What Is Mania In Hindi: 28 वर्षीय त्रिवेणी पेशे से व्लॉगर है। फिलहाल भले वह साधारण जिंदगी जी रही है, लेकिन उसका बचपन बहुत ही बुरा बीता था। उसे भावनात्मक और शारीरिक शोषण का शिकार होना पड़ा था। यहां तक कि टीनएज में ही उसके पिता ने उसकी मां को छोड़ दिया था। खुद अवसाद से गुजर रही उसकी मां ने त्रिवेणी के साथ हमेशा बुरा बर्ताव किया। लंबे समय उसकी जिंदगी इसी तरह तनाव में बीती। यही कारण है कि त्रिवेणी एक लंबे समय तक डिप्रेशन में रही और इन सबसे छुटकारा पाने के लिए वह दो बार आत्महत्या की कोशिश भी कर चुकी थी। अपने साथ इतना कुछ होने के बाद भी त्रिवेणी एक्सपर्ट से अपना ट्रीटमेंट नहीं करवा पाई। क्यों? क्योंकि वह फाइनेंशियली स्टेबल नहीं थी। हद तो तब हो गई जब उसे अपनी मां के खर्चों को मैनेज करने के लिए एक्स्ट्रा काम करना पड़ता था, क्योंकि एक उम्र के बाद उसकी मां आर्थिक रूप से त्रिवेणी पर पूरी तरह निर्भर हो चुकी थी। अपनी समस्याओं से डील करने के लिए त्रिवेणी ने कॉलेज के सेकेंड ईयर से ही शराब और स्मोकिंग का सहारा लेना शुरू कर दिया था। बहुत जल्द उसे इन सबकी लत लग गई थी। त्रिवेणी की समस्या यहीं खत्म नहीं होती है। अपनी परेशानियों को भुलाने के लिए वह पब और क्लब जाने लगी और वहां अजनबियों के साथ असुरक्षित शारीरिक संबंध बनाने लगी, अपने स्टेटस को मेंटेन करने के लिए महंगे कपड़े खरीदती और बेवजह पार्टी देने के लिए दूसरों पर बहुत ज्यादा पैसा बर्बाद करती थी। उसे लगता था कि जल्दी ही उसे अपनी पसंद की नौकरी मिल जाएगी और उसके पास पैसों की बरसात होने लगेगी। लेकिन, जब उसके साथ ऐसा कुछ नहीं हुआ, तो उसकी परेशानियों का स्तर बढ़ने लगा था। वह अक्सर अपराधबोध और पछतावे से घरी रहने लगी थी। इसका असर उसकी पर्सनल रिलेशनशिप पर भी पड़ने लगा था। एक समय बाद त्रिवेणी अपने इमोशंस को कंट्राल न कर पाने और बेवजह दुखी होने तथा अचानक खुश होने जैसी मनःस्थिति का शिकार हो गई। असल में, वह मेनिया का शिकार हो चुकी थी। हालांकि, अब वह चाहती थी कि वह अपनी कंडीशन में सुधार कर सके। इसके लिए, इन सबसे बचने के लिए अंतत: उसने एक्सपर्ट की मदद ली। वहां उसे सही ट्रीटमेंट दिया गया और समय के साथ-साथ वह खुद में पॉजिटिव बदलाव महसूस करने लगी थी।
यह केस स्टडी हमारे साथ पुणे स्थित अपोलो में सलाहकार मनोवैज्ञानिक डॉ. श्रेष्ठा बेप्पारी (एमएससी. पीएच.डी.) ने शेयर की है, जो त्रिवेणी का इलाज कर रही हैं। ट्रीटमेंट के दौरान उन्हें पता चला कि त्रिवेणी मेनिया का शिकार है। बचपन में उसके साथ घाटी बुरी घटनाएं इसके लिए मुख्य रूप से जिम्मेदार हैं। ओनलीमायहेल्थ ऐसे मानसिक विकारों और रोगों की बेहतर तरीके से समझने के लिए ‘मेंटल हेल्थ मैटर्स’ नाम से एक विशेष सीरीज चला रहा है। आज इस इस सीरीज में त्रिवेणी की रियल केस स्टडी के जरिए हम आपको ‘मेनिया’ के बारे में बताने जा रहे हैं।
मेनिया क्या है- What Is Mania In Hindi
मेनिया, जिसे हम हिंदी में उन्माद कहते हैं। डॉ. श्रेष्ठा बेप्पारी कहती हैं, “यह एक तरह की मनोवैज्ञानिक स्थिति है। इस कंडीशन में व्यक्ति अपने सामान्य व्यवहार या मूड में बदलाव महसूस करता है। यह कोई छोटा-मोटा परिवर्तन या बदलाव नहीं होता है। इस कंडीशन में व्यक्ति अचानक किसी भी इमोशंस में ढल जाता है। कभी वह खुश होता है, तो कभी बहुत दुखी हो जाता है। यह इतना तीव्र होता है कि आसपास के लोग मरीज के व्यवहार की अनदेखी नहीं कर सकते हैं। असल में, मेनिक एपिसोड बाइपोलर डिसऑर्डर I का कैरेक्टर है, जिसे मैनिक डिप्रेसिव इलनेस (Manic Depressive Illness) के नाम से जाना जाता है। वास्तव में बाइपोलर डिसऑर्डर एक प्रकार का मूड डिस्ऑर्डर है। इसमें दो तरह के मूड देखे जा सकते हैं, डिप्रेशन और मेनिया।
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मेनिक एपिसोड के लक्षण- Symptoms Of Mania
- यूफोरिया (Euphoria) की अनुभूति होना यानी बहुत ज्यादा खुश होना
- नींद न आना या सोने की चाहत न होना
- बहुत ज्यादा बोलना और बोलने की स्पीड तेज होना
- एक ही समय में बहुत सारे विषयों पर सोचना
- फोकस की कमी, आसानी से ध्यान भटक जाना
- खुद को ऐसी गतिविधियों में शामिल करना जो सामाजिक रूप से सही न हो
- अस्थिर व्यवहार और बेचैनी
- आवेगपूर्ण फैसले करना, जैसे कभी अचानक अपने सारे पैसे दान कर देना या फिर बेवजह बहुत ज्यादा शॉपिंग कर लेना
- किसी काम पर सही तरह से कंट्रोन न होना
- सेक्सुअल एक्टिविटी का बढ़ जाना
- आत्मसम्मान का बढ़ना
मेनिया के विभिन्न चरण- Different Stages Of Mania
हाइपोमेनिया (Hypomania): इस कंडीशन में लोगों को इतने गंभीर लक्षण नजर नहीं आएंगे कि व्यक्ति की रोजमर्रा की जिंदगी प्रभावित हो सके या फिर कामकाज में किसी तरह की बाधा आएं। इस स्थिति में व्यक्ति की भावनाओं में थोड़ा-बहुत बदलाव महसूस किया जाता है, लेकिन इसका कोई गंभीर या नकारात्मक असर देखने को नहीं मिलता है।
डिलूशनल मेनिया (Delusional Mania):इस स्थिति में व्यक्ति डिलूशनल यानी भ्रम में रहता है। गलत होने के बावजूद, वह अपनी बात को इस हद तक सही मानता है कि अगर कोई उसकी बात को कोई काटने की कोशिश करे, तो वह उस पर विश्वास नहीं करता है। यही कारण है कि डिलूशनल मेनिया होने पर व्यक्ति की सामाजिक लाइफ प्रभावित होने लगती है। यहां तक कि डिलूशनल मेनिया के कारण व्यक्ति यह समझ बैठता है कि उसमें विशेष किस्म की शक्ति है, जो सिर्फ उसे दी गई है।
डिलिरियस मेनिया (Delirious mania): इस कंडीशन में व्यक्ति बहुत ज्यादा कंफ्यूज रहता है। डिलिरियस मेनिया होने पर व्यक्ति को अस्पताल में भर्ती करना पड़ सकता है, उसे चौबीस घंटे किसी की देखरेख में रखना होता है और जरूरत पड़ने पर दवा भी दी जाती है।
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मेनिया होने का कारण- Causes Of Mania
मेनिया होने के पीछे कई तरह के कारण जिम्मेदार हो सकते हैं। डॉ. श्रेष्ठा बेप्पारी जोर देकर कहती हैं-
- बाइपोलर I (Bipolar I) के पीछे बायोलॉजिक फैक्टर अहम भूमिका निभाते हैं।
- यह एक तरह की दिमाग की बीमारी है। स्पष्ट शब्दों में कहें, तो डोपामाइन (अतिरिक्त स्राव) और एपिनेफ्रिन में असंतुलन और सेरोटोनिन का निम्न स्तर होने के कारण मेनिया हो सकता है।
- डाइस्टीमिक डिसऑर्डर (Dysthymic disorder) और साइक्लोथैमिक से पीड़ित लोगों में बाइपोलर I होने का रिस्क अधिक होता है।
- बचपन में अगर कोई बुरी घटना घटी है, तो यह भी मेनिया का कारण हो सकता है।
- जिन परिवारों में मानसिक बीमारी या बाइपोलर डिसऑर्डर का इतिहास है, उन घरों की भावी पीढ़ी में यह समस्या देखी जा सकती है।
- किसी प्रियजन की मृत्यु, तलाक, अलगाव, शारीरिक या मानसिक शोषण आदि जैसी घटनांए भी मेनिया के लिए जिम्मेदार ठहराई जा सकती हैं।
- मेडिकल साइंस का मानना है कि कुछ स्थितियों जैसे, स्ट्रोक, डिमेंशिया, सीजनल अफेक्टिव डिसऑर्डर, ब्रेन इंजरी आदि भी बाइपोलर के साइड इफेक्ट के रूप में देखे जा सकते हैं।
मेनिया का निदान- Diagnosis And Treatment Of Mania
मेनिया के इलाज के लिए कई तरह की चीजों को ध्यान में रखा जाता है। कई बार सिर्फ लक्षणों के आधार पर यह तय नहीं होता है कि व्यक्ति को मेनिया है। कभी-कभी अन्य किसी बीमारी के लक्षण, मेनिया के लक्षणों जैसे नजर आ सकते हैं। विशेषकर, शारीरिक लक्षण। डॉ. श्रेष्ठा बेप्पारी बताती हैं, “इस संबंध में पहले मरीज का ब्लड टेस्ट किया जाता है और यह पता लगाया जाता है कि व्यक्ति को कोई और बीमारी तो नहीं है। इसके अलावा, मरीज का फैमिली बैकग्राउंड और उसकी मेडिकल हिस्ट्री भी इस संबंध में काफी मायने रखती है। Diagnostic and statistical manual DSM IV में इस स्थिति के लिए विस्तृत मानदंड दिए गए हैं, जिनके आधार पर इस बीमारी का निदान किया जा सकता है। इसके बाद, मरीज के इलाज के लिए दवा दी जाती है और साइकोथेरेपी के लिए एक्सपर्ट के पास भेजा जा सकता है।
मेनिया के मरीजों की मदद कैसे करें- Helping Someone With Mania
अगर आपके घर में भी कोई मेनिया का मरीज है, तो इस संबंध में जरूरी है कि आप उचित कदम उठाएं, ताकि मरीज की मदद कर सकें। डॉ. श्रेष्ठा बेप्पारी सलाह देती हैं-
- खुद को इस बीमारी के बारे में एजुकेट करें। ध्यान रखें, यह एक गंभीर मेंटल हेल्थ कंडीशन है।
- मरीज के प्रति भावनात्मक रवैया रखें। उसकी भावनाओं को समझने की कोशिश करें।
- मेनिया के मरीज की वजह से अक्सर घर में अन्य लोगों की पर्सनल-प्रोफेशनल और सोशल लाइफ प्रभावित होती है। ऐसे में जरूरी है कि आप आप समय-समय पर एक्सपर्ट से मिलें और मरीज की मौजूदा स्थिति के बारे में जानकारी रखें।
- घर में नेगेटिव माहौल बनाने से बचें। ध्यान रखें कि अगर घर के महौल में तनाव रहेगा, तो इससे मरीज की हेल्थ भी इफेक्ट हो सकती है।
- मरीज को उन चीजों से बचाए रखें, जिससे की उसकी कंडीश्न ट्रिगर हो सकती है और वह डिप्रेशन में जा सकता है।
- मरीज की डाइट, लाइफस्टाइल, एक्सरसाइज और हेल्दी जीवनशैली पर फोकस करें। ऐसा करने पर उसके स्वास्थ्य में सुधार की संभावना बनी रहती है।
- कॉग्नीटिव बिहेवियर थेरेपी (Cognitive Behaviour Therapy) से मरीज को काफी मदद मिल सकती है।
त्रिवेणी की तरह अगर आपके आसपास कोई मेनिया का शिकार है, तो उसका प्रॉपर ट्रीटमेंट करवाएं। इस लेख में हम ‘मेनिया’ से जुड़ी सभी जरूरी जानकारी दे रहे हैं। अगर फिर भी आपके मन में कोई सवाल रह जाए, तो हमारी वेबसाइट www.onlymyhealth.com में Social Phobia से जुड़े दूसरे लेख पढ़ें या हमारे सोशल प्लेटफार्म से जुड़ें।
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