Doctor Verified

सोशल फोबिया क्या है और क्यों होता है ? 30 वर्षीय जगदीश की केस स्टडी से समझें

सोशल फोबिया एक तरह का मानसिक विकार है। ऐसा होने पर व्यक्ति भीड़ भरे इलाकों में जाने से कतराता है और दूसरों से अपने मन की बात भी शेयर नहीं कर पाता है।
  • SHARE
  • FOLLOW
सोशल फोबिया क्या है और क्यों होता है ? 30 वर्षीय जगदीश की केस स्टडी से समझें


"30 वर्षीय जगदीश बचपन से ही काफी शर्मीला किस्म का लड़का था। उसके दोस्त कम थे और काफी इंट्रोवर्ट रहता था। टीनेज खत्म करते-करते जगदीश का शर्मीलापन काफी बढ़ गया कि उसे लोगों के बीच एंग्जाइटी सी महसूस होने लगी थी। यह बात उसने खुद ट्रीटमेंट के दौरान मुझसे शेयर की थी। वह स्कूल के फंक्शंस अटेंड करने से बचता था। यहां तक बड़े होने के बाद भी उसने सोशल इवेंट्स पर जाना बंद कर दिया था। असल में, उसे लगता था कि लोग उसे जज करते हैं। इस वजह से वह शर्मिंदगी महसूस करता था। वह कई बार बहुत ज्यादा ऑकवर्ड पोजीशन पर पहुंच जाता था। उसकी तरह की सिचुएशन के कारण वह पब्लिक स्पीकिंग से बचने लगा था। जब मेरे पास आया था, उसकी हालत काफी खराब हो चुकी थी। वह सोशल एंग्जाइटी डिसऑर्डर से ग्रस्त था।"

यह केस स्टडी हमारे साथ क्लीनिकल साइकोलॉजिस्ट और माइंडट्राइब की फाउंडर डॉ. प्रेरणा कोहली ने शेयर की है, जो जगदीश का इलाज कर रही है। ट्रीटमेंट के दौरान उन्हें रियलाइज हुआ कि जगदीश सोशल फोबिया, जिसे सोशल एंग्जाइटी डिसऑर्डर के नाम से भी जाना जाता है, से ग्रस्त है।

ओनलीमायहेल्थ ऐसे मानसिक विकारों और रोगों की बेहतर तरीके से समझने के लिए ‘मेंटल हेल्थ मैटर्स’ नाम से एक विशेष सीरीज चला रहा है। इस सीरीज के जरिए हम आपको अलग-अलग तरह के मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी समस्याओं के बारे में बता रहे हैं। इसके तहत आपको बीमारी के लक्षण, कारण और इलाज के संबंध में विस्तार से जान सकेंगे। आज इस सीरीज में आपको जगदी की केस स्टडी की मदद से ‘सोशल फोबिया’ के बारे में बताने जा रहे हैं।

सोशल फोबिया क्या है (What is Social Phobia)

सोशल फोबिया या सोशल एंग्जाइटी डिसऑर्डर का अर्थ है कि व्यक्ति को भीड़ भरे इलाकों में जाने से डर लगता है। सोशल फोबिया से ग्रस्त व्यक्ति हर समय इस बात से डरता है कि कहीं कोई उसका अपमान न कर दे, वह काफी सेल्फ कॉन्शस होता है और लोगों के जजमेंट से घबराता है। सोशल फोबिया होने के कारण व्यक्ति नए लोगों से मिलने से डरता है और ग्रुप एक्टिविटी में हिस्सा लेने बचता है। डॉ. प्रेरणा कोहली जगदीश के बारे में बताती हैं, ‘जगदीश को लोगों के जजमेंटल बिहेवियर से बहुत डर लगता था। वह बिना किसी बात के भी शर्मिंदगी महसूस करता था और लोगों के सामने अपने मन की बात रखने से कतराता था।’

इसे भी पढ़ें: पैनिक डिसऑर्डर क्या है और क्यों होता है? इस महिला की कहानी के जरिए डॉक्टर से समझें इस बीमारी को

सोशल फोबिया के लक्षण (Symptoms Of Social Phobia)

Symptoms Of Social Phobia

प्रेरणा कोहली जगदीश के लक्षणों पर गौर करते हुए बताती हैं, "उसके पेरेंट्स जब मेरे पास जगदीश को लेकर आए थे, तब उन्होंने बहुत सारे लक्षणों का जिक्र किया था। इसमें लोगों के बीच जाने से बचना। उसके अंदर फियर ऑफ ह्यूमीलिएशन यानी उसे अक्सर खुद के अपमान का डर सताता था।" सोशल फोबिया होने के कुछ अन्य लक्षण इस प्रकार हैं-

  • लोगों के बीच जाने से डरना।
  • लोगों के बीच सेंटर ऑफ अट्रैक्शन बनने का डर।
  • शर्मिंदा या अपमानित होने का डर।
  • लोगों के बीच जाने से बचना और इसके लिए हर संभव प्रयास करना।
  • लोगों के बीच न जाने के लिए किसी भी तरह का कष्ट झेलना।
  • दूसरों के साथ अपनी मन की बात शेयर करने से डरना।
  • पब्लिक स्पीकिंग से डरना।
  • प्रेजेंटेशन या परफॉर्मेंस देने से डना।

शारीरिक लक्षण कुछ इस प्रकार हैं

  • कंपकंपनी छूटना।
  • माथ से पसीना बहना।
  • शर्म के मारे आंखें झुकीं रहना।
  • दिल की धड़कन तेज होना
  • जी मिचलाना।
  • बोलने में कठिनाई होना।

सोशल फोबिया का कारण (Causes Of Social Phobia)

causes Of Social Phobia

जगदीश की केस स्टडी के बारे में जिक्र करते हुए डॉ. प्रेरणा कोहली कहती हैं, "स्कूल में जगदीश को बुली किया गया था और उसने कई तरह ऐसे हादसे झेले थे, जो बच्चों के असहनीय होते हैं। उसके प्रति लोगों के बिहेवियर के कारण जगदीश को सोशल फोबिया हो गया था।" जहां तक सोशल फोबिया के अन्य कारणों की बात की जाए, तो प्रेरणा कोहली बतातती हैं कि किसी भी तरह के मानसिक विकार के पीछे सटीक कारणों का पता नहीं होता है। इसके बावजूद, विशेषज्ञों का मत है कि सोशल फोबिया होने के पीछे जेनेटिक, ब्रेन केमिस्ट्री, एंवॉयरमेंटल फैक्टर आदि जिम्मेदार हो सकते हैं।

सोशल फोबिया का ट्रीटमेंट (Treatment Of Social Phobia)

प्रेरणा कोहली जगदीश के ट्रीटमेंट का जिक्र करते हुए कहती हैं, "जगदीश को कई तरह का ट्रीटमेंट दिया गया था। असल में, उसे अपने कॉन्फीडेंस में लेना बहुत जरूरी था, ताकि वह अपने मन की हर बात मुझसे शेयर कर सके। ट्रीटमेंट के दौरान उसे कॉग्नीटिव-बिहेवियरल थेरेपी दी गई थी। इस दौरान जगदीश के लिए हमने कई तरह की स्ट्रैटेजी तैयार की और कई तरह की चीजों पर रिवर्क किया। उसे नई चीजें सीखने के लिए भी प्रोत्साहित किया ताकि वह अपनी एंग्जाइटी से बाहर निकल सके। इसके अलावा, सोशल स्किल पर भी हमने काफी ध्यान दिया ताकि वह लोगों के बीच बातचीत कर सके। बात-चीत की नई तकनीक सीख सके। यही नहीं, उसे रिलैक्स करने की तकनीक सिखाने पर भी हमने जोर दिया।"

इसे भी पढ़ें: एंंग्‍जाइटी (तेज बेचैनी) का कारण हो सकती हैं सेहत से जुड़ी ये 5 गलत‍ियां 

सोशल फोबिया को ट्रीट करने के अन्य तरीक इस प्रकार हैं-

  • मरीज को थेरेपी दी जाती है। थेरेपी के दौरान सोशल सिचुएशन से बचने की तकनीक सिखाई जाती है। इस तरह वह धीरे-धीरे अपने डर पर जीत हासिल कर सकते हैं।
  • सोशल फोबिया से पीड़ित मरीजों को कई बार दवाईयां भी दी जाती है। हालांकि, ऐसा बहुत गंभीर मामलो में ही होता है। दवाई की मदद से मरीज के लक्षणों को कम किया जाता है।
  • मरीज को सपोर्ट ग्रुप से जुड़ने की सलाह दी जाती है। इस तरह के ग्रुप में ऐसे लोग शामिल होते हैं, जो सोशल फोबिया से ग्रस्त होते हैं। ये लोग एक-दूसरे से मिलकर अपने डर को साझा करते हैं और अपनी बीमारी से जीतने की कोशिश करते हैं।

सोशल फोबिया के मरीजों की कैसे मदद करें (How To Help People With Social Phobia)

how to help people with Social Phobia

अगर आपके घर में अगर कोई सोशल फोबिया से ग्रस्त है, तो आपको उनकी केयर बहुत सावधानी से करनी चाहिए। इससे पहले जरूरी है कि आप इस संबंध में खुद को एजुकेट करें। आपको पता होना चाहिए कि सोशल फोबिया के लक्षण, कारण क्या हैं और इसका ट्रीटमेंट कैसे किया जाता है। इसके अलावा, आप निम्न उपायों को भी आजमा सकते हैं-

  • अपने परिचित, दोस्त या रिश्ते दो सोशल फोबिया से ग्रस्त हैं, उन्हें अपने मन की बात शेयर करने के लिए मोटिवेट करें।
  • उन्हें एक नॉन-जजमेंट माहौल दें, ताकि वे खुलकर आपके साथ बातचीत कर सकें।
  • आप कभी भी उन्हें क्रिटिसाइज न करें और न ही तुरंत उनकी बातों पर जजमेंट दें।
  • ऐसा माहौल जरा भी न दें, जिससे उन्हें एंग्जाइटी या डर जैसी फीलिंग हो।
  • अपने परिचिति से कहें कि वह अपने जैसे लोगों के साथ जुड़ें। उन्हें सपोर्ट ग्रुप में शामिल होने की सलाह दें।
  • अगर आप उन्हें नहीं संभाल पा रहे हैं, तो उन्हें प्रोफेशनल के पास ले जाएं।
  • सोशल फोबिया के मरीजों के साथ डील करना आसान नहीं होता है। इसलिए, जरूरी है कि आप अपना पेंशस यानी सब्र बनाए रखें।
  • इसके अलावा, आप भी बीच-बीच में गैप लेते रहें, अपने यार-दोस्तों से मिलें। पार्टी-फंक्शन में जाएं ताकि आप खुद को रिफ्रेश और एनर्जेटिक बनाए रख सकें। ध्यान रखें, जब आप फिट रहेंगे, तभी आप अपने परिचित की मदद कर सकेंगे।

जगदीश की तरह अगर आपके घर में भी ऐसा कोई है, जो लोगों के बीच जाने से डरता है, किसी और के जजमेंट पास करने से कतराता है, तो आप सावधान हो जाएं। हो सकता है, वह सोशल फोबिया का शिकर हो। उसे लेकर तुरंत एक्सपर्ट के पास जाएं। इस लेख में हम ‘सोशल फोबिया’ से जुडी सभी जानकारी देने की कोशिश की है। अगर फिर भी आपके मन में कोई सवाल रह गए हैं, तो हमारी वेबसाइट https://www.onlymyhealth.com में Social Phobia से जुड़े दूसरे लेख पढ़ें या हमारे सोशल प्लेटफार्म से जुड़ें।

image credit: freepik

Read Next

क्या फैटी लिवर होने पर शरीर के दूसरे अंगों को भी पहुंचता है नुकसान? जानें कौन-से अंग होते हैं प्रभावित

Disclaimer