
What Is Panic Disorder Explained In Hindi: 28 वर्षीय सारा में अक्सर पैनिक अटैक के लक्षण दिखाई देते थे। वह ज्यादातर समय परेशान और चिंतित रहती थी। इस दौरान अचानक उसकी दिल की धड़कन बढ़ जाती, पसीना आने लगता, कंपकंपी होती और सांस लेने में तकलीफ महसूस होती थी। ये समस्याएं उसे काफी समय तक परेशान करती रहीं लेकिन उसे इसकी कोई स्पष्ट वजह समझ नहीं आई। अपनी सिचुएशन को समझाते हुए सारा कहती है, ‘मुझे अपनी हालत देखकर कई बार ऐसा लगता था कि कहीं मैं पागल ही न हो जाऊं? मुझे भीड़-भरे इलाकों में जाने से डर लगने लगता था और कार चलाते हुए मेरे हाथ-पांव कांपते थे। मुझे डर लगता था कि एक बार मुझे पैनिक अटैक आ चुका है और कहीं, दोबारा ऐसा न हो।’
दरअसल सारा पैनिक डिसऑर्डर (Panic Disorder) की मरीज हैं। पैनिक डिसऑर्डर होने पर व्यक्ति को बार-बार पैनिक अटैक्स आ सकते हैं। ऐसा अचानक हो सकता है और पैनिक अटैक्स कुछ ही मिनट में इतनी गंभीर स्थिति तक पहुंच जाते हैं कि मरीज उसे समझ ही नहीं पाता। पैनिक डिसऑर्डर भी एक तरह से महत्वपूर्ण चिंता का विषय है, क्योंकि मरीज भविष्य में पैनिक अटैक या ऐसी स्थितियों से डर सकते हैं जो उन्हें ट्रिगर कर सकती हैं।
ओनलीमायहेल्थ ऐसे मानसिक विकारों और रोगों की बेहतर समझ के लिए ’मेंटल हेल्थ मैटर्स’ नाम से एक विशेष सीरीज शुरू कर रहा है, जिसमें अलग-अलग तरह की मानसिक समस्याओं, इसके प्रभाव, इलाज आदि के बारे में हम एक्सपर्ट्स के द्वारा उप्लब्ध कराई गई सटीक जानकारी अपने पाठकों तक पहुंचाएंगे। आज इस सीरीज के इस लेख में सारा की कहानी के जरिए हम समझेंगे ‘पैनिक डिसऑर्डर’ नामक बीमारी के बारे में। तो आइए जानते हैं सिजोफ्रेनिया के बारे में।
ओनलीमायहेल्थ के साथ सारा की यह केस स्टडी जानी-मानी क्लीनिकल साइकोलॉजिस्ट और पब्लिक स्पीकर प्रेरणा कोहली ने शेयर की है। उन्होंने खुद सारा के केस को हैंडल किया है। उनके अनुसार, “पिछले छह महीनों से सारा को इस तरह के पैनिक अटैक्स आ रहे हैं। दिनों-दिन उसके पैनिक अटैक्स के दौरे बढ़ते जा रहे हैं। सारा पेशे से एक नर्स है और यही काम उसकी इनकम का सोर्स भी है। सारा की पर्सनल लाइफ कई तरह की परेशानियों से घिरी हुई है। इस वजह से वह अक्सर स्ट्रेस में रहती है। इसके अलावा, सारा के परिवार में एंग्जाइटी डिसऑर्डर का इतिहास भी रहा है।“
इस लेख में हम सारा की स्थिति को समझाते हुए क्लीनिकल साइकोलॉजिस्ट और माइंडट्राइब की फाउंडर डॉ. प्रेरणा कोहली से जानेंगे कि पैनिक डिसऑर्डर क्या है, इसके लक्षण क्या हैं, इसके होने की वजह क्या हो सकती है और इससे कैसे बचा जा सकता है।
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पैनिक डिसऑर्डर क्या है?
पैनिक डिसऑर्डर एक तरह का मेंटल डिसऑर्डर है। पैनिक डिसऑर्डर होने पर मरीज कई तरह की भावनाएं महसूस करता है, जैसे बहुत ज्यादा डरना या बेचैनी महसूस करना आदि। इसमें कई बार कुछ ही मिनटों के अंदर मरीज की स्थिति बद से बदतर होने लगती है। डर और बेचैनी के कारण मरीज की धड़कनें बढ़ जाती हैं, पसीना आने लगता है, शरीर से कंपकंपी छूटने लगती है, सीने में दर्द होता है और सांस लेने में तकलीफ महसूस होती है। इसी तरह के कई अन्य लक्षण भी दिखाई देते हैं।
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पैनिक डिसऑर्डर लक्षण क्या है
पैनिक अटैक के दौरान बहुत सारी समस्याएं एक साथ महसूस हो सकती हैं, यह हमने सारा की कहानी को पढ़ते वक्त जाना। इसी चीज को और स्पष्ट करते हुए प्रेरणा कोहली बताती हैं, “सारा को पैनिक अटैक के दौरान कई तरह के शारीरिक लक्षण दिखाई देते थे, जिनमें दिल की धड़कनों का बढ़ना, डरना, बेचैनी होना शामिल हैं।“ इसके अलावा इस बीमारी में कई अन्य लक्षण भी दिखाई दे सकते हैं, जैसे-
- बहुत ज्यादा पसीना आना।
- घुटन महसूस होना, जिस वजह से कंपकंपी छूटना।
- सांस लेने में तकलीफ होना।
- सीने में तीव्र दर्द होना और बेचैनी महसूस होना।
- पेट में दर्द या ब्लोटिंग जैसी समस्या का अनुभव होना।
- चक्कर आना, अस्थिरता, बेहोशी महसूस करना।
- खुद पर कंट्रोल खो देना।
- “कहीं मैं पागल न हो जाऊं”- इस तरह के ख्याल आना।
- मरने का डर सताना।
- पैनिक डिसऑर्डर क्यों होता है
जैसा कि प्रेरणा कोहली ने बताया कि सारा अपनी पर्सनल लाइफ से परेशान थी और उसके परिवार में एंग्जाइटी डिसऑर्डर का इतिहास भी था। इस तरह देखा जाए, तो यह समझना मुश्किल नहीं है कि सारा के मामले में इस तरह की मानसिक स्थिति होने की वजह पहले से ही मौजूद है। इसके बावजूद, यह कहना ठीक रहेगा कि पैनिक डिसऑर्डर के सटीक कारणों के बारे में समझा नहीं जा सकता है। हालांकि, माना जाता है कि बायोलॉजिकल, साइकोलॉजिकल और पर्यावरणीय यानी एनवायरमेंटल फैक्टर्स की वजह से ऐसा हो सकता है-
जेनेटिक्सः यह साबित हो चुका है कि पैनिक डिसऑर्डर आनुवांशिक कारणों से हो सकता है। एक अध्ययन ये यह स्पष्ट हुआ है कि परिवार के किसी करीबी को यह डिसऑर्डर हो, तो अन्य रिश्तेदारों को इसके होने की आशंका छह गुना बढ़ जाती है।
न्यूरोकेमिकल असंतुलनः पैनिक डिसऑर्डर दिमाग में न्यूरोट्रांसमीटर, जैसे सेरोटोनिन और नोरेपीनेफ्राइन में इंबैलेंस से संबंधित हो सकता है।
लाइफ से जुड़ी परेशानियांः तनावपूर्ण जीवन की घटनाएं, जैसे जिंदगी में कोई बड़ा हादसा या किसी बड़े बदलाव की वजह से भी लोगों में पैनिक डिसऑर्डर की शुरुआत हो सकती है।
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पैनिक डिसऑर्डर का इलाज क्या है?
प्रेरणा कोहली के जरिए, अगर हम सारा की काहनी पर गौर करें, तो पता चलता है कि ट्रीटमेंट के दौरान सारा को किसी तरह की मेडिसिन नहीं दी गई। हालांकि दवाइयों की मदद से पैनिक डिसऑर्डर के कुछ लक्षणों को कम किया जा सकता है, पर यह भी देखने में आया है कि पैनिक डिसऑर्डर में अगर दवाई दी जाए, तो इससे कुछ मरीजों की स्थिति भी बिगड़ सकती है। यही वजह है कि सारा के मामले में, उसे दवाइयां नहीं दी गईं। डॉक्टर प्रेरणा कहती हैं, “सारा की थेरेपी की गई थी। इस दौरान उसने समझा कि पैनिक अटैक के दौरान किस तरह के साइकोलॉजिकल और फिजिकल फैक्टर्स उसे प्रभावित करते हैं। साथ ही, पैनिक अटैक के दौरान वह अपने लक्षणों को कैसे मैनेज कर सकती है। ऐसा वह गहरी सांस लेकर अपने मसल्स को रिलैक्स कर अपनी सिचुएशन को अंडर कंट्रोल कर सकती है। सारा को मैंने समझाया कि निगेटिव थॉट्स को कैसे खुद से दूर रखना है।“ इन सबके अलावा, प्रेरणा कोहली पैनिक डिसऑर्डर ट्रीटमेंट के लिए कुछ अन्य सुझाव भी देती हैं-
दवाः पैनिक डिसऑर्डर के लक्षणों को कम करने में कई तरह की दवाएं मददगार हो सकती हैं। इन्हें डॉक्टर मरीज की स्थिति को देखते हुए उसे प्रेस्क्राइब करते हैं। इन दवाओं की मदद से पैनिक अटैक के लक्षणों और गंभीरता को कम करने में मदद मिल सकती है।
रिलैक्सेशन तकनीकः रिलैक्सेशन तकनीक सीखना, जैसे कि गहरी सांस लेना, प्रोग्रेसिव मसल रिलैक्सेशन या मेडिटेशन करने से मरीज को काफी हद तक आराम मिल सकता है।
जीवनशैली में बदलावः जीवनशैली में बदलाव करना, जैसे कि कैफीन का सेवन कम करना, रेगुलर एक्सरसाइज करना और अच्छी नींद लेने से पैनिक डिसऑर्डर के लक्षणों को मैनेज किया जा सकता है।
सपोर्ट ग्रुपः मरीज ऐसे ग्रुप्स के साथ जुड़ सकता है, जहां पैनिक डिसऑर्डर के मरीज एक-दूसरे से कनेक्टेड हों। वहां वे एक-दूसरे की स्थिति को समझते हैं, एक्सपीरियंस शेयर करते हैं। इस तरह, उन्हें अपनी स्थिति को बेहतर करने में मदद मिल सकती है।
पैनिक डिसऑर्डर से कैसे बचाव करें
प्रेरणा कोहली पैनिक डिसऑर्डर से बचाव के लिए कुछ विशेष सुझाव देती हैं। आप भी इन्हें फॉलो कर सकते हैं-
- तनाव और चिंता को कम करने के साथ-साथ समग्र शारीरिक स्वास्थ्य को बढ़ावा देने के लिए रेगुलर एक्सरसाइज करें। इससे पैनिक डिसऑर्डर से बचने में मदद मिलेगी। यहां तक कि हल्का व्यायाम, जैसे टहलना या योग करना भी फायदेमंद हो सकता है।
- अच्छी डाइट लेकर भी आप पैनिक डिसऑर्डर के होने के रिस्क को कम कर सकते हैं। इसके अलावा, कैफीन का सेवन कम कर दें या पूरी तरह बंद कर दें। साथ ही, हेल्दी फैट का सेवन बढ़ाना आपके लिए फायदेमंद हो सकता है।
- हर्बल ट्रीटमेंट ले सकते हैं, जैसे कैमोमाइल, वैलेरियन रूट या लैवेंडर। इनके सेवन से या उपयोग करके आप अपनी चिंता को कम कर सकते हैं और बॉडी को रिलैक्स कर सकते हैं। हालांकि, किसी भी तरह का हर्बल ट्रीटमेंट लेने से पहले एक्सपर्ट की राय जरूर लें।
- अच्छी नींद भी समग्र स्वास्थ्य के लिए जरूरी है। विशेषकर मानसिक स्वास्थ्य के लिए अच्छी नींद जरूरी है। अच्छी नींद लेने के लिए आप इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स से दूर रहें, लेट नाइट तक जगकर काम न करें आदि।
सारा की तरह अगर आपको भी इस तरह के कोई भी लक्षण दिखाई दे रहे हों, तो जरा भी लापरवाही न करें। अपने लक्षणों को गंभीरता से लें और तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें। हालांकि, इस लेख में हमने आपको पैनिक डिसऑर्डर के बारे में विस्तार से जानकारी देने की कोशिश की है। अगर आपके मन में इससे जुड़े और भी सवाल हैं, तो उनका जवाब जानने के लिए आप हमारी वेबसाइट www.onlymyhealth.com में panic disorder से जुड़े दूसरे लेख पढ़ें या हमारे सोशल प्लेटफार्म से जुड़ें।
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