Benefits of Seed Cycling: पीरियड्स से लेकर मेनोपॉज फेज तक महिलाओं में कई हार्मोनल बदलाव होते हैं। इन बदलावों का असर महिला के शरीर पर तो पड़ता ही है, साथ ही सबसे ज्यादा असर रिप्रोडक्टिव हेल्थ पर देखने को मिलता है। अगर शरीर में हार्मोन्स असंतुलित हो जाते हैं, तो इससे पीरियड्स इर्रेगुलर होना, पीसीओएस और पीसीओडी या फर्टिलिटी इशुज जैसी समस्याएं होने लगती हैं। महिलाओं की इन समस्याओं को कंट्रोल रखने के लिए सीड साइकिलिंग फायदेमंद होती है। इसमें अलग-अलग सीड्स का सेवन किया जाता है। लेकिन क्या आप जानते हैं हार्मोन्स बैलेंस के लिए यह कैसे फायदेमंद है? सीड्स साइकिलिंग कैसे की जाती है? इस बारे में जानकारी देते हुए न्यूट्रिशनिस्ट और डायटिशियन शिखा कुमारी ने इंस्टाग्राम पर वीडियो शेयर किया है। आइए इस लेख के माध्यम से समझें सीड साइकिलिंग के बारे में।
सीड साइकिलिंग क्या होती है? What is Seed Cycling
सीड साइकिलिंग एक प्रकार की प्रक्रिया है, जिसमें अलग-अलग तरह के बीजों का सेवन करना होता है। जब किसी महिला को अनियमित मासिक धर्म और पीसीओडी या फर्टिलिटी इशुज जैसी हार्मोनल अंसुलन की परेशानी होती है, तो उसे सीड साइकिलिंग करने की सलाह दी जाती है। यह एक नेचुरल प्रोसेस है जिसमें डाइट में अलग-अलग बीजों को शामिल करना होता है। हर फेज में अलग-अलग बीजों का सेवन करना होता है, जिससे हार्मोन्स संतुलित होने में मदद मिलती है।
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सीड साइकिलिंग कैसे की जाती है? How To Do Seed Cycling
सीड साइकिलिंग दो फेज में की जाती है। इसमें पहले फेज को फॉलिक्यूलर फेज और दूसरे फेज को ल्यूटस फेज कहा जाता है।
फॉलिक्यूलर फेज- Follicular Phase
पहला फेज यानी फॉलिक्यूलर फेज पीरियड्स के पहले दिन से शुरू होकर 14 दिन तक चलता है। इस फेज के दौरान महिला को अलसी के बीज और कद्दु के बीजों का सेवन करना होता है। अगर आप भी सीड साइकिलिंग कर रहे हैं, तो इन दोनों बीजों को बराबर मात्रा में लेकर इनका पाउडर तैयार कर लें। इस मिक्स पाउडर से रोज एक चम्मच पाउडर ब्रेकफास्ट से पहले लेना होता है। ध्यान रखें कि इसके सेवन के आधे घंटे बाद तक कुछ नहीं खाना होता है।
ल्यूटस फेज- Luteal Phase
सीड साइकिलिंग के दूसरे फेज को ल्यूटस फेज कहा जाता है। इसमें 15 वें दिन से लेकर 28 वें दिन तक चलता है। इसमें आपको सफेद तिल के साथ सूरजमुखी के बीजों का सेवन करना होता है। सेवन करने के लिए इन दोनों तिल को बराबर मात्रा में मिलाकर पाउडर बना लेना है। इसे भी नाशते से पहले एक चम्मच खाना है। साथ ही इसके सेवन के 30 मिनट तक कुछ खाना-पीना नहीं है।
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सीड साइकिलिंग कैसे काम करती है? How Seed Cycling Works
सीड साइकिलिंग यानी प्राकृतिक बीजों के सेवन से हार्मोन्स में संतुलन बनाना। फॉलिक्यूलर फेज में अलसी के बीज और कद्दु के बीज का सेवन करना होता है। इन दोनों बीजों में जिंक और ओमेगा-3 फैटी एसिड होते हैं। ये शरीर में एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन हार्मोन के संतुलन में मदद करते हैं। वहीं दूसरे फेज में सफेद तिल के साथ सूरजमुखी के बीजों का सेवन करते हैं। इन दोनों के सेवन से भी एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन हार्मोन्स को बैलेंस करने में मदद मिलती है। इससे रिप्रोडक्टिव हेल्थ से जुड़ी कई परेशानियों में मदद मिलती है।
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