बार-बार हाथ धोने की आदत हो सकती है माइसोफोबिया का संकेत, जानें इस समस्या से कैसे करें डील

मायसोफोबिया से ग्रस्त व्यक्ति को हमेशा कीटाणुओं का डर बना रहता है। धीरे-धीरे यह एक फोबिया बन जाता है, जो लंबे समय में नुकसान कर सकता है।   
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बार-बार हाथ धोने की आदत हो सकती है माइसोफोबिया का संकेत, जानें इस समस्या से कैसे करें डील

How To Deal With Mysophobia: आपने अपने आसपास ऐसे लोगों को जरूर देखा होगा जो बार-बार एक ही बात या काम बार-बार करते हैं। कुछ लोगों में यह आदत होती है। लेकिन वहीं कई लोगों को आसपास कीटाणु होने और गंदा हो जाने का डर होता है जो फोबिया बन जाता है। इस फोबिया को मायसोफोबिया कहा जाता है। इस मेंटल डिसऑर्डर को ओसीडी भी कहा जाता है, जिसमें व्यक्ति एक ही काम को बार-बार दोहराने का आदि हो जाता है। बार-बार हाथ धोना या किसी चीज को बार-बार ठीक करने को कोशिश करना भी मायसोफोबिया के संकेत हैं। इन्हें हर चीज को बार-बार बोलने या करने की आदत हो जाती है। अगर यह लोग अपने मनचाहे काम को दोहरा नहीं पाते हैं, तो इन्हें स्ट्रेस और एंग्जाइटी होने लगती है। आइये इस लेख में जानें मायसोफोबिया से कैसे डील कर सकते हैं।

phobia 

मायसोफोबिया के संकेत क्या-क्या हैं? Symptoms of Mysophobia

मायसोफोबिया एक मेंटल डिसऑर्डर है जिसे जर्मोफोबिया भी कहा जाता है। क्योंकि इसमें व्यक्ति को बैक्टीरिया और कीटाणुओं का डर बना रहता है। ऐसे में व्यक्ति गंदा हो जाने के डर से अजीब चीजें करता है। बार-बार किसी काम को दोहराना या बार-बार कोई बात दोहराना भी इसके संकेत हैं। 

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मायसोफोबिया से कैसे डील करें- How To Deal With Mysophobia

अगर यह परेशानी बार-बार हो रही है, तो तुरंत किसी साइकोलॉजिस्ट से संपर्क करें-

थेरेपी देते हैं- Therapy 

मायसोफोबिया से ग्रस्त लोगों को डॉक्टर थेरेपी देते हैं। इसमें इमोशन कंट्रोल करने के लिए कॉग्नेटिक बिहेवियर थेरेपी फायदेमंद होती है। थेरेपी की मदद से व्यक्ति को गंदगी के डर पर कंट्रोल मिल सकता है। इसकी जगह, एक्सपोज़र थेरेपी भी फायदेमंद हो सकती है। 

दवाओं का सेवन करना- Medications

कई बार डॉक्टर पेशेंट को दवा खाने की सलाह भी देते हैं। इस समस्या में एंग्जाइटी को कंट्रोल करने के लिए दवा दी जाती है। इससे व्यक्ति को अपनी मानसिक स्थिति पर नियंत्रण करने में मदद मिलती है। साथ ही, उसमें धीरे-धीरे यह आदत कम होने लगती है। 

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डीप ब्रीदिंग एक्सरसाइज करें- Deep Breathing Exercises 

इस समस्या में अगर व्यक्ति चीजों को बार-बार नहीं दोहराता तो उसे एंग्जाइटी होने लगती है। ऐसे में कई बार व्यक्ति अपने आप से बात करने लगता है या अजीब हरकतें करने लगता है। ऐसा इसलिए क्योंकि ऐसे में उसका मन शांत नहीं होता है। ऐसे में डीप ब्रीदिंग एक्सरसाइज फायदेमंद हो सकती हैं। क्योंकि इससे बार-बार होने वाली एंग्जाइटी को कंट्रोल करने में मदद मिलती है। 

इमोशनल सपोर्ट देना- Emotional Support

मायसोफोबिया से बाहर आने के लिए करीबियों से इमोशनल सपोर्ट मिलना भी जरूरी है। क्योंकि इससे व्यक्ति को चीजें सुधारने में मदद मिलती है। जैसे कि व्यक्ति को स्ट्रेस कम करने में मदद करना या इमोशन कंट्रोल करने में मदद करना। इससे व्यक्ति को मायसोफोबिया की स्थिति से बाहर आने में मदद मिलेगी। 

अगर आपको किसी करीबी में मायसोफोबिया के लक्षण नजर आ रहे हैं, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें. क्योंकि इससे मायसोफोबिया की समस्या को बढ़ने से रोका जा सकता है। 

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