Tips For Breastfeeding A Sleepy Baby in Hindi: मां का दूध शिशु के लिए सबसे पहला और जरूरी आहार होता है। शिशु के बेहतर शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के लिए मां का दूध बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। मां के दूध से शिशु को न सिर्फ पोषण मिलता है, बल्कि ये उनके इम्यून सिस्टम को मजबूत करने में भी मदद करता है। हर मां अपने बच्चे के जन्म के बाद शिशु को सिर्फ अपना दूध पिलाने की कोशिश करती हैं। कई बार माताओं के लिए शिशुओं को दूध पिलाना एक मुश्किल टास्क बन जाता है। खासकर जब शिशु दूध पीने के दौरान सो जाते हैं। सोते हुए शिशुओं के पेट को भरने के लिए उन्हें दूध पिलाना नई मांओं के लिए मुश्किल हो जाता है। ऐसे में आइए लखनऊ के मा-सी केयर क्लीनिक की आयुर्वेदिक डॉक्टर और स्तनपान सलाहकार डॉ. तनिमा सिंघल से जानते हैं कि सोते हुए शिशु को दूध पिलाने के लिए क्या करें?
नींद में सो रहे बच्चे को ब्रेस्टफीडिंग कैसे कराएं? - How To Breastfeed A Sleeping Baby in Hindi?
1. हल्की उत्तेजना देना
जब शिशु नींद में हो या फीडिंग करने के दौरान ही सो जाए तो उसे धीरे-धीरे जगाने के लिए हल्का स्पर्श करें। आप अपने शिसु के पैरों के तलवे को हल्के से गुदगुदाएं, कानों, गालों या ठोड़ी को हल्के हाथ से सहलाएं, उसकी हथेलियों या पीठ पर हल्की मालिश करें। इस तरह शिशु के शरीर के अलग-अलग अंगों को छुने से बच्चा नींद से जाग जाता है क इन कोमल तरीकों से शिशु धीरे-धीरे सतर्क हो जाता है और फिर से दूध पीने लगता है।
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2. त्वचा से त्वचा का संपर्क
स्तनपान से पहले शिशु को अपनी छाती पर नंगे शरीर के साथ रखने से वह सुरक्षित और आरामदायक महसूस करता है और अगर हल्की नींद में हो तो जाग जाता है। मेडिकल की भाषा में इसे कंगारू केयर भी कहा जाता है। ऐसा करने से शिशु को मां के शरीर की गर्मी मिलती है और उसे सुरक्षित महसूस होता है। दूध पिलाने का स्वाभाविक संकेत (rooting reflex) एक्टिव हो जाता है। साथ ही मां और शिशु के बीच इमोशनल कनेक्शन बनता है।
3. दूध निकालकर शिशु को जगाना
स्तनपान शुरू करने से पहले अपने ब्रेस्ट से थोड़ी मात्रा में दूध निकालें और उसे शिशु के होंठों या जीभ पर लगाएं। इससे शिशु को दूध की खुशबू और स्वाद मिलता है, जिससे उनकी इंद्रियां एक्टिव हो जाती हैं। ऐसा करने से शिशु का ध्यान स्तन की ओर जाता है और वह ठीक तरह से नींद से उठकर दूध पीने लगता है।
4. दिन-रात का अंतर बताएं
नवजात शिशुओं के लिए दिन और रात का कोई फर्क नहीं होता। इसलिए, आप उनको इन दोनों में अंतर बताने के लिए, दिन के समय ब्रेस्टफीडिंग करवाते समय नेचुरल रोशनी में फीड कराएं ताकि शिशु धीरे-धीरे दिन और रात के बीच अंतर समझने लगे। रात में धीमी रोशनी में और बिना बात किए फीड कराने की कोशिश करें। इससे शिशु का स्लीप साइकिल धीरे-धीरे ठीक होता है और वे दिन के समय फीडिंग के लिए ज्यादा एक्टिव रहते हैं।
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5. जरूरत पड़ने पर चम्मच का यूज
अगर शिशु बहुत ज्यादा नींद में है और पर्याप्त मात्रा में दूध नहीं पी पा रहा है तो डॉक्टर की सलाह से आप कुछ समय तक चम्मत या सिरिंज की मदद से अपने शिशु को दूध पिला सकते हैं। यह उपाय अस्थायी रूप से अपनाने की कोशिश करें और शिशु को धीरे-धीरे ब्रेस्ट से ही सीधे दूध पिलाने की कोशिश करें।
निष्कर्ष
गहरी नींद में सो रहे शिशु को ब्रेस्टफीड कराना काफी मुश्किल हो सकता है, लेकिन इन टिप्स को फॉलो करने से आपके लिए अपने शिशु को हल्की नींद में भी दूध पिलाना आसान हो सकता है। लेकिन, फिर भी अगर आपको किसी तरह की समस्या होती है तो अपने डॉक्टर से कंसल्ट करें।
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FAQ
बच्चों को कितनी बार दूध पिलाना चाहिए?
नवजात शिशुओं को आमतौर पर दिन में 8 से 12 बार ब्रेस्टफीडिंग करवाना चाहिए और हर 2 से 3 घंटे में एक बार। लेकिन, ध्यान रहे जैसे-जैसे शिशु बड़े होते हैं उनके ब्रेस्टफीडिंग की संख्या कम हो जाती है, क्योंकि उनका एक फिक्स शेड्यूल होने लगता है।ब्रेस्टफीडिंग के क्या फायदे हैं?
ब्रेस्टफीडिंग मां और बच्चे दोनों के स्वास्थ्य के लिए बहुत फायदेमंद होता है। बच्चे को मां के दूध से हर जरूरी पोषक तत्व मिलता है, जो उनके शरीर के बेहतर विकास के लिए जरूरी है और मां के शरीर में भी हार्मोन्स संतुलित रहता है।शिशु को कितने महीने तक मां का दूध पिलाना चाहिए?
शिशु को कम से कम 6 महीने तक सिर्फ मां का दूध पिलाना चाहिए और उसके बाद भी कम से कम 1 साल की उम्र तक ब्रेस्टफीडिंग जारी रखना चाहिए।