस्पताल में न्यूरोलॉजिस्ट डॉ. गिरीश सोनी से बात की है। जानें क्या है सच्चाई।

क्या इंसेफेलाइटिस (दिमाग की सूजन) जानलेवा बीमारी है?- Is Encephalitis Life Threatening In Hindi

Is Encephalitis Life Threatening In Hindi

यह सच है कि दिमाग की सूजन से जुड़ी यह बीमारी इंसेफेलाइटिस दुर्लभ बीमारियों में से एक है। लेकिन, पिछले दिनों जिस तरह इसके मामले तेजी से उभर रहे हैं। इसको देखते हुए हमें इस बीमारी को हल्के में नहीं लेना चाहिए। इस बात से भी इंकार नहीं किया जा सकता है कि इंसेफेलाइटिस एक जालेवा बीमारी है। ऐसा इसलिए कहा जा सकता है, क्योंकि इस बीमारी की वजह से दिमाग में सूजन हो जाती है। दिमाग में सूजन किसी भी मायने सही नहीं है। दिमाग में सूजन आने की वजह से व्यक्ति अपनी हेल्थ कंट्रोल नहीं कर पाता है, उसको ब्रेन इंजुरी हो सकती है, सूजन की वजह से मरीज कोमा में जा सकता है। यही नहीं, उसकी जान भी जा सकती है। जैसा कि हम अपने पिछले असम में देखा था। कुछ मरीजों की इंसेफेलाइटिस के कारण जान तक चली गई थी। आपको बता दें कि यह बीमारी संक्रमण या ऑटोइम्यून प्रोसेस की वजह से हो सकता है। इसके अलावा, यह मच्छर के काटने से भी फैल सकता है। यह भी जानकारी होना आवश्यक है कि एक साल से कम उम्र के बच्चे और 50-55 से अधिक उम्र वाले लोगों को इस बीमारी का जोखिम अधिक होता है। इसलिए, इंसेफेलाइटिस को लेकर जरा भी लापरवाही न बरतें।

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इंसेफेलाइटिस से जुड़े जोखिम

मरीज कोमा में जा सकता है

जैसा कि यह स्पष्ट है कि इंसेफेलाइटिस दिमाग की सूजन की बीमारी है। इसकी वजह से दिमाग की नसों पर अतिरिक्त दबाव बन सकता है या फिर ब्लड फ्लो बाधित हो सकता है। इस तरह की स्थितियों में अगर मरीज की सही देखरेख न की जाए या कंडीशन को कंट्रोल न किया जाए, तो मरीज कोम में जा सकता है।

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ब्रेन इंजुरी हो सकती है

अगर मरीज इंसेफेलाइटिस से लंबे समय तक पीड़ित रहता है, तो यह कंडीशन भी घातक साबित हो सकती है। दिमाग में सूजन की वजह से मरीज का दिमाग स्थाई रूप से डैमेज हो सकता है। ब्रेन डैमेज होने के बाद उसकी रिकवरी की संभावना कितनी होती है, इस पर कुछ पुख्ता तौर पर कहना आसान नहीं है।

मरीज की मृत्यु हो सकती है

मेयोक्लिनिक वेबसाइट में प्रकाशित लेख से इस बात की पुष्टि होती है कि अगर किसी को इंसेफेलाइटिस हो जाता है, तो उसकी मृत्यु तक हो सकती है। इंसेफेलाइटिस के मरीजों में अक्सर कई लक्षण नजर आते हैं, जैसे थकान से भरे रहना, कमजोरी महसूस करना, पर्सनालिटी में बदलाव आना और याददाश्त का कमजोर होना आदि।

All Image Credit: Freepik

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