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क्या एक प्रेगनेंसी के बाद दूसरी में आ रही है परेशानी? जानें सेकेंड्री इंफर्टिलिटी का कारण और बचाव

आजकल सेकेंड्री इंफर्टिलिटीभी तेजी से बढ़ रही है। इसकी वजह जानकर आप इस समस्या से बच सकते हैं या जरूरी उपचार करवा सकते हैं।
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क्या एक प्रेगनेंसी के बाद दूसरी में आ रही है परेशानी? जानें सेकेंड्री इंफर्टिलिटी का कारण और बचाव


What Is Secondary Infertility In Hindi: एक बच्चे के जन्म के बाद जब दूसरी बार गर्भधारण करने में दिक्कत हो, तो उस स्थिति को सेकेंड्री इंफर्टिलिटीकहा जाता है। आज के समय में सेकेंड्री इंफर्टिलिटी की केसेज तेजी से बढ़ रहे हैं। आमतौर पर देखने में आता है कि हर कोई इंफर्टिलिटी यानी बांझपन पर खूब चर्चा कर रहा है, लेकिन सेकेंड्री इंफर्टिलिटी के बारे में ज्यादा बात नहीं की जाती है। वास्तव में, यह भी बांझपन का एक सामान्य रूप है। इसके बारे में सबको पता होना चाहिए ताकि कपल्स समय रहते अपना इलाज कर सकें और जरूरत अनुसार अपने परिवार को पूरा कर सकें। पेश है, मदर्स लैप आईवीएफ सेंटर की मेडिकल डायरेक्टर व आईवीएफ विशेषज्ञ डॉक्टर शोभा गुप्ता के साथ इस संबंध में बातचीत के जरूरी अंश।

what is secondary infertility

सेकेंड्री इंफर्टिलिटी के कारण

महिलाओं में

  • एक्टोपिक गर्भधारण के कारण फैलोपियन ट्यूब को नुकसान
  • पूर्व गर्भधारण के दौरान हुई परेशानियां जैसे कि सी-सेक्शन
  • रुकावट जो फाइब्रॉएड के कारण होती है
  • मातृ आयु में वृद्धि और अंडे का कम उत्पादन

पुरुषों में

  • बढ़ती उम्र, वजन बढ़ना, अत्यधिक धूम्रपान और शराब पीना
  • कुछ दवाओं का उपयोग
  • शुक्राणु उत्पादन में कमी और वितरण

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सेकेंड्री इंफर्टिलिटी के बचाव

  • सेकेंड्री इंफर्टिलिटी एक जोड़े के लिए बहुत ही निराशा और भ्रमित करने जैसा हो सकता है। दरअसल, जो कपल पहली बार बिना किसी रुकावट के पेरेंट्स बन सके, उन्हें अगर सेकेंड टाइम में ऐसी प्रॉब्लम आए, तो उनके लिए यह चिंता का विषय हो सकता है। ऐसा आपके साथ न हो, इसके लिए यहां दिए गए उपायों को आजमा सकते हैं-
  • गलत खान-पान के साथ महिलाओं में आलस्य, प्राइमरी इंफर्टिलिटी के साथ-साथ सेकेंड्री इंफर्टिलिटी की संभावना को भी बढ़ाती है। इसके साथ ही, शहरी जीवनशैली और फास्ट फूड ज्यादा खाना इस समस्या को और भी बढ़ाता है। ऐसे में जरूरी है कि महिलाएं एवं पुरुष अपने खानपान और जीवनशैली को संतुलित रखने की कोशिश करें।
  • आमतौर पर महिलाएं अपना पहला बच्चा 30 साल की उम्र तक कर लेती हैं। इस उम्र तक महिलाओं में फर्टिलिटी से जुड़ी समस्याएं कम होती हैं। जबकि इस उम्र के बाद महिलाओं में इंफर्टिलिटी की चासेंज बढ़ जाते हैं। इसलिए कोशिश करें कि उस उम्र तक बच्चा हो जाए, जब आप सबसे ज्यादा फर्टाइल होते हैं।
  • महिलाओं के अलावा, पुरुषों को भी अपने स्वास्थ्य का ध्यान रखना चाहिए। पुरुषों को अपनी बढ़ती आयु, मोटापा को लेकर सावधान रहना चाहिए। याद रखें कि बढ़ती उम्र और मोटापे की वजह से शुक्राणु की संख्या में कमी आती है और गुणवत्ता में भी गिरावट आती है। इसका सीधे-सीधे तौर पर प्रजनन क्षमता पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
  • सेकेंड्री इंफर्टिलिटी न हो, इसके लिए पहले बच्चे के होने के बाद दूसरे बच्चे में तीन साल से अधिक गैप नहीं रखना चाहिए।
  • अगर महिलाओं को दूसरी प्रेग्नेंसी देर से करनी है, तो वे अपने अंडों को संरक्षित यानी एग फ्रीज कर सकती हैं।

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उपचार

सेकेंड्री इंफर्टिलिटीका उपचार बांझपन की दवाओं से लेकर आईयूआई ट्रीटमेंट या आईवीएफ ट्रीटमेंट के जरिए किया जा सकता है। यह पूरी तरह इस बात पर निर्भर करता है कि महिला और पुरुष की जांच करने के बाद डॉक्टर ट्रीटमेंट के लिए किस रास्ते को चुनते हैं।

 

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