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इंसेफेलाइटिस (मस्तिष्क में सूजन) की जांच कैसे होती है? जानें क‍िस एज ग्रुप के लोगों में रहता है ज्यादा जोखिम

Encephalitis Diagnosis: इंसेफेलाइट‍िस को आम भाषा में द‍िमागी सूजन कहते हैं। हाल ही में इस बीमारी के मामले असम में तेजी से बढ़ते द‍िखे।
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इंसेफेलाइटिस (मस्तिष्क में सूजन) की जांच कैसे होती है? जानें क‍िस एज ग्रुप के लोगों में रहता है ज्यादा जोखिम


Encephalitis Diagnosis Test: इंसेफेलाइटिस (Encephalitis) एक गंभीर न्यूरोलॉजिकल स्थिति है जो द‍िमाग में सूजन का कारण बनता है। गंभीर मामलों में इंसेफेलाइटिस के कारण बेहोशी, कोमा, बोलने या समझने में कठ‍िनाई भी हो सकती है। इंसेफेलाइटिस मौत का कारण भी बन सकता है। इस बीमारी में द‍िमागी सूजन वायरस, बैक्टीरिया, फंगल इन्फेक्शन या इम्यून सिस्टम की प्रतिक्रिया के कारण हो सकती है। इंसेफेलाइटिस होने पर बुखार, स‍िर दर्द, उल्‍टी, मतली, भ्रम, दौरे, बाेलने या सुनने में कठ‍िनाई महसूस होती है। इंसेफेलाइटिस बीमारी के कुछ प्रकार, इंसानों में मच्‍छर के जर‍िए भी फैलते हैं। इंसेफेलाइटिस का पता लगाने के ल‍िए डॉक्‍टर कई प्रकार की जांच की मदद लेते हैं। इस लेख में हम जानेंगे इंसेफेलाइटिस का पता कैसे लगाया जाता है। इस व‍िषय पर बेहतर जानकारी के ल‍िए हमने लखनऊ के संजय गांधी पोस्ट ग्रेजुएट इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज में हॉस्‍प‍िटल मैनेजमेंट के एचओडी डॉ राजेश हर्षवर्धन से बात की।

इंसेफेलाइटिस की जांच कैसे की जाती है?- Encephalitis Diagnosis in Hindi

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इंसेफेलाइटिस एक गंभीर न्यूरोलॉजिकल स्थिति है, जो मस्तिष्क में सूजन का कारण बनती है। इस स्थिति की जांच और इलाज के लिए कई प्रकार के टेस्ट की मदद ली जाती है। जाता है-

  • पॉलिमरेज चेन रिएक्शन (PCR) एक एडवांस तकनीक है जो वायरल डीएनए या आरएनए का पता लगाने के लिए उपयोग की जाती है। इसका उपयोग इंसेफेलाइटिस के कारण की पुष्टि के लिए किया जाता है, खासकर वायरल संक्रमण के मामलों में।
  • डॉक्टर सबसे पहले मरीज के लक्षणों और मेडिकल इतिहास की जानकारी लेते हैं। लक्षणों में बुखार, सिरदर्द, उल्टी, मानसिक स्थिति में बदलाव, चक्कर आना, और मांसपेशियों में कमजोरी शामिल हो सकते हैं।
  • मस्तिष्क की स्‍थ‍ित‍ि जानने के ल‍िए एमआरआई (MRI) की मदद ली जाती है। इससे मस्तिष्क में सूजन, संक्रमण या ट्यूमर की पहचान हो सकती है।
  • खून का थक्का या अन्य असामान्यताएं देखने के ल‍िए सीटी स्कैन (CT Scan) की मदद भी ली जा सकती है। 
  • स्पाइनल टैप (Spinal Tap) भी एक जांच है ज‍िसमें कमर के निचले हिस्से से सुई द्वारा स्पाइनल फ्लुइड निकाला जाता है। इस द्रव की जांच की जाती है ताक‍ि इंफेक्‍शन, सूजन या अन्य असामान्यताओं की पहचान की जा सके। 
  • ब्‍लड टेस्‍ट से इंसेफेलाइटिस के कारण होने वाले वायरस या बैक्टीरिया की पहचान की जा सकती है। 
  • इसके अलावा, अन्य परीक्षण जैसे कि यूरिन टेस्ट, थ्रोट स्वैब और नाक के नमूने का परीक्षण भी किया जा सकता है ताकि संक्रमण के स्रोत का पता लगाया जा सके।
  • कुछ मामलों में, मस्तिष्क के ट‍िशूज की बायोप्सी (Biopsy) की जा सकती है। 
  • सीरोलॉजिकल टेस्ट (Serological Test) का इस्‍तेमाल विशेष रूप से वायरल इंसेफेलाइटिस की जांच के लिए क‍िया जाता है।

इसे भी पढ़ें- इंसेफेलाइटिस (दिमागी सूजन) कितने प्रकार का होता है? जानें इनके लक्षण और गंभीरता 

इंसेफेलाइटिस का इलाज- Encephalitis Treatment in Hindi

  • अगर इंसेफेलाइटिस का कारण वायरल संक्रमण है, तो एंटीवायरल दवाओं से इंसेफेलाइट‍िस का इलाज किया जाता है।
  • अगर इंसेफेलाइटिस का कारण बैक्टीरिया या फंगस है, तो एंटीबायोटिक्स या एंटीफंगल दवाओं का इस्‍तेमाल किया जाता है। 
  • मस्तिष्क की सूजन को कम करने के लिए स्टेरॉयड दवाओं का इस्‍तेमाल किया जाता है। ये दवाएं सूजन और उससे जुड़ी समस्याओं को कम करने में मदद करती हैं।
  • मरीज को हाइड्रेटेड रखने और इलेक्ट्रोलाइट्स का संतुलन बनाए रखने के लिए आईवी फ्लूइड्स दिए जाते हैं।
  • लंबी अवधि के इंसेफेलाइटिस के बाद, मरीज की मांसपेशियों की ताकत को फ‍िर से प्राप्त करने के लिए फि‍जियोथेरेपी की जरूरत हो सकती है।

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image credit: mayoclinic, nitrocdn.com

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