
हमारे शरीर और दिमाग के लिए अच्छी नींद बहुत जरूरी है। अगर आपकी नींद पूरी नहीं होगी, तो सेहत से संबंधित समस्याएं होने लगती हैं। अक्सर लोग इसे सामान्य थकान या स्ट्रेस समझकर नजरअंदाज कर देते हैं, लेकिन नींद की समस्या स्लीप एपनिया, रेस्टलेस लेग सिंड्रोम या अन्य स्लीप डिसऑर्डर हो सकता है। ऐसे मामलों में, पॉलीसोम्नोग्राफी टेस्ट (Polysomnography Test) किया जाता है। यह एक विशेष स्लीप स्टडी टेस्ट है जो नींद के दौरान शरीर की विभिन्न गतिविधियों को रिकॉर्ड करता है और सही इलाज में डॉक्टर की मदद करता है। आइए जानते हैं, यह टेस्ट कैसे काम करता है और किसे इसकी जरूरत पड़ती है। इस विषय पर बेहतर जानकारी के लिए हमने लखनऊ के केयर इंस्टिट्यूट ऑफ लाइफ साइंसेज की एमडी फिजिशियन डॉ सीमा यादव से बात की।
पॉलीसोम्नोग्राफी टेस्ट क्या होता है?- What Is Polysomnography Test
- पॉलीसोम्नोग्राफी टेस्ट, एक डिटेल्ड स्लीप स्टडी है जिसमें नींद के दौरान ब्रेन वेव्स, हार्टबीट, ऑक्सीजन लेवल, रेस्पिरेशन और मसल मूवमेंट्स को रिकॉर्ड किया जाता है।
- इसके लिए मरीज को रातभर स्लीप लैब में रखा जाता है और सेंसर व इलेक्ट्रोड्स की मदद से पूरी निगरानी की जाती है।
- यह टेस्ट नींद में होने वाले रुकावटों, असामान्य सांस लेने के पैटर्न और अन्य विकारों का सटीक पता लगाता है।
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पॉलीसोम्नोग्राफी टेस्ट की प्रक्रिया- Procedure Of Polysomnography Test
- पॉलीसोम्नोग्राफी टेस्ट से पहले मरीज को कैफीन, एल्कोहल और नींद प्रभावित करने वाली दवाओं से बचने की सलाह दी जाती है।
- स्लीप लैब में रातभर रुकने के दौरान मरीज के सिर, चेहरे, छाती और पैरों पर छोटे सेंसर लगाए जाते हैं, जो नींद के हर चरण को मॉनिटर करते हैं।
- नींद के दौरान सांस रुकने की आवृत्ति, ऑक्सीजन लेवल में बदलाव और शरीर की हलचल की पूरी रिकॉर्डिंग होती है। इसके आधार पर डॉक्टर यह तय करते हैं कि मरीज को स्लीप एपनिया, रेस्टलेस लेग सिंड्रोम या अन्य स्लीप डिसऑर्डर है या नहीं।
- पॉलीसोम्नोग्राफी टेस्ट में मरीज को दर्द नहीं होता और जांच के अगले दिन सामान्य दिनचर्या जारी रख सकते हैं।
- पॉलीसोम्नोग्राफी रिपोर्ट के आधार पर सीपीएपी (CPAP) मशीन, दवा या स्लीप हाइजीन सुधारने जैसे इलाज की सलाह दी जाती है।
- पॉलीसोम्नोग्राफी टेस्ट की मदद से मरीज की नींद की गुणवत्ता में सुधार होता है और जीवनशैली से जुड़ी बीमारियों का खतरा भी घटता है।
पॉलीसोम्नोग्राफी टेस्ट की मदद से किन समस्याओं का पता चलता है?- Problems Identify By Polysomnography Test
- पॉलीसोम्नोग्राफी टेस्ट की मदद से खर्राटे, नींद में दम घुटना या सांस रुकने जैसी समस्याओं का पता लगाया जा सकता है।
- जिन लोगों को दिन में ज्यादा नींद आती है, असामान्य थकान होती है या चिड़चिड़ापन महसूस होता है, उन्हें भी पॉलीसोम्नोग्राफी टेस्ट कराने की सलाह दी जाती है।
- स्लीप डिसऑर्डर के कारण ब्लड प्रेशर, डायबिटीज या हार्ट प्रॉब्लम बढ़ने का खतरा हो। इसका पता लगाने के लिए यह टेस्ट किया जाता है।
- पॉलीसोम्नोग्राफी टेस्ट की मदद से नींद की क्वालिटी को सुधारने में मदद मिलती है।
निष्कर्ष:
पॉलीसोम्नोग्राफी टेस्ट उन लोगों के लिए जरूरी है जिन्हें नींद से जुड़ी गंभीर समस्याएं हैं। समय रहते इलाज न केवल नींद की गुणवत्ता को सुधारता है बल्कि हृदय रोग, डायबिटीज जैसी गंभीर बीमारियों के खतरे को भी कम करता है।
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FAQ
पॉलीसोम्नोग्राफी परीक्षण क्या है?
यह एक स्लीप स्टडी टेस्ट है, जो नींद के दौरान ब्रेन वेव्स, सांस, दिल की धड़कन, ऑक्सीजन लेवल और बॉडी मूवमेंट को रिकॉर्ड करके नींद की समस्याओं का पता लगाता है।पॉलीसोम्नोग्राफी टेस्ट किसके लिए होता है?
यह टेस्ट उन लोगों के लिए है जिन्हें खर्राटे, नींद में सांस रुकना, दिन में ज्यादा नींद आना, थकान या अन्य स्लीप डिसऑर्डर के लक्षण महसूस होते हैं।नींद की समस्या को कैसे ठीक करें?
नींद का समय फिक्स करें, कैफीन और स्क्रीन टाइम कम करें, स्ट्रेस घटाएं और जरूरत पड़ने पर डॉक्टर से सलाह लेकर पॉलीसोम्नोग्राफी टेस्ट करवाएं।
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