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वायरस और बैक्‍टीर‍िया की वजह से हो सकती है दिमाग में सूजन, जानें वायरल और बैक्टीरियल इंसेफेलाइटिस में अंतर

Encephalitis in Hindi: द‍िमागी सूजन को इंसेफेलाइटिस कहते हैं। इस बीमारी में व्‍यक्‍त‍ि को तेज बुखार आता है और स‍िर दर्द जैसे लक्षण नजर आते हैं। 
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वायरस और बैक्‍टीर‍िया की वजह से हो सकती है दिमाग में सूजन, जानें वायरल और बैक्टीरियल इंसेफेलाइटिस में अंतर

Viral and Bacterial Encephalitis Difference: मुजफ्फरपुर के दो बच्‍चों में जापानी इंसेफेलाइट‍िस की पुष्टि हुई है। असम में भी जापानी इंसेफेलाइट‍िस के मामले तेजी से बढ़े हैं। डेंगू, मलेर‍िया, कोव‍िड, मंकीपॉक्‍स के कहर के साथ-साथ अब भारत और यूएस को इंसेफेलाइट‍िस के ख‍िलाफ भी जंग लड़नी पड़ रही है। यह बीमारी वायरस, बैक्टीरिया, फंगस या अन्य सूक्ष्मजीवों के संक्रमण से हो सकती है। यह रोग विशेष रूप से कमजोर इम्‍यून‍िटी वाले व्यक्तियों, बच्चों और बुजुर्गों में ज्‍यादा पाया जाता है। कई प्रकार के इंसेफेलाइट‍िस होते हैं, लेक‍िन मुख्‍य तौर पर वायरल और बैक्‍टीर‍ियल इंसेफेलाइट‍िस का नाम सुनने को म‍िलता है। इनके कुछ लक्षण कॉमन और कुछ अलग हो सकते हैं। इस लेख में हम जानेंगे वायरल और बैक्‍टीर‍ियल इंसेफेलाइट‍िस में अंतर। इस व‍िषय पर बेहतर जानकारी के ल‍िए हमने लखनऊ के संजय गांधी पोस्ट ग्रेजुएट इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज में हॉस्‍प‍िटल मैनेजमेंट के एचओडी डॉ राजेश हर्षवर्धन से बात की। 

वायरल और बैक्‍टीर‍ियल इंसेफेलाइटिस में अंतर- Difference Between Viral and Bacterial Encephalitis 

viral and bacterial encephalitis difference

वायरल और बैक्‍टीर‍ियल इंसेफेलाइटिस (मस्तिष्क में सूजन) के बीच मुख्य अंतर उनके लक्षण, कारण और इलाज में होता है-

  1. वायरल इंसेफेलाइटिस वायरस के कारण होता है, जैसे कि हर्पीज सिंप्लेक्स वायरस (HSV), वेस्ट नाइल वायरस और जापानी इंसेफेलाइटिस वायरस। दूसरी ओर बैक्‍टीरियल इंसेफेलाइटिस बैक्टीरिया के कारण होता है।
  2. वायरल इंसेफेलाइटिस में बुखार, सिरदर्द, थकान, मांसपेशियों में दर्द और कभी-कभी मानसिक भ्रम, दौरे और बोलने या सुनने में कठिनाई हो सकती है। दूसरी ओर बैक्‍टीरियल इंसेफेलाइटिस के लक्षण बहुत तेजी से उभर सकते हैं और इसमें तेज बुखार, सिरदर्द, उल्टी, गर्दन में अकड़न जैसी समस्‍याएं शामिल हो सकते हैं।
  3. वायरल इंसेफेलाइटिस होने पर आमतौर पर हल्का होता है और कुछ हफ्तों में ठीक हो सकता है, हालांकि कुछ मामलों में यह गंभीर हो सकता है। दूसरी ओर, बैक्‍टीरियल इंसेफेलाइटिस ज्‍यादा गंभीर हो सकता है और समय पर इलाज न मिलने पर जानलेवा हो सकता है।
  4. वायरल इंसेफेलाइटिस के इलाज के ल‍िए एंटीवायरल दवाओं की मदद ली जाती है और बैक्‍टीरियल इंसेफेलाइटिस होने पर एंटीबायोटिक्स दवाओं का इस्‍तेमाल क‍िया जाता है।
  5. वायरल इंसेफेलाइटिस से बचने के ल‍िए वैक्सीनेशन और मच्छरों से बचाव क‍िया जाता है वहीं दूसरी ओर बैक्‍टीरियल इंसेफेलाइटिस से बचने के ल‍िए संक्रमण न‍ियंत्रण और टीकाकारण की मदद ली जाती है। 

क्‍या इंसेफेलाइटिस जानलेवा बीमारी है?- Can Encephalitis Cause Death

हां यह एक जानलेवा बीमारी है। डॉ राजेश हर्षवर्धन ने बताया क‍ि लोग आजकल बुखार को गंभीरता से नहीं लेते। वे कोई भी दवा खाकर सोचते हैं क‍ि यह बुखार ही, तो है इसके ल‍िए डॉक्‍टर के पास क्‍या जाना। लोग ओवर-द-काउंटर दवाएं खाकर बेफिक्र हो जाते हैं। लेक‍िन बुखार होना- कोव‍िड, डेंगू, मलेर‍िया, मंकीपॉक्‍स और इंसेफेलाइटिस जैसी गंभीर बीमार‍ियों का मुख्‍य लक्षण हो सकता है।इंसेफेलाइटिस एक जानलेवा बीमारी हो सकती है खासकर अगर इसका समय पर सही इलाज नहीं किया जाए। इंसेफेलाइटिस में मस्तिष्क की सूजन होती है, जो मस्तिष्क के कार्यों को प्रभावित कर सकती है। इसके गंभीर मामलों में दौरे, मानसिक भ्रम, कोमा और यहां तक कि मौत भी हो सकती है। बच्चों, बुजुर्गों और कमजोर इम्‍यून‍िटी वाले लोगों में इंसेफेलाइटिस का खतरा ज्‍यादा होता है। इसलिए, इंसेफेलाइटिस के लक्षणों की पहचान और तुरंत इलाज करवाना बेहद जरूरी है। समय पर इलाज करवाने से इस बीमारी की गंभीरता को कम किया जा सकता है और जीवन बचाया जा सकता है।

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imgae credit: britishjournalofnursing.com, ddnews

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